नई दिल्ली: Navratri 2022 Day 7, Kalratri Mata: भय, अकाल मृत्यु, रोग और शोक से छुटकारा पाने के लिए मां कालरात्रि की पूजा करें. देवी कालरात्रि का पूजन मात्र करने से समस्त दुखों एवं पापों का नाश हो जाता है. देवी कालरात्रि के ध्यान मात्र से ही मनुष्य को उत्तम पद की प्राप्ति होती है. साथ ही इनके भक्त सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाते हैं.
राहु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करें मां की उपासना
राहु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए माता कालरात्रि की उपासना करनी चाहिए. नवरात्रि के सातवें दिन राहु से पीड़ित व्यक्तियों को राहु शांति पूजा जरूर करवानी चाहिए. मां कालरात्रि की पूजा से भूत प्रेत, अकाल मृत्यु ,रोग, शोक आदि सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है. मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था.
मां हमें सिखाती है कि दुःख, दर्द, क्षय, विनाश और मृत्यु अपरिहार्य हैं. इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. ये जीवन के सत्य हैं. इन्हें नकारना व्यर्थ है. हमें अपने अस्तित्व और अपनी क्षमता की पूर्णता का एहसास करने के लिए उनकी उपस्थिति और महत्व को स्वीकार करना चाहिए.
अज्ञान का नाश करती हैं मां कालरात्रि
देवी कालरात्रि, जिन्हें मां काली के नाम से भी जाना जाता है, देवी दुर्गा का सातवां अवतार हैं. यहां काल का अर्थ है समय व मृत्यु से है और कालरात्रि का संपूर्ण अर्थ काल की मृत्यु है. मां कालरात्रि अज्ञान का नाश करती हैं और अंधकार में प्रकाश लाती हैं. यह रूप अंधेरे पक्ष को भी दर्शाता है. देवी दुर्गा का कालरात्रि स्वरूप एक ऐसा रूप है, जो डर पैदा करता है और उनमें सभी चीजों को नष्ट करने करने की क्षमता रखता है.
शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि का यह भयावह रूप पापियों का नाश करने के लिए ही है. देवी कालरात्रि का रंग काजल के समान काला है, जो अमावस्या की रात से भी गहरा है. देवी कालरात्रि का रंग काला होने पर भी वह दीप्तिमान और अद्भुत लगती हैं.
मां कालरात्रि का स्वरूप कैसा है
मां कालरात्रि का रंग काला है. उनके मस्तक पर बालों की लंबी-लंबी जटाएं फैली हैं और उनके चार हाथ हैं. उनकी तीन आंखें हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें निकलती हैं. उनके गले के हार से गहरी रोशनी निकलती है. जब वह सांस लेती और छोड़ती हैं तो उनके नथुने से ज्वालाएं प्रकट होती हैं.
मां कालरात्रि का वाहन क्या है
मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ यानी गधा है, जो सभी जीव-जंतुओं में सबसे ज्यादा मेहनती है. मां कालरात्रि अपने इस वाहन पर पृथ्वीलोक का विचरण करती हैं. मान्यता है कि मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं यानी मां के उपासक की अकाल मृत्यु नहीं होती है.
जानिए मां कालरात्रि की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गासुर नामक राक्षस कैलाश पर्वत पर देवी पार्वती की अनुपस्थिति में हमला करने की कोशिश कर रहा था. उससे निपटने के लिए देवी पार्वती ने कालरात्रि को भेजा, लेकिन वह राक्षस लगातार विशालकाय होता जा रहा था. तब देवी ने अपने आप को और भी अधिक शक्तिशाली बनाया और शस्त्रों से सुसज्जित हुईं. उसके बाद उन्होंने दुर्गासुर को मार गिराया. इसी कारण उन्हें दुर्गा कहा गया.
मां कालरात्रि पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण कर लें.
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं.
- मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को लाल रंग पसंद है.
- मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें.
- मां को रोली-कुमकुम लगाएं.
- मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल अर्पित करें.
- मां कालरात्रि का अधिक से अधिक ध्यान करें.
- मां की आरती भी करें.
मां का भोग क्या है
मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए उन्हें गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगाएं.
इस सिद्ध मंत्र का करें जाप
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः
ॐ कालरात्र्यै नमः
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