दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम ने लोगों से कहा कि प्रदर्शन उनका लोकतांत्रिक अधिकार, लेकिन इस दौरान संयम बरतना चाहिए. ये कानून किसी भी प्रकार से देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. इस पर विपक्ष भ्रम फैला रहा है.
प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए बयान के मुताबिक शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि प्रदर्शन करना भारत के लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार है, ऐसा करने से हमें कोई नहीं रोक सकता. हालांकि, यह भी अहम है कि इस दौरान संयम बरता जाना चाहिए और भावनाओं पर नियंत्रण रखना भी अहम है. ध्यान रखना चाहिये कि किसी भी तरह की हिंसा न हो.
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के बीच अंतर है. एक CAA है जो एक कानून बन गया है और दूसरा NRC है जिसकी केवल घोषणा की गई है, यह एक कानून नहीं है. CAA के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी. इसका भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है.
उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान मंगलवार को दिल्ली के सीलमपुर-जाफराबाद इलाके में हिंसा भड़क गई. इस मामले में पुलिस ने कुल तीन एफआईआर दर्ज की हैं. पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है. वहीं, बाकी लोगों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी जारी है.
विपक्षी दल बता रहे मुसलमानों के खिलाफ
कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस कानून को मुसलमानों के खिलाफ बता रहे हैं. देश भर में लोगों को इस बिल के खिलाफ भड़काया जा रहा है. कई जगहों से हिंसक प्रदर्शन की भी खबरें आ रही हैं. इसके परिणाम स्वरूप जामिया इलाके में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी. पुलिस पर पत्थरबाजी की गई थी, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े.
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