कांग्रेस सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कल राजघाट पर करेगी धरना प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून पर उपजे विवाद पर कई राजनीतिक पार्टियां सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ रही हैं. कांग्रेस भी उनमें से एक है. कांग्रेस ने यह ऐलान किया है कि पार्टी 22 दिसंबर को राजघाट पर एक धरना प्रदर्शन करने जा रही है जिसमें पार्टी के बड़े नेता लोगों के साथ मिलकर कानून का विरोध करते नजर आएंगे.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2019, 07:09 PM IST
    • कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी करेंगी नेतृत्व
    • प्रियंका गांधी पहले से संभाल रही हैं मोर्चा
कांग्रेस सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कल राजघाट पर करेगी धरना प्रदर्शन

नई दिल्ली: CAA के विरोध में पिछले कुछ दिनों से देश की राजधानी दिल्ली के हालात काफी बिगड़े हुए हैं. आए दिन प्रोटेस्ट मार्च और धरनों से दिल्ली की शांति भंग हो चुकी है. कई जगहों पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों का दौर चल पड़ा है. देश की सबसे पुरानी और लिबरल विचारधारा वाली पार्टी भी इस विरोध में अब लोगों का साथ दे रही थी. अब पार्टी ने फैसला किया है कि वे खुद भी दिल्ली में सरकार को घेरेंगे. सरकार को घेरने के लिए पार्टी ने एक धरना प्रदर्शन रखा है जो 22 दिसंबर को दोपहर के 2 बजे से रात 8 बजे तक आयोजित किया जाएगा.

कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी करेंगी नेतृत्व

22 दिसंबर यानी की रविवार का दिन जो अमूमन छुट्टियों का दिन होता है. कांग्रेस उस दिन धरना प्रदर्शन करना चाहती है. इस धरना में कांग्रेस के बड़े नेता तो रहेंगे ही लेकिन उनका नेतृत्व खुद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी करेंगी और साथ में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी होंगे. इसके अलावा कांग्रेस के बड़े नेताओं का जमावड़ा भी लगेगा. 

प्रियंका गांधी पहले से संभाल रही हैं मोर्चा

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी पहले ही कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेकर मोर्चा संभाले हुए हैं. राज्य कांग्रेस कई जगहों पर पहले ही रैली और धरनों के माध्यम से केंद्र सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा दिखा चुकी है. विपक्षी पार्टी ने सत्ताधारी पार्टी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा है. 

इससे पहले पिछले दिनों मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ इस कानून को लेकर अपनी मोर्चेबंदी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने सदन में भी इस कानून का जमकर विरोध किया था. केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाए थे कि मोदी सरकार सेक्टेरियन पॉलिटिक्स करना चाहती है. 

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