वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शुद्ध लाभ 10362 करोड़ रुपये
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वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शुद्ध लाभ 10362 करोड़ रुपये

कंपनी के खुदरा कारोबार का मुनाफा 77 प्रतिशत बढ़कर 1,923 करोड़ रुपये और दूरसंचार क्षेत्र का मुनाफा 78.3 प्रतिशत बढ़कर 2,665 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज का बीते वित्त वर्ष (2018-19) की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) का शुद्ध लाभ 9.8 प्रतिशत बढ़कर 10,362 करोड़ रुपये के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. कंपनी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. कंपनी ने कहा कि कच्चे तेल के शोधन और पेट्रोरसायन कारोबार के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद खुदरा और दूरसंचार क्षेत्र का कारोबार बढ़ने से उसका शुद्ध लाभ बढ़ा है. पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले 9.8 प्रतिशत बढ़कर 10,362 करोड़ रुपये यानी 17.5 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया. 

 खुदरा कारोबार का मुनाफा 77 प्रतिशत बढ़ा
एक साल पहले इसी तिमाही में यह 9,438 करोड़ रुपये यानी 15.9 रुपये प्रति शेयर रहा था. चौथी तिमाही के दौरान कंपनी की आय 19.4 प्रतिशत बढ़कर 1,54,110 करोड़ रुपये रही. कंपनी के खुदरा कारोबार का मुनाफा 77 प्रतिशत बढ़कर 1,923 करोड़ रुपये और दूरसंचार क्षेत्र का मुनाफा 78.3 प्रतिशत बढ़कर 2,665 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

जियो का चौथी तिमाही शुद्ध लाभ 840 करोड़ रुपये
वहीं, रिलायंस जियो की मार्च 2019 में समाप्त चौथी तिमाही (वित्त वर्ष 2018-19) का शुद्ध लाभ 64.7 प्रतिशत बढ़कर 840 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 510 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था. तिमाही के दौरान रिलायंस जियो की परिचालन आय 55.8 प्रतिशत बढ़कर 11,106 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 2017-18 की इसी तिमाही में 7,128 करोड़ रुपये रहा था. 

पूरे वित्त वर्ष में जियो का शुद्ध लाभ चार गुना बढ़ा
पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में रिलायंस जियो का शुद्ध लाभ चार गुना होकर 2,964 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 723 करोड़ रुपये था. 
मार्च तिमाही में कंपनी का कर पूर्व मुनाफा 2,585 करोड़ रुपये और पूरे वित्त वर्ष के लिए 8,704 करोड़ रुपये रहा. पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में रिलायंस जियो का परिचालन राजस्व 92.7 प्रतिशत बढ़कर 38,838 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 2017-18 में 20,154 करोड़ रुपये था.

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