Armenia के खिलाफ लड़ने पहुंचे पाकिस्तानी अफगानी आतंकी, गुस्सा हुआ रूस

अजरबैजान के लड़ाके 'आतंकियों' का आर्मेनिया के खिलाफ लड़ने के लिए अजरबेजान पहुंचना अच्छा नहीं लगा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 3, 2020, 11:55 AM IST
    • पुतिन ने की आर्मेनिया के प्रधानमंत्री से बात
    • क्रेमलिन ने जारी किया बयान
    • अब रूस और तुर्की में हो सकती है जंग
Armenia के खिलाफ लड़ने पहुंचे पाकिस्तानी अफगानी आतंकी, गुस्सा हुआ रूस

नई दिल्ली.    पाकिस्तान की इस हरकत को माफ़ नहीं किया जाना चाहिए. यूनाइटेड नेशंस में पाकिस्तान को बड़ी सजा दी जानी चाहिए. पाकिस्तान ने तीन सौ अफगानी-पाकिस्तानी आतंकियों को अजरबेजान भेजा है. ये आतंकी आर्मेनिया के खिलाफ लड़ेंगे. रूस के राष्ट्रपति ने इस बात पर नाराज़गी जाहिर की है.

पुतिन और आर्मेनिया के पीएम से की बात  

पाकिस्तान अब अपनी हदें पार करता दिखाई दे रहा है. लेकिन उसे ये समझ नहीं आ रहा कि दुनिया की नज़र है उस पर. मध्यपूर्व से आये आतंकियों के आर्मेनिया के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी चिंता जाहिर की है. इस विषय पर गंभीर हो कर पुतिन आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोलियन पशिनियन से भी फोन पर बात की और सारे हालात की जानकारी ली.

क्रेमलिन ने जारी किया बयान 

रूस ने मध्यपूर्व से आतंकियों के आर्मेनिया के खिलाफ लड़ाई लड़ने को एक गंभीर चिंता का विषय माना है. इस बात पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार 2 अक्टूबर को आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोलियन पशिनियन को फोन करके उनसे स्थिति की जानकारी प्राप्त की. इस पर बयान जारी करते हुए क्रेमलिन ने कहा है कि  नागोर्नो-कराबाख के क्षेत्र में जारी युद्ध को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोलियन पशिनियन के बीच छह दिनों में तीसरी बार फोनवार्ता हुई है. 

रूस और तुर्की में हो सकती है जंग

अब हालत ये है कि रूस और तुर्की में कभी भी जंग हो सकती है. आर्मेनिया और अजरबैजान में गम्भीर्य होते जा रहे युद्ध के परिणामस्वरुप अब तुर्की के इसमें कूदने का खतरा पैदा हो गया है. आर्मेनिया का समर्थन रूस कर रहा है तो वहीं अजरबैजान के साथ नाटो देश तुर्की और इजरायल खड़े हुए हैं. सामरिक तौर पर आर्मेनिया और रूस एक हैं क्योंकि इनके बीच पारस्परिक रक्षा संधि अस्तित्वमान है. ऐसी हालत में यदि अजरबैजान के हमले आर्मेनिया की सरजमीं पर हुए तो रूस की सेना मोर्चा संभालने के लिए आ सकती हैं.

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