अलीपुरद्वार: पश्चिम बंगाल के इस इलाके में बक्सा टाइगर रिजर्व में राजाभातखवा में गिद्धों का प्रजनन केंद्र बनाया गया था. यहां से 6 मादा गिद्धों को आसमान में छोड़ दिया गया. इन गिद्धों को को बक्सा इलाके के 22 मील के जंगल से आसमान में उड़ा दिया गया.
सैटेलाइट से रखी जाएगी नजर
इन 6 मादा गिद्धों में से दो के शरीर पर सेटेलाइट ट्रांसमीटर लगाया गया है, जिससे इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. यहां के वन और पर्यावरण मंत्री ने जानकारी दी कि भारत के कई राज्यों ने गिद्धों के शरीर में ट्रांसमीटर लगाने और इनका प्रजनन कराने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. केवल पश्चिम बंगाल और हरियाणा में ही ऐसा संभव हो पाया है. वन विभाग को उम्मीद है कि ये छह मादा गिद्ध अपने प्राकृतिक वातावरण में जल्दी ही घुल मिल जाएंगे.
लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं गिद्ध
हमारे देश में गिद्धों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. यह पक्षी आज से कुछ साल पहले पूरे देश में भारी संख्या में पाए जाते थे. लेकिन के 1990 के दशक में लगभग 99 फीसदी गिद्ध गायब हो गए. गिद्धों को बचाने के लिए पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में गिद्धों की संख्या को बढ़ाने के लिए बक्सा राजभातखावा में एक प्रजनन केंद्र तैयार किया गया. यहां 3 प्रजातियों के 130 गिद्ध हैं जिनमे से अधिकतर गिद्धों का जन्म इसी प्रजनन केंद्र में हुआ है.
ये है गिद्धों के विलुप्त होने की वजह
गिद्धों के विलुप्त होने का मूल कारण जानवरों को दी जाने वाली दवाई डाइक्लोफिनॅक (diclofenac) है, जो कि पशुओं के जोड़ों के दर्द को मिटाने का काम करती है. इस दवा को खाने वाले पशु की मौत के बाद जब उसका मांस गिद्ध खाता हे तो उसके गुर्दे फेल हो जाते हैं और वह मर जाता है.
लेकिन अब डाइक्लोफिनॅक (diclofenac) की जगह नई दवा मॅलॉक्सिकॅम(meloxicam) आ गई है. जो कि गिद्धों के लिए जानलेवा नहीं है.
गिद्धों के संख्या बढ़ाने के लिए देश में कई जगहों पर प्रयास चल रहा है. क्योंकि गिद्ध मरे हुए पशुओं का मांस खाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं.
ये भी पढ़ें- पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाएं कदम
ये भी पढ़ें- सूरत में ऐसे बचाया जा रहा है पर्यावरण