रोटी पर पांच तो पराठे पर 18 फीसदी GST, जानें क्या है ये पूरा मामला

अब से आपको रोटी पर 5 फीसदी की दर से और पराठे पर 18 फीसदी की दर से GST चुकाना पड़ेगा .गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने वाडीलाला इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एक विवाद में यह फैसला सुनाया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 14, 2022, 02:15 PM IST
  • रोटी पर पांच तो पराठे पर 18 फीसदी GST
  • पैकेट बंद रोटी और पराठा दोनों हुए महंगे
रोटी पर पांच तो पराठे पर 18 फीसदी GST, जानें क्या है ये पूरा मामला

नई दिल्ली: रोटी और पराठे पर भी अब आपको जीएसटी (GST) चुकाना पड़ेगा. अब से आपको रोटी पर 5 फीसदी की दर से और पराठे पर 18 फीसदी की दर से GST चुकाना पड़ेगा. पराठे और रोटी पर GST के विवाद में 20 महीनों बाद यह फैसला आया है. जिसके मुताबिक अब रोटी पर 5 फीसदी और पराठे पर 20 फीसदी के हिसाब से टैक्स वसूला जाएगा. 

क्या है पूरा मामला

दरअसल पूरी बात ये है कि गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने वाडीलाला इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एक विवाद में यह फैसला सुनाया है. अथॉरिटी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, फ्रोजेन परांठे और रोटी में इस्‍तेमाल होने वाले उत्‍पादों में काफी अंतर है, लिहाजा इस पर जीएसटी की दरें अलग-अलग होनी चाहिए. इससे पहले वाडीलाल इंडस्‍ट्रीज ने भी इसी दावे के साथ पराठे पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने की मांग की थी.

महाराष्ट्र अथॉरिटी ने कही थी ये बात

इस विवाद पर महारष्ट्र की अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग ने भी साल 2018 में एक फैसला सुनाया था. अपने फैसले में अथॉरिटी ने कहा था कि देश में रोटी या चपाती को अलग-अलग नाम से जाना जाता है, लेकिन इसका नाम बदल जाने भर से इस पर जीएसटी अलग-अलग दरें नहीं लगा सकते.

इस वजह से पराठे पर लगी जीएसटी

पराठे और रोटी पर जीएसटी लगाने के पीछे यह दलील थी कि रोटी और पराठे में मुख्य तौर पर आटा ही इस्तेमाल होता है लेकिन गुजरात अपीलेट अथॉरिटी का यह मानना है कि पराठे और रोटी में काफी अंतर है जिस वजह से पराठे और रोटी पर एक समान टैक्स नहीं लगाया जा सकता है. लिहाजा पराठे पर 18 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगाया जा रहा है. 

वाडीलाल ने दी थी ये दलील

अहमदाबाद की कंपनी वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने अथॉरिटी में अपील दायर करते हुए कहा था कि वह 8 तरह के पराठों की सप्लाई करती है. इस वजह से उनके इस उत्पाद को रोटी की कटेगरी में नहीं रखा जा सकता है और इस पर जीएसटी की दर भी अलग होनी चाहिए. 

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