लखनऊ: आज जबकि आस्था के कई आडंबरों का विरोध होता है, उसी आस्था को जरिया बनाते हुए उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले के परागदत्त मिश्रा ने एक जबरदस्त मिसाल पेश की है. परागतदत्त मिश्र ने पर्यावरण के प्रति अपने प्रेंम को जिम्मेदारियों में तब्दील किया और पेड़ों पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर बना कर उन्हें कटने से रोकने का प्रयास किया है. अब तक अपने इस तरीके से उन्होंने हजारों पेड़ों को कटने से बचाया है.
देवी-देवताओं की तस्वीर बना कटने से बचाते हैं पेड़ों को
वजीरगंज के नगवा गांव के प्रधान परागदत्त मिश्र ने बताया कि विकसा की अंधी दौड़ में पेड़-पौधों को हर जगह नुकसान पहुंचाया ही जाता है. इसलिए जरूरी है कि पेड़ों को कटने से बचाया जाए ताकि पर्यावरण का नुकसान न हो. और क्योंकि देवी-देवताओं की तस्वीर बनाने के बाद लोग इसे आस्था से जुड़ा मानेंगे तो पेड़ों की कटाई भी नहीं होगी. पेड़ों की अहमियत कितनी ज्यादा है, वह हमे समझना होगा.
कहा लोगों को नहीं पता जलवायु परिवर्तन, उन्हें पता है आस्था
उन्होंने बताया कि लोगों को पर्यावरण के नुकसान का नहीं पता. न ही उन्हें जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी संतुलन का पता है. उन्हें पता है तो बस यह कि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति या तस्वीर से लगी किसी भी चीज को नुकसान नहीं पहुंचाना है. वो इसलिए ऐसे पेड़ों की कटाई नहीं करते .
अपने जेब से पैसे खर्च कर बनाता है पेड़ों पर देवी-देवताओं की तस्वीर
यूपी के ट्रीमैन परागदत्त मिश्र ने कहा कि एक पेड़ पर इस तरीके के कलाकारी का खर्च तकरीबन 200 रुपए आता है. वह कहीं भी जाते हैं तो अपनी गाड़ी की डिग्गी में पेंट और कूची साथ ही रखते हैं. जहां भी सड़क किनारे पेड़ मिलते हैं या लगता है कि वहां पेड़ों की कटाई की जा सकती है, वे उस पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर बना देते हैं. इसके बाद लोग उसे काटने की बजाए उसकी पूजा करने लग जाते हैं. उस पर सिंदूर-रोड़ी लगाने लग जाते हैं.
नायाब हैं ये तरीके जिससे बच जाते हैं पेड़
परागदत्त मिश्र ने कहा कि वे सभी पेड़ों पर तस्वीर ही नहीं बनाते किसी पर त्रिशूल तो किसी पर डमरू किसी पर चक्र तो किसी पर भरसा की चित्र भी बना देते हैं. हिंदू देवी-देवताओं के हाथ में हथियारों को, उनके साधन को बना कर वे पेड़ों को कटने से बचाते हैं. अपने गांव के विषय में बताते हुए वे कहते हैं कि यहां हर साल पर्यावरण दिवस के मौके पर मेला लगता है. मेले मे सभी बच्चे, बूढ़े, जवान और औरतें पेड़ो की रक्षा का संकल्प लेते हैं.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि आठ हजार की आबादी वाले उनके गांव में हरियाली बहुत है. घर के आस-पास पेड़ पौधे होने से साफ वातावरण भी रहता है. पेड़ों को बचाने के लिए यह मुहीम काफी कारगर साबित हो सकती है.
गांव के लोगों ने भी परागदत्त मिश्र की काफी तारीफ की. उन्होंने कहा कि पेड़ों के बचाने के इनके तरीके अब धीरे-धीरे फैलने लगे हैं. गांव-देहात के आसपास के लोग भी सड़क के आसपास के पेड़ों पर पुताई करने लगे हैं. इस पहल के जरिए सबकी चेतना जगाई जा रही है.