इमरान ने बनाया यू-टर्न लेने का रिकॉर्ड! हुक्मरान को कोस रही अवाम

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान एक ऐसे पीएम हैं जो अपने ही देश में अपनी अवाम और मीडिया के बीच ही अपने यू टर्न वाले खास अंदाज के लिए बदनाम हैं. सत्ता में आने से पहले विपक्षी नेता के तौर पर जिन मुद्दों के लिए वो हुक्मरानों को कोसते थे, आज वही फैसले खुद इमरान ले रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 2, 2020, 06:24 AM IST
    1. इमरान नियाजी खान ने बनाया यू-टर्न लेने का रिकॉर्ड
    2. एक चाल से खुद को भी शिकायतों के भंवर से निकाल लिया
    3. नेशनल एकाउंटिबिलिटी ब्यूरो संशोधन अध्यादेश पास कर दिया
    4. भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए इमरान का घटिया प्लान
इमरान ने बनाया यू-टर्न लेने का रिकॉर्ड! हुक्मरान को कोस रही अवाम

नई दिल्ली: अपने एजेंडे से यू टर्न लेने के लिए बदनाम इमरान खान ने इस बार तो हद कर दी जब भ्रष्टाचार और घोटाले से जुड़े मुद्दे पर ऐसा यू टर्न लिया कि खुद को भी शिकायतों के भंवर से निकाल लिया. दरअसल भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर मुद्दे पर उन्होंने यू टर्न लेते हुए विवादास्पद NAB नैब यानी नेशनल एकाउंटिबिलिटी ब्यूरो संशोधन अध्यादेश पास कर दिया. सीधा-सीधा ये एंटी करप्शन बॉडी है.

इमरान नियाजी ने भ्रष्टाचार की पीठ थपथपाई!

नैब यानी राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो पाकिस्तान की ऐसी संस्था जो भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों पर बड़ी जांच और कार्रवाई के लिए जवाबदेह है. इसका सीधा मतबल ये है कि जिस कानून और संस्था के तहत उन्होंने भ्रष्टाचार की मुकालफत का ऐलान किया था, कई बड़े रसूखदारों लोगों पर भ्रष्टाचार को लेकर नैब के केस चल रहे थे, उनमें से कईयों को एक झटके में छूट दे दी गई है. जिनमें उनके मंत्री से लेकर इमरान खान खुद भी शामिल हैं.

NAB में क्या हुआ बदलाव?

इस अध्यादेश के तहत एंटी करप्शन बॉडी अब सरकार कर्मचारियों और व्यापारियों के खिलाफ सीधा एक्शन नहीं ले सकता है. किसी घोटाले की शिकायत के बावजूद उनकी संपत्ति बिना कोर्ट की इजाजत के जब्त नहीं की जा सकती है. और सबसे अहम ये कि अब नैब 500 मिलियन पाकिस्तानी रुपए से ऊपर के भ्रष्टाचार के केसेज देखेगी. 

जाहिर सी बात है कि नैब में बदलाव के लिए इमरान सरकार संसदीय समिति के पास जाती तो नाकाम रहती, सरकार खुद के घोटाले से बच निकलना चाहती है ऐसे आरोपों में घिर जाती. इसीलिए इमरान ने नैब में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया. अब विपक्ष ये पूछ रहा है कि क्या नैब सरकारी लोगों, न्यायपालिका, सेना, नौकरशाही और व्यापारियों की जवाबदेही के लिए नहीं, बल्कि केवल पीपीपी और पीएमएल-एन की जवाबदेही के लिए है. यानी क्या इमरान खान ने इसे सिर्फ विपक्षी नेताओं को घरने का हथियार बना दिया है?

क्या है इसल बदलाव की वजह?

दरअसल परवेज मुशर्रफ, नवाज शरीफ, और आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान की सियासत में कभी इन तीनों दिग्गज राजनेताओं की तूती बोलती थी. लेकिन इन दिनों तीनों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. एक पूर्व राष्ट्रपति को तो देशद्रोह के केस में फांसी की सज़ा भी हो चुकी है. मौजूदा समय में ये तीनों नेता लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं, और सभी अदालत की शरण में हैं. इन तीनों पर पाकिस्तान हुकूमत की नजर है. अब लोगों की यही शिकायत है कि नैब को कमज़ोर कर इमरान खान ने इसे सिर्फ सियासी बदले का हथियार भर बना दिया है.

अब पाकिस्तान में विपक्ष और आम अवाम के साथ ही मीडिया भी हैरान है कि कैसे कोई इतनी तेजी से अपनी बातों से पलट सकता है, जैसी फितरत इमरान रखते हैं.

अवाम के गुनहगार हैं इमरान

दरअसल पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है. इमरान सरकार ने टैक्स में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है. लोगों के पास रोजगार नहीं हैं, उद्योग धंधे लगातार चौपट हो रहे हैं.  दरअसल इन हालात में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के सामने गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. ऐसे में इमरान ने अब तुष्टिकरण की नीति अपना ली है. जिन नेताओं के खिलाफ, जिन मुद्दों के खिलाफ वो आग उगलते थे. अब एक-एक कर उन सभी से समझौते कर अपने खिलाफ जा रहे हालात बिगड़ने से बचाना चाहते हैं.

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इमरान कहीं खुद ना फंस जाएं इस चक्कर में ऐसे-ऐसे फैसले ले रहे हैं. जिनपर उनके करीबी भी हैरान हो गए हैं. जितनी तेजी से इमरान खान हर मुद्दे पर यू टर्न लेने का रिकॉर्ड बना रहे हैं, उतनी ही तेजी से पाक अवाम में उनका इकबाल खत्म होता जा रहा है. वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान की अवाम खुद इमरान को सत्ता से बेदखल कर दे.

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