Rath Yatra 2021: जब अचानक ही एक मजार पर रुक गई रथयात्रा, जानिए भगवान के मुस्लिम भक्त की कथा

Rath Yatra 2021: भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा हर साल भक्त सालबेग की मजार पर रुकती है. जानिए कौन थे प्रभु जगन्नाथ के यह मुस्लिम भक्त. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 30, 2021, 09:49 AM IST
  • हर साल भक्त सालबेग की मजार पर जरूर रुक जाती है रथयात्रा
  • मुगल सेना में सैनिक थे सालबेग, मुस्लिम पिता, हिंदू मां की थे संतान
Rath Yatra 2021: जब अचानक ही एक मजार पर रुक गई रथयात्रा, जानिए भगवान के मुस्लिम भक्त की कथा

नई दिल्लीः Rath Yatra 2021: जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा (Rath Yatra 2021) चल पड़ी थी. जय जगन्नाथ, जय बलदाऊ के जयघोष से सारा आकाश गूंज रहा था. आगे-आगे पुरी के महाराजा चल रहे थे और उनके ही साथ रथ की रस्सियों को थामे भक्तों का हुजूम चल रहा था. महा मंदिर से लेकर गुंडीचा धाम (Gundicha Dham) तक तिल रखने भर की जगह नहीं थी.

बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ तीनों के ही रथ श्रद्धा की डोर से बंधे अपनी ही गति से खिंचते चल रहे थे. कोई श्रद्धालु अगर थकता भी तो जय जगन्नाथ की आवाज उसमें नई ऊर्जा भर देती और फिर वह दोगुनी ताकत से रस्सी खींचता. रथयात्रा (Rath Yatra 2021) का यह मंजर देखते ही बनता था. 

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जब रुक गई रथयात्रा

अरे, यह क्या? इतनी दूर तक आराम से आते-आते यह रथ रुक क्यों गया? सभी आश्चर्य में पड़ गए, अभी तक सहज चलता हुआ यह रथ आगे ही नहीं बढ़ रहा था. भक्तों की भीड़ ने सोचा शायद वह रस्से खींचने में कमजोर पड़ गए हों. इसलिए उन्होंने जोर देकर फिर से रथ खींचा,

लेकिन न रथ अपनी जगह से हिला और न ही यात्रा आगे बढ़ी. अब तमाम कानाफूसी शुरू हो गई. कोई चमत्कार मान रहा था तो आश्चर्य. सबसे ज्यादा आवाजें इस बात की थी क्या प्रभु जगन्नाथ नाराज हो गए हैं. 

सब थक कर हार मान गए

दंड के डर के बजाय आस्था में लगा भय कहीं अधिक बड़ा हो जाता है. श्रद्धालु तमाम बार कोशिश करते और रस्से को खीचते और सफल न हो पाने पर निराश हो जाते. यह प्रक्रम बार-बार जारी था. इसी बीच कोई बूढ़ा लाठी टेकता, भीड़ को चीरता मुख्य रथ के सामने आ पहुंचा. रस्से खींच रहे कोचवानों से कहा- मैं रथ को आगे बढ़ाने की कोशिश कर सकता हूं,

बस मेरी बात मानिए. रस्से खींचने वालों ने एक बार उसके बूढ़े कमजोर शरीर को देखा, लेकिन उसकी आवाज में कोई जादू था, जिसने सभी को बुजुर्ग की बात मानने के लिए विवश कर दिया. 

एक बूढ़े व्यक्ति ने बताया रहस्य

बूढ़े व्यक्ति ने कुछ कहा नहीं, उंगली के इशारे से सामने की ओर दिखा दिया. उस दिशा में एक मजार थी. क्या, इस मजार का क्या माजरा है. बूढ़े ने कान में कुछ फुसफुसाया- तो भीड़ की आंखों में चमक दौड़ गई. एक बार जोर से जयघोष हुआ जय जगन्नाथ, और इसे ठीक बाद आवाज आई, जय भक्त सालबेग. इतना कहते ही रथ के चक्के अनायास ही घूम गई और रथयात्रा (Rath Yatra 2021)  जय जगन्नाथ, जय सालबेग के जय घोष के साथ बढ़ने लगी. 

पुरी में प्रचलित है दंत कथा

ओडिशा के पुरी में गलियों-गलियों में यह दंत कथा बहुत प्रचलित है और इसके होने का समय मुगलकाल का बताया जाता है. जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़कर यह कहानी विदेशों तक घूम आई. हर साल लाखों की संख्या में जगन्नाथ के भक्त पुरी पहुंचते हैं और इस दृश्य के साक्षी बनते हैं कि तकरीब 500 साल से एक हिंदू-सनातनी परंपरा में कैसे एक मुस्लिम आस्था जुड़ गई है. हर साल सालबेग भगत की मजार पर रथ जरूर रुकता है. कौन हैं यह भगत सालबेग?

इस सवाल के जवाब में बताने वाले बताते हैं कि बात तबकी है जब भारत में मुगलों का शासन था. इसी मुगल सेना में सालबेग नाम का एक वीर सिपाही था. मुस्लिम पिता और हिंदू मां का बेटा सालबेग, जितना खुदा को मानता उतनी ही भगवान में आस्था रखता. एक बार किसी जंग में सालबेग के सिर में गहरी चोट लग गई.

घायल हो जाने की वजह से उसे सेना से निकाल दिया गया और हर तरफ से वह निराश हो गया. बेटे की निराशा देख सालबेग की मां ने उससे कहा- तू जगन्नाथ प्रभु की शरण ले और ऐसा कहकर मां ने प्रभु की महिमा की कई कथाएं सुनाईं. यह कथाएं सुनकर सालबेग के मन में प्रभु दर्शन की इच्छा हुई. 

जानिए, भक्त सालबेग की कथा

ऐसी इच्छा लिए सालबेग एक दिन पुरी स्थित जगन्नाथ धाम पहुंच गया. वहां वह मंदिर में प्रवेश करने लगा तो गैर धर्म का होने के कारण उसे अनुमति नहीं मिली. वह निराश हो गया तो मां ने कहा कि तू बाहर ही रहकर प्रभु का नाम ले. अगर तेरी भक्ति सच्ची होगी तो जगन्नाथ खुद तेरे द्वारे आएंगें. वे जरूर आते हैं. सालबेग ने यह बात गांठ बांध ली. इस तरह रथयात्रा के रास्ते में ही उसने एक मठिया बना ली और वहीं रहकर जय जगन्नाथ का भजन करने लगा.

कहते हैं कि उसकी भक्ति देखकर जगन्नाथ प्रभु ने उसे सपने में दर्शन दिए और उसी दिन सालबेग इस दुनिया का नहीं रहा. कहते हैं कि जाते-जाते सालबेग ने कहा- आप मेरे पास तो आए ही नहीं, तब जगन्नाथ स्वामी ने कहा- अब से मेरा रथ बिना तुम्हारे द्वार पर रुके आगे नहीं बढ़ेगा. 
 यह सिलसिला आज तक जारी है. रथयात्रा (Rath Yatra 2021) निकलती है और भक्त सालबेग की मजार पर विश्राम के बाद ही आगे बढ़ती है. 

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