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नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अब से कुछ घंटे बाद देश का आम बजट (Budget 2020-21) पेश करेंगी. ये बजट अब तक पेश किए गए बजट से काफी अलग होने वाला है क्योंकि इसे कई चुनौतियों के बीच पेश किया जा रहा है. सबसे बड़ी चुनौती कोरोना महामारी है, जिससे देश धीरे-धीरे उबरकर अब वैक्सीनेशन की दिशा में बढ़ चुका है. सोमवार को वित्त मंत्री देश के विभिन्न सेक्टर्स के लिए बजट का आवंटन करेंगी. बता दें कि इस बार बजट की पेपर प्रिंटिंग नहीं होगी, बल्कि डिजिटल तरीके से बजट डॉक्यूमेंट्स मुहैया कराए जाएंगे. सरकार ने बजट के लिए एक नया मोबाइल ऐप भी डेवलप किया है.
शुक्रवार को सरकार ने अपना आर्थिक सर्वेक्षण-2021 पेश किया था, जिसमें तमाम चुनौतियों के बीच सरकार ने जज्बा दिखाया है कि वो आगे बढ़ेंगे और इस मुश्किल दौर से निकल जाएंगे. सर्वेक्षण की सबसे मुख्य बात यही है कि भारत अगले दो वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभर सकता है. सर्वे के मुताबिक 2021-22 में देश की आर्थिक तरक्की की रफ्तार 11 परसेंट रहने की उम्मीद है, यह तब है जब CMIE के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 2020 में कुल 2.1 करोड़ नौकरियां खत्म हो गईं. उस तिमाही में जीडीपी 23.9 परसेंट नीचे गई और सर्वे के मुताबिक 2020-21 में जीडीपी 7.7 परसेंट सिकुड़ने की आशंका है.
सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास ने वित्त मंत्री से ढेरों उम्मीदें (Expectation From Budget 2021) लगा रखी हैं. सैलरीड क्लास चाहता है कि वित्त मंत्री इनकम टैक्स में राहत को लेकर कोई बड़ा ऐलान करें. इनकम टैक्स में मिल रही 2.5 लाख रुपये की बेसिक छूट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये तक कर दिया जाए. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार बजट में इनकम टैक्स स्लैब में खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास को इनकम टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, लेकिन बजट में सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत राहत मिलने की उम्मीद जरूर कर सकते हैं.
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हालांकि कुछ टैक्स एक्सपर्ट को लगता है कि टैक्स स्लैब में बदलाव की गुंजाइश अब भी है. मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक 2.5 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगता है, 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक 5 परसेंट टैक्स लगता है, 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक 20 परसेंट टैक्स है, फिर 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक 20 परसेंट टैक्स है. यानी 5 परसेंट के बाद सीधा 20 परसेंट का टैक्स, ये काफी बड़ा अंतर है. इसलिए सरकार के टैक्स स्लैब में बदलाव का विकल्प रहेगा.
टैक्स एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बजट में सेक्शन 80C की लिमिट को बढ़ाकर 2.5-3 लाख रुपये तक किया जा सकता है. अभी इसमें 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. इसके पीछे तर्क ये है कि 80C में जरूरत से ज्यादा टैक्स विकल्पों की भरमार है, इसलिए इसकी लिमिट बढ़ानी चाहिए. ELSS, PF, टर्म प्लान का प्रीमियम, बच्चों की फीस, होम लोन रीपेमेंट समेत 10 ऐसे खर्चे हैं जिन्हें 80C में डाला गया है.
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बजट में सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाली छूट की लिमिट भी बढ़ाने की मांग हो रही है. फिलहाल 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए यह छूट 25 हजार रुपये है. लोगों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर देना चाहिए. इसके पीछे बढ़ते मेडिकल खर्चों का हवाला दिया गया है. कोरोना वायरस महामारी के बीच लोगों के बीच मेडिकल इंश्योरेंस को लेकर सजगता भी बढ़ी है. अगर सरकार 80D की लिमिट को बढ़ाती है तो मेडिकल कवरेज का दायरा भी तेजी से बढ़ेगा.
टैक्स एक्सपर्ट्स मानते हैं कि वर्क फ्रॉम होम की वजह से सैलरीड क्लास के ऊपर अतिरिक्त खर्चों को बोझ पड़ा है, ऐसे में सरकार बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर राहत दे सकती है. अभी सैलरीड क्लास को 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है. इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की मांग हो रही है.
उम्मीद है कि सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश पर 80CCD(1B) के तहत मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर सकती है. अभी NPS में निवेश पर 50,000 रुपये तक टैक्स छूट मिलती है. ये टैक्स छूट 80C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट के ऊपर है. यानी कुल छूट 2 लाख रुपये हो जाती है.
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मीडिया में खबरें हैं कि सरकार उन लोगों को राहत दे सकती है जिन्हें कोरोना के इलाज पर खर्च करना पड़ा है. सरकार कोरोना के इलाज में खर्च हुई राशि को टैक्स डिडक्शन में शामिल कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो उन सभी लोगों को बड़ी राहत मिल जाएगी जो कोरोना संक्रमित हो गए थे और इलाज में बड़ी रकम खर्च हो गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बजट में इसका ऐलान किया जा सकता है. इसके अलावा अपने रिसोर्सेज बढ़ाने के लिए सरकार बजट में कोविड बांड्स जैसी कोई नई कैटेगिरी के टैक्स सेविंग बांड्स ला सकती है. इन बांड्स पर सरकार टैक्स डिडक्शन की सुविधा दे सकती है.
कोरोना महामारी की वजह से इस बार के बजट में हेल्थ सेक्टर पर ज्यादा जोर रहने की उम्मीद है. मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिटारे से हेल्थ सेक्टर पर ज्यादा धन बरसेगा. फिलहाल जीडीपी का 1.4 फीसदी हिस्सा हेल्थ सेक्टर पर खर्च किया जा रहा है लेकिन उम्मीद है कि सरकार इसे बढ़ाकर दोगुना कर सकती है क्योंकि सरकार का लक्ष्य 2024 तक जीडीपी का 4 फीसदी हिस्सा हेल्थ सेक्टर पर खर्च करना है.
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार अब KCC की लिमिट और बढ़ाने जा रही है ताकि किसानों को और ज्यादा फायदा हो सके. किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 3 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है जो कि बाजार के मुकाबले बेहद कम ब्याज दर पर होता है. 7 फीसदी सालाना की ब्याज दर पर KCC के जरिए किसान अपनी जरूरतों को पूरा कर लेते हैं. अगर समय से पहले KCC के लोन का भुगतान कर दिया जाए तो 3 फीसदी की अतिरिक्त छूट मिलती है. इसका मतलब ये होता है कि महज 4 फीसदी पर किसानों को साल भर के लिए लोन मिल जाता है. किसान क्रेडिट कार्ड से किसान अपनी फसल का बीमा भी करवा सकते हैं. किसी भी कारण से फसल नष्ट होने पर उनको मुआवजा भी दिया जाता है. बाढ़ (Flood) की स्थिति में फसल के डूबने से खराब होने या फिर सूखा (Drought) पड़ने पर फसल के जल जाने पर फसल बीमा (Crop Insurance) का फायदा भी किसानों को मिलता है.
कृषि लोन का लक्ष्य बढ़ाया जा सकता है. इस बार कृषि कानूनों के विरोध में जो माहौल देश में बना हुआ है, उसे देखते हुए मोदी सरकार बड़ा इजाफा करने जा रही है. खबरों की मानें तो सरकार वित्त वर्ष 2021-22 के लिए Agriculture Loan को 19 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा सकती है. आंकड़ों के लिहाज से बढ़ोतरी करीब 25 फीसदी हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो ये किसानों के हित में बड़ा कदम माना जाएगा.
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किसानों को PM Kisan Yojna के तहत मिलने वाली सालाना 6,000 रुपये की रकम को बढ़ाया जा सकता है, मीडिया रिपोर्ट्स और इकॉनॉमिस्ट्स का मानना है कि इसे बढ़ाकर 10,000 रुपये किया जा सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि 6,000 रुपये की रकम काफी नहीं है, सरकार ये रकम तीन किस्तों में जारी करती है, यानी महीने के हिसाब से ये सिर्फ 500 रुपये बैठता है. इसे बढ़ाने की जरूरत है.
कुसुम योजना में विस्तार को लेकर भी बड़ी घोषणा कर सकती है. इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर सोलर पैनल उपलब्ध कराया जाता है जिससे किसान बिजली तैयार करते हैं. किसानों इस बिजली का खुद भी इस्तेमाल करते हैं और सरप्लस बिजली को बेच भी सकते हैं, जिससे उनकी कमाई होती है. सरकार इस योजना के लिए आंवटित राशि में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर सकती है. पीएम कुसुम योजना के तहत करीब 20 लाख किसानों को सोलर पंप मुहैया कराया जा चुका है.
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सूत्रों का अनुमान अगर सही रहा तो फर्नीचर (Furniture) का कच्चा माल, कॉपर स्क्रैप, केमिकल, टेलीकॉम उपकरण और रबर प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि पॉलिश किए गए हीरे, रबड़ के सामान, चमड़े के कपड़े, दूरसंचार उपकरण और कालीन जैसे 20 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क में कटौती की जा सकती है. इसका असर तैयार सामानों की कीमतों पर दिख सकता है. कस्टम ड्यूटी घटने से कुछ सामान सस्ते हो सकते हैं. इसके अलावा फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ रॉ मैटीयिरल जैसे रफ वुड, स्वान वुड और हार्ड बोड पर कस्टम ड्यूटी हटाई जा सकती है. यानी कुछ बिना रंदी लकड़ियों और हार्डबोर्ड आदि पर सीमा शुल्क पूरी तरह खत्म किया जा सकता है.
केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता कोरोना वायरस की वजह से पिछले साल रोक लिया गया था. अगर सरकार जुलाई से दिसंबर 2020 के दौरान 4 परसेंट DA कटौती को फिर से देना शुरू कर देती है और जनवरी से जून 2021 के महंगाई भत्ते में 4 परसेंट बढ़ोतरी कर देती है तो केंद्रीय कर्मचारियों को सीधा 8 परसेंट DA बढ़ोतरी का फायदा मिलेगा. यानी अभी 17 परसेंट के हिसाब से DA मिलता है, लेकिन बढ़ोतरी के बाद ये 25 परसेंट हो जाएगा. यानी केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर्स को मिलने वाली पेंशन में अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है.
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रियल एस्टेट सेक्टर की संस्था The Confederation of Real Estate Developers' Associations of India (CREDAI) ने वित्त मंत्री के सामने अपनी मांगे रखी हैं. CREDAI ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सुझाव दिया है कि कल के बजट में टैक्स छूट की सीमा (tax exemptions) को बढ़ाया जाए, ताकि हाउसिंग डिमांड में बढ़ोतरी हो, साथ ही 80C के तहत होम लोन रीपेमेंट के प्रिसिंपल पर मिलने वाली टैक्स छूट को भी बढ़ाया जाए. मौजूदा समय में हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है, जो कि 80C में आने वाले दूसरे टैक्स सेविंग के साथ है. CREDAI का सुझाव है कि 80C के तहत प्रिंसिपल रीपेमेंट पर मिलने वाली छूट की लिमिट को बढ़ाया जाना चाहिए, जो कि अभी सिर्फ 1.5 लाख रुपये है.
स्टार्टअप्स की वित्त मंत्री से बजट के लिए मांग है कि देश के सभी रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स के ESOP टैक्स बेनेफिट का दायरा बढ़ाया जाए, साथ ही एंजेल टैक्स में राहत के लिए इंटर मिनिस्टीरियल बोर्ड सर्टिफिकेट की शर्त को खत्म किया जाए. सुपर रिच सरचार्ज को वापस लिया जाए.
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