नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशन्स समेत दो थिंक टैंक संस्थाओं की रिसर्च के अनुसार इंटरनेट बैन करने में भारत विश्व में पहले स्थान पर है. पर सरकार यह कदम देश में शांति का माहौल बनाए रखने के लिए उठाती है. देश में इस साल करीब 95वें बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गई है. फिलहाल देश के जिन भी हिस्सों में नेट शटडाउन किया जा रहा है उसकी वजह CAA है.
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कौन देता है इंटरनेट सेवाएं बंद करने की अनुमति
केंद्र या राज्य के गृह सचिव के द्वारा इंटरनेट शटडाउन करने का ऑर्डर जारी किया जाता है. यह ऑर्डर SP या उससे ऊंचे रैंक अधिकारियों के द्वारा दिया जाता है. उसके बाद आगे के अधिकारी सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट सेवाएं बंद करने के लिए कहता है. ऑर्डर के आने के अगले दिन ही अधिकारी केंद्र या राज्य सरकार को रिव्यू पैनल के पास भेजता है. केंद्र सरकार रिव्यू पैनल में कैबिन सेक्रेटरी, टेलिकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी और लॉ सेक्रेटरी होते हैं. लेकिन राज्य सरकार के द्वारा जारी किए गए निर्देश पैनल में चीफ सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और एक अन्य शामिल होते हैं.
पर आपातकालीन के समय केंद्र सरकार व राज्य सरकार के गृह सचिव ही जॉइंट सेक्रेटरी इंटरनेट शटडाउन का निर्देश दे सकते हैं. और इसके बाद 24 घंटे के अंदर ही केंद्र या राज्य के गृह सचिव के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है.
कहां लगा है देश में सबसे लंबा बैन
देश की घाटी में यानी जम्मू-कश्मीर में अब तक का सबसे लंबा इंटरनेट बैन लगा है. यह बैन घाटी से आर्टिकल 370 को हटाने के बाद से यानी 5 अगस्त से लगाई गई थी जो अब तक बरकरार है. घाटी में नेट सेवाएं बंद किए 137 दिन हो चुके हैं.
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नेट सेवाएं बंद किए जाने वाले टॉप 5 राज्य
2012-2019 के बीच भारत के ये टॉप 5 राज्य है जहां इंटरनेट सेवाएं सबसे ज्यादा बंद की गई है- जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और गुजरात. घाटी में करीब 180 बार सेवाएं बंद की गई है, राजस्थान में 67 बार, उत्तर प्रदेश में 20 बार, हरियाणा में 13 बार और गुजरात में 11 बार नेट बैन किया जा चुका है.