Allahabad Lok Sabha Chunav: इलाहाबाद में का माहौल बा... अमिताभ बच्चन के बाद पहली बार फाइट में दिख रही कांग्रेस
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Allahabad Lok Sabha Chunav: इलाहाबाद में का माहौल बा... अमिताभ बच्चन के बाद पहली बार फाइट में दिख रही कांग्रेस

Allahabad Election 2024: साल 1984 के बाद इलाहाबाद सीट कांग्रेस के हाथ से ऐसी फिसली कि आज तक वो सूखा खत्म नहीं हो सका. इस बार लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग 25 मई को है. वोटर खामोश हैं लेकिन चाय पे चर्चाओं में चचा लोग अपना तर्क और दावा जरूर रख रहे हैं. चिलचिलाती धूप में कैसा है इलाहाबाद का माहौल, पढ़िए. 

Allahabad Lok Sabha Chunav: इलाहाबाद में का माहौल बा... अमिताभ बच्चन के बाद पहली बार फाइट में दिख रही कांग्रेस

Allahabad BJP Congress Newsका गुरु, का माहौल बा इलाहाबाद में... तपती दुपहरी में सिर से गले तक गमछा लपेटे संगम नगरी में आजकल यही हॉट टॉपिक बना हुआ है. 1984 में अमिताभ बच्चन अपने शहर से चुनाव लड़ने आए थे. जिनका बचपना था वे उस यादगार चुनाव को आज भी नहीं भूले हैं. वो Kiss का किस्सा, वो दुपट्टा उड़ाना इलाहाबादियों को आज भी याद है. (स्टोरी पढ़िए) वह शानदार वोटों से जीते भी. आगे वीपी सिंह को जनता ने जिताया, तो भाई इस बार क्या मिजाज है? इस सवाल पर कच्ची सड़क दारागंज के प्रमोद शुक्ला से लेकर सिविल लाइंस के आइसक्रीम वाले सरदार अंकल भी खुलकर कुछ कहने से बचते हैं. 

समस्याएं सब गिनाते हैं, तारीफ के पुट मारते हैं फिर कहते हैं कि देखिए क्या होता है. वैसे यह जान लीजिए कि गंगा किनारे वाले चाय की दुकानों पर चुनावी अपडेट देते मिल जाएंगे. अल्लापुर हो या करछना का किनारा, डिबेट करना तो जैसे इनके खून में है. हालांकि अब खुलकर बातें कम हो रही हैं. हों भी क्यों? अब तो वोटिंग की तारीख बिल्कुल करीब आ गई है. ऐसे समय में वोटर जी खामोश हो जाते हैं भइया और विचार करने लगते हैं.  

भाजपा और कांग्रेस की सीधी लड़ाई

जी हां, इलाहाबाद सीट पर 25 मई को वोटिंग है. भाजपा ने यूपी के पूर्व स्पीकर केसरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी के तौर पर ब्राह्मण चेहरा मैदान में उतारा है. कांग्रेस की तरफ से गठबंधन उम्मीदवार उज्ज्वल रमण सिंह हैं जिनके पिता दो बार यहां से सासंद रहे हैं. बसपा से रमेश कुमार पटेल को टिकट मिला है. 

पीएम मोदी भी रैली करने आए

एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयागराज में थे. रैली में उन्होंने INDIA गठबंधन विशेष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधा. '400 पार' पर संविधान बदलने के कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले की चर्चा छेड़ दी. वो फैसला जिसने भारत की राजनीतिक दिशा बदल दी. पीएम ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कांग्रेस की तानाशाही पर लगाम लगाई थी. रायबरेली में लोकतंत्र को लूटने की कोशिश की गई थी. हाई कोर्ट ने चुनाव रद्द कर दिया और इंदिरा गांधी को चुनाव लड़ने से रोक दिया. उन्होंने कहा, 'इतने साल बीत गए, फिर भी कांग्रेस का चरित्र नहीं बदला.'

चुनाव लड़ने कांग्रेस में आए उज्ज्वल

उत्तर भारत में झुलसाने वाली लू चल रही है और सियासी गुणा-भाग अच्छे से समझने वाले इलाहाबाद के लोगों को अब दो दिन में फैसला करना है कि 25 को वोट किसे देना है. कांग्रेस उम्मीदवार उज्ज्वल रमण सिंह भूमिहार हैं और उनके पिता रेवती रमण सिंह सपा के दिग्गज नेता हैं. सपा से दो बार विधायक रहे उज्ज्वल चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में आए. खबर आई कि अखिलेश यादव ने बाकायदे इस पर सहमति जताई थी. मुलायम सिंह यादव की सरकार में उज्ज्वल ने पर्यावरण मंत्री के रूप में काम किया था. उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगा लीजिए कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जब आसपास की सभी सीटें भाजपा के पास चली गईं तो वह करछना से सपा के टिकट पर दोबारा जीते थे. 

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सपा-कांग्रेस के साथ आने से गठबंधन वोटर उत्साहित हैं. पांच विधानसभा क्षेत्रों में यहां शहरी और ग्रामीण वोटर मिले हुए हैं. ब्राह्मण, दलित और पटेल (ओबीसी) वोटरों का दबदबा है. उसके बाद बनिया और मुसलमानों का नंबर आता है. निषाद वोट बहुत कुछ निषाद पार्टी की तरफ झुकाव वाले हैं, जो एनडीए में शामिल है. 

गांव हमारा, शहर तुम्हारा

अगर आप यहां के पांच लोगों से राजनीति पर बात करेंगे तो जल्दी साफ हो जाएगा कि शहरी आबादी भाजपा की तरफ झुकाव रखती है और गांव में सपा, कुछ हद तक कांग्रेस के वोटर हैं. उज्ज्वल रमण ऐसे परिवार से आते हैं जिसका अपना वोटर बेस है. दशकों से राजनीति में हैं. 

पत्रकार ने बताया माहौल

प्रयागराज के एक वरिष्ठ पत्रकार जमीनी हकीकत बताते हुए कहते हैं कि कांग्रेस के लिए यही अच्छी बात है कि वह 1984 में अमिताभ बच्चन वाले चुनाव के बाद पहली बार फाइट में दिख रही है. वैसे कांग्रेस यहां नामभर की है लेकिन इस बार का समीकरण ऐसा बना है कि वह सीन में आ गई है. इसके पीछे वजह सपा का अपना वोट बैंक और उज्ज्वल रमण का सियासी कद है. जब उनसे भाजपा उम्मीदवार नीरज त्रिपाठी के बारे में पूछा गया तो वह झट से बोले कि उन्हें अपने पिता के नाम पर, पीएम मोदी और भाजपा के संगठन के नाम पर जो मिले...

भाजपा नेता कॉन्फिडेंट हैं

उधर, भाजपा के स्थानीय नेता श्यामधर मिश्रा दावा कर रहे हैं कि नीरज त्रिपाठी और फूलपुर सीट से प्रवीण पटेल जीत रहे हैं. भाजपाई तो मोदी के नाम पर वोट दे रहे हैं. उन्होंने फॉर्मूला समझाते हुए कहा कि प्रवीण पटेल के साथ बिरादरी वोट के साथ-साथ ब्राह्मण वोटर डटे हैं. इलाहाबाद में सवर्ण वोटर एकजुट होकर त्रिपाठी जी को वोट दे रहे हैं. 

तंज भी चल रहा

एक विपक्षी नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि नीरज त्रिपाठी को जानता कौन है, उन्हें अपने पिता के नाम पर टिकट मिला है और वोट भी मिलेगा. उन्होंने हंसते हुए कहा कि भाजपा ने नाम घोषित किया था तो लोग पूछने लगे कि ये कौन वाले नीरज हैं. दरअसल, शहर में इस नाम से कई नेता हैं. 

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