बॉर्डर पर भारत का 'बंकर प्लान', पाक सेना की गोलाबारी से बचने वाली 'नीति'

केंद्र सरकार ने नियंत्रण रेखा यानि एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले नागरिकों की हिफाजत के लिए 14 हजार बंकरों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी. जिसमें सामुदायिक और निजी बंकर शामिल हैं.

Last Updated : Sep 27, 2019, 01:28 PM IST
    • नौशेरा ब्लॉक में 675 बंकर का निर्माण होना है, जिनमें से 350 बन गए हैं और 325 का निर्माण अलग अलग स्तर पर जारी
    • निर्माण कार्य में प्रति बंकर की लागत 3 लाख 10 हजार है, जिसे भारत सरकार ने स्वीकृत किया है
बॉर्डर पर भारत का 'बंकर प्लान', पाक सेना की गोलाबारी से बचने वाली 'नीति'

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जबरदस्त तल्खी चल रही है. धारा 370 के खात्मे के बाद ये तनाव और गहरा हो गया है. निराश और हताश पाकिस्तानी सेना बॉर्डर पर लगातार सीजफायर तोड़ रही है और सीमावर्ती इलाकों को निशाना बना रही है. जिससे राजौरी समेत बॉर्डर से सटे तमाम इलाकों में रहने वाले लोगों को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. 

पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी और फायरिंग से निपटने के लिए राजौरी में निजी बंकरों का निर्माण शुरू हो गया है.

पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकतों को देखते हुए बॉर्डर पर रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज से केंद्र सरकार ने नियंत्रण रेखा यानि एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले नागरिकों की हिफाजत के लिए 14 हजार बंकरों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी. जिसमें सामुदायिक और निजी बंकर शामिल हैं. राजौरी में ऐसे कई बंकर तैयार हो चुके हैं और जो बचे हैं. उन्हें तेजी से पूरा किया जा रहा है.

राजौरी में 350 बंकर बनकर तैयार हुए

ग्रामीण विकास राजौरी के AEE विक्रम सिंह का कहना है कि नौशेरा ब्लॉक में 675 बंकर हैं, जिनमें से 350 बन गए हैं और 325 का निर्माण अलग अलग स्तर पर जारी है. इन इंडीविजुअल बंकर की कॉस्ट 3 लाख 10 हजार है. जिसे भारत सरकार ने स्वीकृत किया है. उन्होंने बताया कि बीते तीन चार साल से यहां लोगों को सीजफायर के चलते बहुत परेशानी उठानी पड़ रही थी. उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ता था. लोगों को एक जगह से दूसरी जगह आन जाने में बड़ी मुश्किल होती थी. इसलिए भारत सरकार ने यहां बंकर बनाने का फैसला किया ताकि लोगों को पलायन ना करना पड़े.

लंबे समय से हो रही थी बंकरों की मांग

स्थानीय लोगों के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से की जाने वाली गोलाबारी के दौरान जान माल की सुरक्षा के लिहाज से बंकर काफी प्रभावी होते हैं. ये बंकर गोलाबारी के दौरान सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित स्थान मुहैया कराते हैं. लंबे समय से राजौरी के लोग ऐसे बंकरों के निर्माण की मांग कर रहे थे. अब जबकि सैकड़ों बंकर बनकर तैयार हैं और कई का निर्माण जारी है तो लोग इससे बेहद खुश हैं.

फायरिंग पर लोग बंकरों में ले सकते हैं शरण

अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के पास रह रहे लोगों के लिए हमले की स्थिति में खुद को बचाने के लिए बंकर का ही सहारा होता है. 160 वर्ग फुट में बने एक व्यक्तिगत बंकर में आठ से दस लोग रह सकते है जबकि 800 वर्ग फुट में बनने वाले सामुदायिक बंकर में 40 लोग रह सकते है. ये बंकर कंक्रीट, सीमेंट और सरिए से बने होते हैं. जो गोलाबारी और फायरिंग के दौरान लोगों के लिए शेल्टर हाउस की तरह काम करते हैं.

केंद्र सरकार ने आजादी यानी 1947 के बाद पहली बार ये कदम उठाया है. जिसमें बॉर्डर के लोगों के बारे में उनके जान माल की सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है. वास्तव में ये एक ऐतिहासिक कदम है.

पाकिस्तानी सेना के सीजफायर तोड़ने पर भारतीय सेना उन्हें माकूल जवाब देती है लेकिन उसे अपने नागरिकों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखना होता है. अब जबकि उनकी सुरक्षा के लिए बंकर बनकर तैयार हैं तो भारतीय सेना बेखौफ होकर दुश्मन देश को जवाब दे सकेगी.

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