रेलवे (Railway) ने यात्रियों के लिए लॉकडाउन खुलने के बाद स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिसकी वजह से टिकटों (Rail Tickets) की डिमांड काफी ज्यादा है, दलाल (Touts) रेल यात्रियों की जरूरत का फायदा उठाकर उन्हें नकली टिकट बेच रहे हैं. सेंट्रल रेलवे ने गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है.
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नई दिल्ली: Central Railway ने जून से लेकर अबतक नकली टिकटों (Fake Tickets) के 428 मामलों का खुलासा किया है. जिसमें से 102 टिकट AC क्लास के थे. Mumbai Mirror में छपी एक खबर के मुताबिक रेलवे के अधिकारी ने बताया है कि दलाल टिकट विंडो (Ticket Window) पर बेचे गए टिकटों का डाटा चुराकर दलाल उसकी कॉपी बनाते हैं.
नकली टिकटों के इस गोरखधंधे की वजह से एक ही सीट (Berth) के लिए दो यात्रियों के बीच झगड़े भी हुए हैं. भारतीय रेल (Indian Railway) के अधिकारी ने बताया कि जबतक रेलवे की सेवाएं शुरू नहीं हो जाती हैं, वेटिंग टिकट नहीं जारी नहीं किए जा रहे हैं.
दलाल असली टिकट की जानकारी हूबहू से लगने वाले पेपर पर प्रिंट करते हैं. जिसमें PNR, ट्रेन और सीट का नंबर भी एक ही होता है. सिर्फ यात्री का नाम बदल दिया जाता है. ये तब पकड़ में आता है जब रेलवे स्टेशन पर लगे चार्ट में नकली टिकट वाले यात्री का नाम नहीं होता और उसे ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया जाता.
Central Railway के अधिकारी ने बताया कि एजेंट्स के जरिए ट्रेन का टिकट बुक करने वाले रेलवे यात्री (Railway Passengers) को इस धोखाधड़ी का अंदाजा नहीं होता है, और जब वो चार्ट में अपना नाम नहीं देखता तो रेलवे को इसके लिए दोषी ठहराता है. ऐसी स्थिति टिकट चेक करने वाले TT के लिए भी काफी मुश्किल में डालने वाली होती है.
टीटी को दोनों यात्रियों के झगड़े को शांत करना होता है और ये भी तय करना होता है कि सीट का असली हकदार कौन है. रेलवे अधिकारी ने बताया कि ऐसे में नकली टिकट वाले यात्री को ट्रेन से उतार दिया जाता है, और उससे पेनल्टी भी वसूली जाती है.
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रेलवे की जांच टीम ने जून से लेकर अबतक ऐसे 100 मामलों की धरपकड़ की है, जिसमें 'सीनियर सिटीजन कोटा' का गलत इस्तेमाल करके टिकट बनाए गए. जो नकली टिकट बनाए गए वो रंगीन पेपर पर प्रिंट किए गए, जो बिल्कुल असली जैसे दिखते हैं. सिर्फ इसमें नाम और उम्र बदला हुआ होता है.
एक जांच अधिकारी ने बताया कि पहले दलाल सीनियर सिटीजन कोटा में टिकट बुक करते हैं, फिर इन टिकटों को स्कैन करके सॉफ्टवेयर की मदद से उम्र और नाम बदल दिए जाते हैं, फिर इनका कलर प्रिंटआउट निकाल लिया जाता है.
रेलवे अधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन हटने के बाद लोग वापस काम पर लौटने लगे हैं, जिससे टिकटों की डिमांड बढ़ी है, इसी का फायदा ये दलाल उठा रहे हैं. सेंट्रल रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर शिवाजी सुतार कहते हैं कि यात्रियों को वैध टिकट के साथ ही सफर करना चाहिए और टिकट बुकिंग के लिए दलालों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.