युद्ध के मैदान में बख्शता नहीं इजरायल, इस महिला प्रधानमंत्री ने 12 देशों को चटा दी थी धूल

योम किपुर युद्ध और आज के हालात में एक बड़ी समानता भी है. योम किपुर इजरायली के लिए बेहद पवित्र दिन माना जाता है और इसी दिन अरब गठबंधन सेना ने अचानक हमला कर दिया था. हमले की शुरुआत 6 अक्टूबर 1973 को हुई थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 13, 2023, 03:25 PM IST
  • इजरायल की पीएम थीं गोल्डा मायर.
  • 12 देशों को दी थी एक साथ पटखनी.
युद्ध के मैदान में बख्शता नहीं इजरायल, इस महिला प्रधानमंत्री ने 12 देशों को चटा दी थी धूल

नई दिल्ली. भारत और इजरायल में एक समानता यह भी है कि दोनों देशों में एक-एक महिला प्रधानमंत्री भी हुई हैं. जहां भारत में इंदिरा गांधी हुईं तो वहीं इजरायल में गोल्डा मायर नाम की नेता प्रधानमंत्री पद तक पहुंचीं. दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों नेताओं के सत्ता के शीर्ष पर बैठने का कालखंड भी लगभग एक है. जहां 1971 में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के साथ जंग लड़ी और दुनिया में बांग्लादेश के रूप में नया देश पैदा हुआ. वहीं साल 1973 में गोल्डा मायर के नेतृत्व में इजरायल ने एक दो नहीं बल्कि 12 देशों के समर्थन से बनी सेनाओं को युद्ध के मैदान में धूल चटा दी थी. 

आज से क्यों मिलते जुलते हैं हालात
इजरायल इस वक्त आंतकी संगठन हमास के नृशंस हमले के खिलाफ लगातार बमबारी कर रहा है. कुछ इसी तरह साल 1973 में भी इजरायल ने एक जंग लड़ी थी जिसे योम ककिपुर युद्ध, रमदान युद्ध या फिर अक्टूबर का युद्ध कहा जाता है. योम किपुर युद्ध और आज के हालात में एक बड़ी समानता भी है. योम किपुर इजरायली के लिए बेहद पवित्र दिन माना जाता है और इसी दिन अरब गठबंधन सेना ने अचानक हमला कर दिया था. हमले की शुरुआत 6 अक्टूबर 1973 को हुई थी. वह शीत युद्ध का भी दौर था तो जैसे ही हालात बिगड़े तो अमेरिका और सोवियस संघ ने भी अपने समर्थक देशों को हर तरह की मदद पहुंचानी शुरू कर दी. 

पहले के युद्ध में छुपी थी जड़ें
खैर इस युद्ध की जड़ें 1967 में हुए 6 दिन के युद्ध में थीं. उस युद्ध में इजरायल ने विपक्षी सेनाओं से जमीन कब्जाई थी. अब उसी जमीन को लेकर युद्ध था. इजरायल के टॉप अधिकारियों का प्लान था कि अरब गठबंधन की सेनाओं के हमले के पहले ही 'बचाव' हमला किया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री गोल्डा मायर ने इसकी अनुमत नहीं दी. इजरायल के रक्षा मंत्री मोशे दायन और सेना के हेड डेविड एलाज़ार से कहा कि अगर हम पहले हमला करते हैं तो कोई भी हमारी मदद के लिए नहीं आएगा. उनका इशारा अमेरिकी मदद की तरफ था. और यही हुआ भी. युद्ध की शुरुआत सीरिया और अरब सेनाओं की तरफ से हुई. अमेरिका ने उस युद्ध में इजरायल की खूब मदद की थी. 

युद्ध में जीत मिली लेकिन खराब हुई गोल्डा की छवि
गोल्डा मायर की राजनीतिक सूझबूझ की जीत हुई थी. इजरायल को इस युद्ध में जीत मिली थी. लेकिन फिर गोल्डा मायर की इमेज देश के भीतर खराब हुई. लोगों का यह मानना था कि अगर इजरायल ने पहले हमले किए होते उसे शुरुआती नुकसान नहीं उठाना पड़ता. वैसे भी आर्मी के हेड यही चाहते थे. इस युद्ध से उठी फजीहत की वजह से बाद में 1974 में रक्षा मंत्री मोशे दायन को इस्तीफा तक देना पड़ा था. गोल्डा मायर की पार्टी को भी चुनावों में नुकसान हुआ. गोल्डा मायर ने भी इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बने थे यित्ज़ाक राबिन.

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