जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, "भाजपा को मुबारकबाद देनी होगी, क्योंकि हम शायद यह उम्मीद नहीं कर रहे थे... कांग्रेस की तो सभी बातें बेबुनियाद साबित हुई..."
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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की बढ़त पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने उसे बधाई दी. साथ ही इंडी गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस की करारी हार पर तंज कसते हुए उसे आईना दिखाया. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में उमर अब्दुल्ला ने कहा, , "हमें अब बीजेपी को बधाई देनी होगी क्योंकि हमें इसकी उम्मीद नहीं थी. हम सुन रहे थे कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में आसानी से जीत जाएगी." ... उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि राजस्थान में भी वे आखिर में आगे रहेंगे. लेकिन नतीजों के बाद सारे दावे बेबुनियाद साबित हुए... मध्य प्रदेश में (बीजेपी के) 20 साल हो गए. ये अभी कार्यकाल का 5वां मौका है. यह सामान्य नहीं है. कांग्रेस नेतृत्व ने 6 दिसंबर को INDI गठबंधन की बैठक बुलाई है. यह अच्छा है कि उन्हें 3 महीने बाद फिर से इसके बारे में याद आया..."
नीतीश की पार्टी से कांग्रेस पर तंज की शुरुआत
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद से इंडी गठबंधन में सहयोगी दलों के कांग्रेस पर तंज कसने वाले बयानों की शुरुआत नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से हुई. जेडीयू के प्रदेश महासचिव निखिल मंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखकर कांग्रेस पर हमला बोला. अपने पोस्ट में उन्होंने कहा कि अब 'इंडिया गठबंधन' को नीतीश कुमार के मुताबिक चलना चाहिए. निखिल मंडल ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस पांच राज्यों के चुनावों में व्यस्तता की वजह से इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं दे पा रही थी. अब तो कांग्रेस चुनाव लड़ भी चुकी है और नतीजे भी सबके सामने हैं. निखिल मंडल ने कहा कि उनके नेता नीतीश कुमार ही इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं और नीतीश ही इस नैया को पार करा सकते हैं.
अखिलेश, ममता बनर्जी और केजरीवाल भी खफा
वहीं, चार राज्यों के चुनाव नतीजे से एक दिन और दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर 6 दिसंबर को बुलाई गई इंडी गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक से चार दिन पहले दूसरे सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को असहज करने वाला कदम बढ़ा दिया था. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस नेता कमलनाथ से जुबानी नोंकझोंक के बाद अब अखिलेश यादव ने उनको जवाब देने का मन बना लिया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्रों में अपनी पार्टी सपा को मजबूत करने के लिए खजुराहो में अपना कार्यालय खोलने के लिए जमीन खरीद लिया है. एमपी की राजधानी भोपाल में पहले से ही उनकी पार्टी सपा का प्रदेश मुख्यालय बना हुआ है. हालांकि, बाद में दोनों दलों ने मीडिया से कहा था कि इंडी गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बना है. इसके अलावा इंडी गठबंधन के प्रमुख सहयोगी दल टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ भी कांग्रेस के तनावपूर्ण रिश्ते हैं.