कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने मुस्लिम विवाह पर एक बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि मुस्लिम विवाह में एक पक्ष नाबालिग है, तो यह पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध होगा. फैसले में जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि मुस्लिमों के बीच शादी में अगर कोई नाबालिग है तो उसे पॉक्सो एक्ट से बाहर नहीं किया जा सकता.
क्या था पूरा मामला
सेवानिवृत्त न्यायाधीश के.टी. थॉमस के पुत्र जज ने इस साल अगस्त में तिरुवल्ला पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में पश्चिम बंगाल के 31 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने एक 14 वर्षीय लड़की का अपहरण किया था. यह मामला तब सामने आया जब तिरुवल्ला में स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक शिकायत दर्ज की कि 16 साल की एक लड़की (आधार कार्ड के रिकॉर्ड के अनुसार) गर्भवती होने का पता चलने पर एक इंजेक्शन के लिए आई थी.
क्या था दावा
रहमान ने दावा किया कि उसकी शादी मार्च 2021 में उनके गृह राज्य में मुस्लिम कानून के तहत हुई थी, लेकिन पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया कि उसके माता-पिता के अनुसार ऐसी कोई शादी नहीं हुई थी. हालांकि अदालत ने कहा कि यौवन प्राप्त करने वाले मुसलमानों को उनके पारंपरिक कानून के तहत शादी करने की अनुमति दी गई है, लेकिन यदि व्यक्तिगत कानून पॉक्सो एक्ट जैसे विशेष कानूनों पर हावी होगा, तो सवाल खड़ा होगा. पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग लड़की के खिलाफ किसी भी तरह के यौन शोषण को एक अपराध के रूप में देखा जाता है.
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