पिछले 45 सालों के चरम पर बेरोजगारी दर, शहरों में स्थिति और गंभीर
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पिछले 45 सालों के चरम पर बेरोजगारी दर, शहरों में स्थिति और गंभीर

शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी तक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.3 फीसदी है.

 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही. (फोटो साभार फेसबुक)

नई दिल्ली: बेरोजगारी की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर  पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है. NSSO (नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस) की रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही जो 1972-73 के बाद सबसे अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी का नहीं होना शहरों में ज्यादा गंभीर है. उसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बेहतर है. शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी तक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.3 फीसदी है.

भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह बहुत तेजी से विकास कर रहा है. इसकी रफ्तार विश्व के अन्य देशों की तुलना में तेज है. लेकिन, जितने रोजगार की जरूरत है, उस अनुपात में रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं. फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि GDP की दर इसलिए बेहतर है क्योंकि निवेश से व्यापार तो बढ़ रहा है लेकिन, रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं.

मोदी सरकार की सबसे बड़ी समस्या का हल निकालेगा चीन

मोदी सरकार के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल करीब 11 मिलियन (1.1 करो़ड़) रोजगार के अवसर पैदा होने थे जो नहीं हो पाए. एक्सपर्ट का कहना है कि जब तक इंफ्रास्ट्रक्चर फील्ड में निवेश नहीं होगा, तब तक इस समस्या का हल संभव नहीं है. वैसे, इस मोर्चे पर चीन ने सकारात्मक रुख दिखाया है. पिछले दिनों ग्लोबल टाइम्स के हवाले से कहा गया कि वह चाहता है कि भारत में निवेश करे और सरकार की  चुनौतियों को हल करने में मदद करे.

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