Pawan Singh BJP: बिहार की काराकाट लोकसभा इस बार भोजपुरी स्टार पवन सिंह के आने से काफी चर्चा में है. 1 जून को वोटिंग है, इससे पहले भाजपा ने पवन को पार्टी से निष्कासित कर दिया. पीएम की रैली दो दिन बाद होनी है. इससे पहले पार्टी ने यह कदम क्यों उठाया?
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Bihar Karakat Lok Sabha Chunav: भोजपुरी स्टार पवन सिंह को बीजेपी ने पार्टी से निकाल दिया है. वह काराकाट लोकसभा सीट से NDA उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतर गए थे. कुछ घंटे पहले उनके खिलाफ जारी भाजपा का लेटर सामने आया. पवन सिंह पर अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए यह कार्रवाई की गई है. बिहार BJP अध्यक्ष सम्राट चौधरी के आदेश से यह फैसला हुआ है. ऐसे में आम लोगों के मन में एक सवाल यह भी है कि आखिर पवन सिंह कैसे बीजेपी के लिए चुनौती बन गए थे. दरअसल, चूंकि वह पीएम मोदी की लगातार तारीफ कर रहे थे, ऐसे में एक तबका मानकर चल रहा था कि शायद अंदरखाने भाजपा का उन्हें सपोर्ट हो लेकिन ये सब अटकलें ही थीं.
रविंद्र सिंह भाटी के बाद पवन सिंह देश के दूसरे ऐसे नेता हैं, जिनकी सभा और रैली मे ऐसा जनसैलाब उमड पडता हैं!
शायद देश ने अब मन बना लिया हैं की युवा नेताओ को आगे लाना हैं!pic.twitter.com/IHyM6QBS5p— Ranvirsinh Jhala (कीर्तिगढ) क्षत्रिय परिवार (@ranvirsinh_zala) May 18, 2024
हवा बदलने आ रहे मोदी!
पवन सिंह से भाजपा ने ऐसे समय में कन्नी काटी है जब दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काराकाट आ रहे हैं. वह एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशावाहा के समर्थन में रैली करेंगे. कुशवाहा को उम्मीद है कि पीएम की रैली से काराकाट की हवा बदल जाएगी. ऐसे में पवन सिंह पर कार्रवाई भाजपा के लिए मजबूरी बन गई थी. पीएम जिस भी कैंडिडेट के लिए रैली करते हैं उसके साथ पूरी भाजपा का सपोर्ट दिखना चाहिए. ऐसे में पवन सिंह भाजपा में रहते हुए यहां लड़ते तो जनता में गलत संदेश जाता.
पवन सिंह की ताकत
फिल्मी सितारे हों या गायक, इनके साथ अपना फैन बेस चलता है. इसी को भुनाने के लिए पार्टियां इनका दिल खोलकर स्वागत करती हैं. अपने फैन बेस की बदौलत भोजपुरी गायक पवन सिंह अपनी रैलियों और रोडशो में भारी-भरकम जनसमूह खींच रहे थे. सोशल मीडिया और जमीन पर भी एनडीए का प्रचार थोड़ा फीका लग रहा था. यहां चुनाव 1 जून को है और भाजपा को उम्मीद है कि पीएम मोदी की 25 वाली रैली के बाद माहौल बदल जाएगा.
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वैसे, पवन सिंह की लोकप्रियता को देखकर ही भाजपा ने उन्हें आसनसोल लोकसभा सीट से टिकट दिया था, पर उन्होंने वहां से चुनाव लड़ने से मना कर दिया. कुछ समय बाद काराकाट से निर्दलीय आ गए. वह पीएम मोदी की तो तारीफ करते लेकिन भाजपा नेताओं से उनकी नहीं बनी.
पवन सिंह भले ही राजनीति में नए हैं लेकिन उन्होंने जोरदार तरीके से अपना प्रचार चला रखा है. उन्हें 'कैंची' चुनाव निशान मिला है. वह लोगों से वादा कर रहे हैं- हम करके दिखाएंगे. ग्राउंड पर लोग नया चेहरा, दिल में बसने की बात करते हुए पवन सिंह का सपोर्ट कर रहे हैं. एक वोटर ने कैमरे के सामने कहा कि पवन भैया भोजपुरी की शान हैं, उन्हें जिताएंगे.
आइल बा तोहार पवनवा
पवन की लोकप्रियता का आलम इस कदर है कि उनकी टीम ने चुनाव प्रचार के लिए जो गाना बनाया, वह भी पॉपुलर हो गया है. उसकी एक लाइन है- 'सुन ए मम्मी-मौसी, सुन ए संगी-साथी... आइल बा वोट मांगे तोहार पवनवा, मांगे ला घूमी-घूमी आशीर्वाद.' भोजपुरी गायक को यूथ का जबर्दस्त सपोर्ट जमीन पर देखने को मिला है. यही वजह है कि भाजपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.
यही नहीं, जिस तरह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए कुछ जगहों पर जेसीबी मशीनें खड़ी कर फूलों की बारिश की गई, कुछ वैसा ही सीन पवन सिंह की सभाओं में देखने को मिल रहा था. यह भी जिक्र करना जरूरी है कि फैन बेस के साथ क्षत्रिय वोटर भी खुलकर पवन सिंह का सपोर्ट करते दिखे हैं.
पवन सिंह के प्रति काराकाट की जनता का प्यार @PawanSingh909 pic.twitter.com/aGvsZXG5Pb
— क्षत्रिय मीडिया (@kshatriya_media) May 21, 2024
बिहार बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा की ओर से जारी आदेश में लिखा गया है, 'पवन सिंह लोकसभा चुनाव में एनडीए के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. उनका यह कार्य दल विरोधी है. उन्होंने यह कार्य पार्टी अनुशासन के विरुद्ध किया है, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है.'