जानिए नेशनल वॉर मेमोरियल के बारे में, जहां आज इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति का होगा विलय

इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति 21 जनवरी यानी आज से यहां पर नहीं जलेगी. इसका विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में किया जाएगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 21, 2022, 08:16 AM IST
  • गणतंत्र दिवस से पहले लिया गया फैसला
  • 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति
जानिए नेशनल वॉर मेमोरियल के बारे में, जहां आज इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति का होगा विलय

नई दिल्लीः इंडिया गेट (India Gate) पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति 21 जनवरी यानी आज से यहां पर नहीं जलेगी. इसका विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में किया जाएगा. गणतंत्र दिवस (Republic Day) से पहले ये फैसला लिया गया है.

समारोह के दौरान होगा विलय

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की लौ को एक समारोह के दौरान राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में मिलाया जाएगा. इस समारोह की अध्यक्षता एयर मार्शल बालभद्र राधा कृष्ण करेंगे. वे दोनों लौ को मिलाएंगे.

कुछ दिन पहले देश के अलग-अलग हिस्सों से आई स्वर्णिम विजय वर्ष की मशाल को भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल में मिलाया गया था.

1971 के युद्ध के शहीदों की याद में हुई थी स्थापना

अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था.

बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने पहले विश्व युद्ध और अफगान कैंपेन में शहीद हुए करीब 84 हजार सैनिकों की याद में इंडिया गेट बनाया था.

जानिए नेशनल वॉर मेमोरियल के बारे में

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक या नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं.

इस युद्ध स्मारक में 1947-48 के युद्ध से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक शहीद हुए सैनिकों के नाम अंकित हैं. इनमें आतंकवादी विरोधी अभियान में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम भी हैं.

सशस्त्र सेनाओं के सैनिकों की शहादत पर इससे पहले कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं था.

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