Farmer Protest: आंदोलन खत्म करने का बुधवार को आखिरी मौका, क्या संवाद से बनेगी बात?

सरकार और किसानों के बीच बुधवार दोपहर 2 बजे बातचीत होगी. इस संवाद से पहले रणनीति को लेकर अमित शाह (Amit Shah) के घर पर मंत्रियों की बैठक हुई. वहीं किसान कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े हैं..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 29, 2020, 09:08 PM IST
  • किसानों और सरकार के बीच बुधवार को बातचीत
  • किसान संगठनों ने माना सरकार के बातचीत का प्रस्ताव
  • सुनियोजित तरीके से किसानों में फैलाया गया झूठ: कृषि मंत्री
Farmer Protest: आंदोलन खत्म करने का बुधवार को आखिरी मौका, क्या संवाद से बनेगी बात?

नई दिल्ली: नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आंदोलन का बुधवार को 35वां दिन है, लेकिन अब मसले का समाधान होता दिख रहा है. बुधवार को सरकार और आंदोलन कर रहे किसानों के बीच वार्ता तय होगी. किसान संगठनों ने 29 दिसंबर के बदले 30 दिसंबर को बातचीत के लिए सरकार का प्रस्ताव मंजूर कर लिया. बुधवार को ही किसान ट्रैक्टर मार्च निकालने की भी तैयारी में हैं. दूसरी ओर कृषि बिल का समर्थन कर रहे किसानों के एक दल ने सोमवार को भी कृषि मंत्री से मुलाकात की और प्रदर्शनकारी किसानों के जल्द मान जाने का भरोसा भी जताया. लेकिन सवाल ये कि नाराज किसान मानेंगे कैसे? क्योंकि कानून रद्द करने से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है. 

कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं किसान

वहीं मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के न्योते को स्वीकार करते हुए एक चिट्ठी भेजी है. चिट्ठी में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग फिर दोहराई गई है. न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग की गई है. साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में किसानों को दंड से बाहर रखने के लिये संशोधन और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे  वापस लेने की मांग भी की गई है.

चिट्ठी में लिखा गया है कि तर्कपूर्ण समाधान के लिये इसी एजेंडा के अनुसार चलना ज़रूरी है. किसानों (Farmers) ने कहा है कि आपको याद दिला दें कि हम इस वार्ता में निम्नलिखित एजेंडा पर और नीचे दिए गए 'क्रम' में वार्ता करने के लिए आ रहे हैं:

1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि (Modalities)

2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान

3. "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020" में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए ज़रूरी हैं

4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे को वापिस लेने (संशोधन: पिछले पत्र में गलती से "जरूरी बदलाव" लिखा गया था) की प्रक्रिया. "प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान" के लिए जरूरी होगा कि हमारी वार्ता इसी एजेंडा के अनुसार चले

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कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और सरकार के बीच बुधवार को छठे दौर की बातचीत होनी है. इस बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) और रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) और केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश (Som Prakash) ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में किसानों से संवाद पर सरकार का पक्ष तय किया 
गया.

किसानों की मांगों पर सरकार का फाइनल फार्मूला

किसानों की तरफ से जितने मुद्दे उठाए गए हैं उन सब का सॉल्यूशन सरकार की तरफ से तैयार किया गया. किसानों की तरफ से उठाए गए मुद्दों पर सरकार क्या-क्या कर सकती है यह बैठक में किसानों को बताया जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह के यहां कृषि मंत्री और कॉमर्स मिनिस्टर की कई घंटे मंथन चली. किसानों की तरफ से सुलझाए गए मुद्दों का कानूनी रूप से भी सरकार हल निकालेगी. तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को छोड़कर अन्य सभी मांगों पर सरकार की तरफ से फार्मूला दिया जाएगा. तीनों कानूनों में किसानों के कुछ सुझाव माने जा सकते हैं.

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जानकाकी के अनुसार बुधवार को किसानों और सरकार के बीच दोपहर 2:00 बजे से विज्ञान भवन में बातचीत शुरू होगी. केंद्र सरकार की तरफ से कृषि मंत्री के साथ कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल और राज्यमंत्री सोमप्रकाश रहेंगे. 40 किसान संगठनों के नेताओं को केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए नेता दिया है.

आंदोलन में मुफ्त WiFi देगी केजरीवाल सरकार

केजरीवाल सरकार आंदोलनकारी किसानों को मुफ्त WiFi देगी. दिल्ली सरकार सिंघु बॉर्डर पर WiFi हॉट स्पॉट्स लगाएगी. AAP नेता राघव चड्ढा ने कहा कि किसान वीडियो कॉल नहीं कर पा रहे थे. किसानों ने खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी की शिकायत की थी. जिसके चलते ये फैसला लिया गया है.

अब आपको कृषि कानूनों पर भ्रम जाल समझाते हैं. किसान नेता कर रहे हैं कि कानून रद्द हों, जबकि सरकार का कहना है कि कानून रद्द नहीं होंगे जरूरी संशोधन किए जाएंगे. किसानों का कहना है कि उन्हें  MSP नहीं मिलेगी. सरकार इस पर लिखित आश्वासन देंने के लिए तैयार है. किसान कह रहे हैं कि APMC मंडियां खत्म हो जाएंगी. सरकार का कहना है ऐसा नहीं होगा. वो लिखित आश्वासन देने को तैयार है. किसानों का कहना है कि पैन कार्ड से कारोबार से नुकसान होगा, जबकि सरकार का कहना है कि सिर्फ रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा. किसानों का कहना है प्राइवेट मंडियां पर टैक्स नहीं लगेगा, जबकि सरकार का कहना है कि कि नियमों के मुताबिक टैक्स लगेगा. किसानों को आंशका है कि उनकी जमीन बिक जाएगी, जबकि सरकार कह रही है कि कॉन्ट्रैक्ट केवल फसल का होगा. किसानों का कहना है कि नये कानून में कोर्ट का प्रावधान नहीं होगा. सरकार कह रही है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे. किसानों का कहना है- उनके कानूनी अधिकार खत्म हो जाएंगे, जबकि सरकार कह रही है कि किसानों के पास सिविल कोर्ट जाने का अधिकार होगा.

हर किसी की नजर बुधवार को दोपहर दो बजे सरकार और किसानों के बीच होने वाले संवाद पर है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस संवाद से विवाद का समाधान हो जाए. क्योंकि किसान आंदोलन से दिल्ली परेशान है. इसकी आड़ में सियासी पार्टियां अपनी राजनीति चमकाने में जुटी हुई हैं. किसान आंदोलन अय्याशों का गढ़ बनता जा रहा है, जहां किसान के वेश में शैतान घूम रहे हैं.

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