नई दिल्ली: तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूंही मस्त नग़मे लुटाता रहूं...
'मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती...
चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनो
चलो इक बार फिर से ...
हिंदी फिल्मों के ये तीन सदाबहार नगमे, तीनों जितने बेमिसाल उतने ही एकदूसरे से दूर. एक जहां आपको प्यार की गहराइयों में ले जाएगा तो दूसरा आपकी रगों में देशभक्ति का उबाल ला देगा तो वहीं तीसरा आपके दिल को उस दर्द से जोड़ देगा जिससे हर कोई कभी न कभी जरूर गुजरा होगा.. अब अगर आपसे से ये कहा जाए की इन तीनों गानों को गाने वाली आवाज़ एक ही है तो क्या कहेंगे आप?
जी हां, इन नगमों की इतनी रूहानियत और करिश्माई अंदाज़ में गाने वाली आवाज़ है महेंद्र कपूर की. महेंद्र कपूर वो नाम हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को वो गीत दिए जैसे न कभी पहले हुए न कभी हो पाएंगे.
महेंद्र कपूर का जन्म 09 जनवरी 1934 को अमृतसर में हुआ था. संगीत को जानने वाले लोग उन्हें गायकों की उस श्रेणी में रखते थे जो हर तरीके के गाने बखूबी का गा सकते थे. 'किसी पत्थर की मूरत से' हो या 'नीले गगन के तले' ऐसे कई गीत जो उन्होंने गाए वो सदाबहार हो गए. देश ही नहीं विदेशों में भी लोग उनके गीतों के कायल थे. जिस फिल्म इंडस्ट्री में रफ़ी साहब, किशोर दा और मुकेश जैसे दिग्गज नाम थे वहां अपनी एक अलग पहचान बनाने का काम सिर्फ महेंद्र कपूर ही कर सकते थे.
देशभक्ति के गीतों की सबसे लोकप्रिय आवाज़ हैं महेंद्र कपूर
महेंद्र कपूर को मनोज कुमार की आवाज भी कहा जाता है. मनोज कुमार ने खुद को जब दर्शकों के सामने राष्ट्रवादी नायक की भूमिका में पेश किया तो उनकी इस छवि को लोगों के दिल-ओ-दिमाग में पुख्ता करने का काम किया महेंद्र कपूर की आवाज ने. 70 के दशक में महेंद्र कपूर के गाए देशभक्ति गीत आज भी लोगों के दिल के बेहद करीब हैं. "है प्रीत जहां की रीत सदा".. हो या "मेरे देश की धरती" इन गानों ने देशभक्ति की भावना की जो नींव रखी वो आज भी कायम है और इन गानों को जब भी कोई सुनता है तो उसके ज़ेहन में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा उमड़ आता है. उन्हें 1968 में फिल्म "उपकार" के सदाबहार गीत "मेरे देश की धरती" के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था और आज भी चाहे 26 जनवरी हो या 15 अगस्त उनके इन गीतों के बिना ये त्यौहार पूरे नहीं हो सकते. महेन्द्र कपूर ने सी रामचंद्र जैसे संगीतकार के निर्देशन में साल 1958 में वी शांताराम की फिल्म नवरंग में "आधा है चंद्रमा रात आधी" गीत से इंडस्ट्री में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. महेन्द्र कपूर ने अपने चार दशक के फ़िल्मी सफर में क़रीब 25 हज़ार गीत गाए.
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रफ़ी साहब ने महेंद्र कपूर से क्यों कहा कि 'अब हम साथ नहीं गाएंगे'
महेंद्र कपूर यूं तो रफ़ी साहब को अपना गुरु मानते थे लेकिन रफ़ी के कहने पर ही उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. महेंद्र कपूर की किस्मत तब चमकी जब उन्होंने मेट्रो मर्फी आल इंडिया गायन प्रतियोगिता जीती जिससे उन्हें वी. शांताराम की फिल्म नवरंग में गाना गाने का मौका मिला. रफी साहब उस समय इंडस्ट्री में सबसे बड़े नामों में से एक थे. रफ़ी साहब और महेंद्र कपूर के बीच रिश्ता कितना गहरा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की वो मोहम्मद रफ़ी की कही किसी भी बात को मानने से कभी पीछे नहीं हटते थे. एक बार रफ़ी साहब ने महेंद्र कपूर से कहा था, कि "हम दोनों साथ में गाने नहीं गाएंगे, क्योंकि हमारी आवाजें मिलती हैं". उस दिन के बाद दोनों ने सिर्फ एक बार ही साथ गाना गया लेकिन उसके बाद ये जोड़ी फिर कभी किसी गाने में साथ नहीं आई.
दोनों का एक साथ गया वो गाना था साल 1968 की फिल्म 'आदमी" का गीत "कैसी हसींन आज बहारों की रात है". इस गाने में दिग्गज संगीतकार नौशाद साहब के कहने पर महेंद्र कपूर ने तलत महमूद साहब की आवाज को डब किया था. ये गाना पहले रफ़ी साहब और तलत महमूद को गाना था लेकिन किसी वजह से गाने में तलत महमूद वाले हिस्से को नए गायक के साथ डब करना पड़ा . और इस तरह फिल्म इंडस्ट्री में रफ़ी साहब और महेंद्र कपूर ने साथ में अपना पहला और एक मात्र गाना गाया . दोनों के बीच हुए इस पूरे किस्से का खुलासा महेंद्र कपूर के बेटे रोहन कपूर ने किया था.
हर तरह गीत को गाने की कला थी महेंद्र कपूर के पास
महेंद्र कपूर को हर मूड का गीत गाने वाला समझा जाता था. वो किसी भी तरह के गीत को बेहद ही सरलता और गंभीरता के साथ निभाते थे. चाहे वो देश में सबसे ज्यादा बजने वाला देशभक्ति गीत हो या धर्म-अधर्म की सीख देते महाभारत के गीत या फिर प्यार में डूबे किसी प्रेमी के दिल की आवाज़ हो या जिंदगी की कश्मकश में घीरे किसी शख्स के दिल की आह. हर तरह गीत को गाने की कला थी महेंद्र कपूर के पास. आज वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके गीतों में आज भी वो जादू है की उन्हें सुनते ही हर कोई उनकी आवाज़ को खुद की समझ गीत गुनगुनाने लगता है.
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