भोपाल: मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस के लिए एक संगठन मुसीबत बन सकता है. यह संगठन है जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस). रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संगठन से जुड़े लोग कांग्रेस से दूर जाकर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं.
84 सीटों पर पड़ेगा असर
मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. हर बार की तरह इन चुनावों में भी आदिवासी वर्ग की भूमिका अहम रहने वाली है. इसकी वजह भी है, क्योंकि राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 84 सीटें ऐसी हैं, जहां यह वर्ग निर्णायक है. इनमें से 47 सीटें तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित ही हैं.
पिछली बार कांग्रेस के साथ थी जयस
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को जय युवा आदिवासी शक्ति संगठ का साथ मिला था और कांग्रेस की ताकत भी बढ़ी थी. कांग्रेस ने 47 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन बड़ी सौदेबाजी के मूड में है या फिर वह स्वतंत्र होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है.
क्या कह रहे जयस चीफ
जयस के प्रमुख डॉ. हीरालाल अलावा लगातार एक ही बात कहते आ रहे हैं कि उनका संगठन इस बार कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस दिशा में वे आगे भी बढ़ रहे हैं. इसके लिए अन्य वर्गो से भी उनकी बातचीत चल रही है, जिसमें ओबीसी महासभा, माझी समाज शामिल हैं.
नए समीकरणों पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जयस कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ता है तो पार्टी के लिए नुकसान होने की आशंका ज्यादा रहेगी. इस कारण यह है कि अब तक आदिवासी वोटबैंक कांग्रेस का माना जाता रहा है. जयस अगर अलग होकर चुनाव लड़ेगा तो कांग्रेस की सत्ता की राह आसान नहीं रह जाएगी. कांग्रेस का वोट कट सकता है. जाहिर है इसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को मिलेगा.
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