शिवसेना का भविष्य: इतने फीसदी लोग मानते हैं कि आदित्य ठाकरे में जननेता बनने की क्षमता- सर्वे

महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार की अगली पीढ़ी के भविष्य के बारे में सर्वे हुआ है. 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि आदित्य ठाकरे में जननायक बनने की क्षमता नहीं है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 1, 2022, 02:47 PM IST
  • 61 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं ने कहा, वे विरासत को आगे बढ़ाएंगे
  • एनडीए के 68 प्रतिशत मतदाताओं की राय इससे बिल्कुल अलग है
शिवसेना का भविष्य: इतने फीसदी लोग मानते हैं कि आदित्य ठाकरे में जननेता बनने की क्षमता- सर्वे

नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार की अगली पीढ़ी के भविष्य के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया. सर्वे के दौरान, महाराष्ट्र के भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य पर एक जन नेता के रूप में उभरने के लिए उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे की राजनीतिक भविष्य को लेकर भारतीयों की राय विभाजित दिखी.

49 फीसद लोग आदित्य ठाकरे के पक्ष में
सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, जहां 49 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि आदित्य ठाकरे में महाराष्ट्र की राजनीति में एक जन नेता के रूप में उभरने की क्षमता है, वहीं 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस भावना से सहमत नहीं थे.

राजनीतिक ध्रुवीकरण उजागर 
सर्वे ने इस मुद्दे पर एनडीए के मतदाताओं और विपक्षी समर्थकों के विचारों में राजनीतिक ध्रुवीकरण को उजागर किया. 61 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं ने कहा कि आदित्य अपने दादा बालासाहेब ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने और राज्य की राजनीति में लोकप्रिय नेता के रूप में उभरने में सक्षम होंगे, वहीं एनडीए के 68 प्रतिशत मतदाताओं ने उनकी राजनीति को लेकर पूरी तरह से अलग राय व्यक्त की.

सामाजिक समूहों की राय में अंतर 
सर्वे में महाराष्ट्र की राजनीति में आदित्य ठाकरे के भविष्य को लेकर विभिन्न सामाजिक समूहों की राय में अंतर सामने आया. सर्वे के दौरान, अधिकांश अनुसूचित जाति- 66 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के 69 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि आदित्य ठाकरे भविष्य में जन नेता के रूप में उभरेंगे, वहीं अधिकांश अन्य पिछड़ा वर्ग 60 प्रतिशत और उच्च जाति हिंदुओं के अनुपात- 59 प्रतिशत ने उनके बारे में भावना साझा नहीं की.

मुसलमानों की राय बंटी हुई 
सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक इस मुद्दे पर मुसलमानों की राय बंटी हुई थी. सर्वे के दौरान, जहां 55 प्रतिशत मुसलमानों ने आदित्य ठाकरे की महाराष्ट्र में जन नेता के रूप में उभरने की क्षमता में विश्वास व्यक्त किया, वहीं समुदाय के 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पूरी तरह से अलग विचार व्यक्त किए.

10 दिनों से मची उथलपुथल
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 10 दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल और आश्चर्य से भरे रहे हैं. 21 जून को पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के एक बड़े वर्ग ने विद्रोह शुरू किया था, जो कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन का कारण बना. ठाकरे ने 29 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया, जब सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. 

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