केंद्रीय बजट-2021 में स्वामित्व योजना की घोषणा, जानिए कैसे होता है जमीन का सर्वे

योजना के लिए ड्रोन के जरिए सर्वे किया जा रहा है. सभी राज्यों में सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर जमीनों का सर्वे किया जा रहा है. केंद्र सरकार ही स्वामित्व योजना के सर्वे कराने का सारा खर्च वहन कर रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 2, 2021, 11:47 AM IST
  • राज्यों में योजना का ड्रोन के जरिए सर्वे
  • सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर जमीनों का सर्वे
केंद्रीय बजट-2021 में स्वामित्व योजना की घोषणा, जानिए कैसे होता है जमीन का सर्वे

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बीते साल अक्टूबर 2020 में स्वामित्व योजना (Swamitva Yojana) की शुरुआत की थी. अब योगी सरकार (Yogi Sarkar) ने इस योजना के जरिए गांवों में लोगों को उनकी जमीन का स्वामित्व देने की मुहिम शुरू की है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pardesh) में इसके लिए शुरुआती दौर में प्रत्येक जिले से 20-20 गांवों का चुनाव किया गया है साथ ही 75 जिलों में इसके लिए सर्वे भी शुरू कर दिया गया है. सोमवार को union budget-2021 की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी देशभर में स्वामित्व योजना लागू किए जाने का ऐलान किया.

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हरियाणा-यूपी में सर्वे शुरू

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मल सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने यह स्कीम शुरू की है. इस योजना के अंतर्गत गांवों में संपत्तियों के मालिकों को अधिकार के दस्तावेज दिए जा रहे हैं. अब तक 1241 गांवों के लगभग 1.80 लाख संपत्ति मालिकों को कार्ड दिए गए हैं. अब वित्त वर्ष 2021-11 में इस योजना को सभी राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों में लागू करने का है. उत्तर प्रदेश और हरियाणा में इसके लिए पहले से तैयारी कर ली गई है, जबकि हरियाणा में कई गांवों का सर्वे भी किया जा चुका है.

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योजना के लिए ड्रोन के जरिए सर्वे किया जा रहा है. सभी राज्यों में सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर जमीनों का सर्वे किया जा रहा है. केंद्र सरकार (Central Government) ही स्वामित्व योजना (Swamitva Yojana)  के सर्वे कराने का सारा खर्च वहन कर रही है. जानिए स्वामित्व योजना के लिए कैसे सर्वे किया जा रहा है. इसके लिए क्या-क्या जरूरी है.

ऐसे होता है सर्वे

स्वामित्व योजना का सर्वे ड्रोन के जरिए किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक इस सर्वे के अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाना है. योजना के तहत ग्रामीण आबादी का GPS ड्रोन की मदद से एरियल सर्वे किया जाता है. इसके जरिए आबादी में बने हर एक घर की जियो टैगिंग की जाती है. इसके साथ ही प्रत्येक घर का क्षेत्रफल भी दर्ज होता है. इसी आधार पर हर एक घर को एक यूनिक आईडी दी जाती है, जो उसका पता भी होता है. इस तरह आपका या लाभार्थी का पता डिजिटल हो जाता है.

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ड्रोन कई एंगल से लेते हैं तस्वीरें

गांवों में सर्वे को लेकर कुछ चिंताएं और परेशानियां भी रहती हैं. दरअसल, जमीन-जायदाद के झगड़े गांवों में अक्सर सामने आते रहे हैं. कोई लिखित दस्तावेज न होने के कारण भी कई बार एक ही जमीन के टुकड़े पर कई बार कई लोग अधिकार जताते हैं. सर्वे के दौरान ग्राम पंचायत के सदस्य, राजस्व विभाग के अधिकारी, गांव के जमीन मालिक और झगड़ा फसाद रोकने के लिए पुलिस की टीम मौके पर तैनात रहती है. लोगों की आपसी सहमति से उनकी अपनी-अपनी दावे वाली जमीन पर निशान देही कर ली जाती है.

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इसके बाद चूना लगा कर जमीन मालिक अपने तय क्षेत्र पर घेरा बना लेते हैं. इसकी ही तस्वीर उड़ते ड्रोन से खींची जाती है. ड्रोन गांव के कई चक्कर लगाते हुए इस प्रक्रिया को पूरा करते हैं ताकि हर एंगल से तस्वीरों का मिलान किया जा सके और कंप्यूटर की मदद से जमीन का नक्शा तैयार किया जा सके.

आपत्ति दर्ज कराने के लिए 40 दिन तक का समय

जिस गांव का सर्वे होता है, वहां के सभी सदस्यों को इसकी सूचना पहले दे दी जाती है, ताकि कुछ लोग जो दूसरी जगह नौकरी या किसी और काम से बाहर हों, वो भी सर्वे वाले दिन वहां आ सकें.
एक बार पूरा नक्शा तैयार कर लेने के बाद, जिसके नाम की जमीन है, वो ब्यौरा पूरे गांव को बताया जाता है. जिस किसी को कोई भी आपत्ति दर्ज करानी हो तो इसके लिए कम से कम 15 दिन और अधिक से अधिक 40 दिन का समय दिया जाता है.

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राज्य सरकारें बना सकती हैं अपना कानून
जिस जमीन पर कोई आपत्ति नहीं आती और सभी पक्षों की सहमति होती है, राजस्व विभाग के अधिकारी उसके कागजात जमीन मालिक को दे देते हैं. इसे साइट पर जाकर डाउनलोड भी किया जा सकता है. ऐसे घरों के मालिकाना हक के लिए राज्य की सरकारें अपने अनुसार अपना कानून बना सकती हैं. हरियाणा की सरकार ने इसी आधार पर फैसला लेते हुए ऐसी जमीनों की जवाबदेही ग्राम पंचायतों के जिम्मे सौंप दी है. ऐसे में यहां किसी भी विवाद को हल करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की होगी. ग्राम पंचायतों को ऐसी जमीनों की जानकारी संबंधित राजस्व विभाग ही देगा.

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