नई दिल्लीः पुराणों के अनुसार माता सरस्वती सरस्वती मंत्र की देवी हैं. वाणी, कला, संगीत, ज्ञान और मन की शक्ति उन्हीं से प्राप्त होती है. इसीलिए उन्हें 'वाक् देवी ' यानी वाणी और ध्वनि की देवी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का ध्यान करते हुए उनके वेद पुस्तक धारिणी, वीणा वादिनी स्वरूप का पूजन किया जाता है. विद्यार्थियों के लिए मां की पूजा करना सबसे जरूरी बताया गया है.
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कलाकार, कवि, विद्यार्थी वर्ग की अधिष्ठात्री हैं मां सरस्वती
सभी देवी-देवताओं के विशेष मंत्रों की भांति देवी सरस्वती के लिए भी मंत्र लिखे गए हैं. उनके मंत्र के नियमित जप से वाणी, स्मरण-शक्ति और अध्ययन में एकाग्रता बढ़ती है. सरस्वती मंत्र में अज्ञानता और भ्रम दूर करने की शक्ति है और मंत्र जप करने वाले की बुद्धि प्रखर होती है. समर्पित भाव से मंत्रो का जप करने से एक छात्र को उसके अभ्यास में पारंगत बनाता है और वह शिक्षा के क्षेत्र में सफल होता है. कलाकार, कवि, लेखक और वक्ता के लिए मां सरस्वती के वे विशेष मंत्र यहां दिए जा रहे हैं, जिनका जप आपको ख्याति और उपलब्धि दिला सकता है. की सहायता से उपलब्धियों की नई ऊँचाइयों तक पहुंच सकते हैं
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देवी से विद्यादान के लिए
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने. विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते. देवी सरस्वती की वंदना करने वाला यह मंत्र विद्य़ार्थियों को उनका कृपा पात्र बनाता है. इसमें माता के स्वरूप का वर्णन करने के साथ उनके प्रति विनय भाव रखने की बात कही गई है. मंत्र का अर्थ है, हे महाभाग्यवती ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती ! मुझको विद्या दो, मैं आपको प्रणाम करता हूं.
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इस मंत्र से बनें मां के कृपा पात्र
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्. हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ऊॅं. इस मंत्र में भी माता के स्वरूप और उनके वीणा-पुस्तक रूप की कल्पना की गई है. मंत्र में कहा गया है कि हे वीणा पुस्तक धारण करने वाली माता जिनका वाहन हंस है. मैं आपको प्रणाम करते हुए निवेदन करता हूं कि मुझे अपना कृपापात्र बनाकर ज्ञान प्रदान करें.
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वाणी की देवी हैं माता
शारदा शारदाभौम्वदना, वदनाम्बुजे. सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू. इस मंत्र में माता से प्रार्थना की गई है कि वह श्रद्धालु की वाणी बनें. उन्हें इस मंत्र में वाणी की देवी कहा गया है. मंत्र का अर्थ है कि शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें.
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माता के विशेष गुणों का वर्णन
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती. प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या. इस मंत्र में माता के विशेष गुणों का वर्णन किया गया है. उन्हें वचन की देवी बताते हुए मंत्र में कहा गया है कि बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती मां, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती हैं, उनके वचनों का हम लोगों का पालन करें.
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ज्ञान की देवी मां सरस्वती
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्. देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: इस मंत्र में देवी को वाणी और ज्ञान की अधिष्ठाता देवी बताया गया है. इसमें कहा गया है कि वाणी की अधिष्ठात्री उन देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूं. जिनकी कृपा से मनुष्य देवता बन जाता है.
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