18 दिन चले महाभारत के विनाशकारी युद्ध में जहां लाखों योद्धाओं ने गंवाई जान, वहां केवल ये 12 योद्धा बचे थे जीवित
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18 दिन चले महाभारत के विनाशकारी युद्ध में जहां लाखों योद्धाओं ने गंवाई जान, वहां केवल ये 12 योद्धा बचे थे जीवित

Mahabharata War Survivors: महाभारत के भीषण युद्ध में लाखों योद्धाओं ने अपनी जान गंवाई थी. ये युद्ध 18 दिनों तक चला था, जिसमें छल-बल के जरिए कई योद्धाओं को वीरगति प्राप्त हुई. लेकिन कुछ योद्धा ऐसे थे, जो इस युद्ध के बाद भी जीवित रह गए थे, जिनके बारे में आप यहां जान सकते हैं.

18 दिन चले महाभारत के विनाशकारी युद्ध में जहां लाखों योद्धाओं ने गंवाई जान, वहां केवल ये 12 योद्धा बचे थे जीवित

Who Survived in Mahabharata War: महाभारत के 18 दिन चले विनाशकारी युद्ध के बाद अधिकांश योद्धा मारे गए, लेकिन कुछ प्रमुख योद्धा इस युद्धा के बाद जीवित भी बचे थे. इस युद्ध में पांडवों और कौरवों की तरफ से लाखों योद्धाओं ने अपनी जान गंवाई थी, लेकिन 12 योद्धा ऐसे थे जो इस भीषण युद्ध के बाद भी जीवित बच गए थे और उनका जीवन आगे भी कई महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा रहा. आइए इनके बार में विस्तार से जानें.

1. श्रीकृष्ण 
भगवान कृष्ण, जो इस युद्ध में अर्जुन के सारथी और रणनीतिकार थे, वह युद्ध के बाद भी जीवित रहे. उन्होंने युद्ध के बाद पांडवों को न्याय दिलाने और धर्म की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

2. पांडव पांचों भाई (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव)
महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के पांचों भाई जीवित रहे. युद्ध में उनकी बड़ी भूमिका थी और अंततः युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने. पांचों पांडवों ने धृतराष्ट्र और गांधारी के साथ न्यायपूर्वक व्यवहार किया और युद्ध के बाद राज्य की बागडोर संभाली.

3. कृपाचार्य
कृपाचार्य कौरवों के गुरु और प्रमुख आचार्यों में से एक थे. वे युद्ध के बाद भी जीवित बचे और उन्हें चिरंजीवी (अमर) माना जाता है. कृपाचार्य ने युद्ध के बाद परीक्षित (अभिमन्यु के पुत्र) का मार्गदर्शन किया और उन्हें शिक्षा दी.

4. अश्वत्थामा
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा युद्ध के अंत तक जीवित रहे. युद्ध के बाद उन्होंने पांडवों के शिविर पर रात में हमला किया और द्रौपदी के पांच पुत्रों की हत्या कर दी. इसके बाद, भगवान कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया कि वे अनंत काल तक धरती पर भटकते रहेंगे.

5. कृत्तवर्मा
कृत्तवर्मा, जो कौरवों की ओर से लड़ रहे थे, युद्ध के बाद भी जीवित बचे. वे यदुवंशी थे और अंत में यादवों के आपसी संघर्ष में मारे गए. उनका भी युद्ध के बाद महत्वपूर्ण योगदान रहा.

6. युयुत्सु
युयुत्सु, जो धृतराष्ट्र के पुत्र और कौरवों के भाई थे, उन्होंने युद्ध में कौरवों के बजाय पांडवों का साथ दिया. वे भी महाभारत युद्ध के बाद जीवित बचे और हस्तिनापुर में प्रमुख भूमिका निभाई.

7. कृपाराज (सात्यकी)
सात्यकी, जो यादव वंश के योद्धा और भगवान कृष्ण के घनिष्ठ साथी थे, पांडवों की ओर से लड़ते हुए युद्ध के अंत तक जीवित रहे. वे एक महान धनुर्धर और योद्धा थे.

8. वृषकेतु
वृषकेतु कर्ण के नौ पुत्रों में से एक थे. वह कर्ण के एकमात्र पुत्र थे, जो युद्ध में जीवित बचे थे. वह कौरवों की ओर से लड़े थे. हालांकि, बाद में अर्जुन को पता चला कि कर्ण उनका असली बड़ा भाई था, तो अर्जुन ने वृषकेतु को अपनी सुरक्षा में ले लिया. युद्ध के बाद वृषकेतु ने कई लड़ाइयों में भाग लिया, लेकिन बाद में अश्वमेध यज्ञ के दौरान अर्जुन के पुत्र बभ्रुवाहन ने उसका वध कर दिया.

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