पिघल रही बर्फ.. मतलब दुनिया में कुछ नया होने वाला है? चीन पहुंचकर जिनपिंग से मिले अमेरिकी NSA
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पिघल रही बर्फ.. मतलब दुनिया में कुछ नया होने वाला है? चीन पहुंचकर जिनपिंग से मिले अमेरिकी NSA

Xi Jinping: इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बयान जो भी आए हों, लेकिन यह तो तय है कि अमेरिकी चुनाव से पहले यह मुलाकात रिश्तों की बर्फ पिघलाने की एक कवायद है. वैसे अमेरिका इस मुलाकात को राष्ट्रपति चुनाव के साथ नहीं जोड़ना चाहता लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

पिघल रही बर्फ.. मतलब दुनिया में कुछ नया होने वाला है? चीन पहुंचकर जिनपिंग से मिले अमेरिकी NSA

America-China Relation: अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की निगाहें चीन की राजधानी बीजिंग में हैं. कारण, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सबसे खास सिपहसालार और एनएसए जैक सुलिवन ने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी शी जिनपिंग से मुलाकात की है. दुनियाभर की मीडिया में इस मुलाकात की चर्चा है. वैसे तो बताया गया कि इस मुलाकात का उद्देश्य दोनों शक्तियों के बीच संवाद को खुला रखना है लेकिन इसके मायने निकाले जा रहे हैं. रूस.. ताइवान.. दक्षिण चीन सागर जैसे तमाम मुद्दों के बीच यह मुलाकात चर्चा में है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिश्तों की बर्फ पिघल तो रही है लेकिन इसका मतलब कतई सीधा नहीं है. 

बीजिंग में अमेरिका के एनएसए सुलिवन से मुलाकात

असल में हुआ यह कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में अमेरिका के एनएसए सुलिवन से मुलाकात की है. हाल के सालों में चीन और अमेरिका के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं. ऐसे में सुलिवन ने चीन की अपनी तीन दिवसीय यात्रा समाप्त की है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य सलाहकार के रूप में अपनी पहली चीन यात्रा पर आए सुलिवन ने इससे पहले विदेश मंत्री वांग यी और केंद्रीय सैन्य आयोग के एक वरिष्ठ जनरल से भी मुलाकात की.

एक नहीं बल्कि तमाम मुद्दों पर मतभेद रहे

पिछले कुछ सालों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है चीन और अमेरिका के बीच एक नहीं बल्कि तमाम मुद्दों पर मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. जिसकी शुरुआत 2018 में शुरू हुए व्यापार युद्ध से हुई और अब वैश्विक सुरक्षा के मामले भी जुड़ गए हैं जैसे कि दक्षिण चीन सागर पर चीन का दावा, ऑटोमोबाइल, सौर पैनल विनिर्माण जैसे मुद्दों पर औद्योगिक नीति भी शामिल है.  सुलिवन ने बीजिंग से रवाना होने से कुछ समय पहले कहा कि हमारा मानना है कि चीन के साथ प्रतिस्पर्धा संघर्ष या टकराव की ओर नहीं बढ़नी चाहिए. इसके लिए कूटनीति के माध्यम से जिम्मेदार प्रबंधन अहम है.

वैसे भी दोनों देशों की सरकारें अमेरिका में जनवरी में नए राष्ट्रपति के आने से पहले रिश्तों में उतार-चढ़ाव नहीं चाहती होंगी. सुलिवन ने कहा कि वे संबंधों को संभालने के लिए प्रतिबद्ध हैं. शी और बाइडन ने संबंधों को सुधारने के प्रयास में पिछले साल नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में मुलाकात की थी. 

चीन-अमेरिका संबंध बहुत बदल गए

उधर शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों की परिस्थितियां और चीन-अमेरिका संबंध बहुत बदल गए हैं, फिर भी चीन-अमेरिका संबंधों के स्थिर, स्वस्थ होने और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध रहने का चीन का लक्ष्य नहीं बदला है. वहीं सुलिवन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन इस महत्वपूर्ण संबंध को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रतिस्पर्धा संघर्ष या टकराव में न बदल जाए, और जहां हमारे हित संरेखित हों, वहां मिलकर काम किया जाए.

चुनाव से भी जोड़कर देख रहे एक्सपर्ट्स

फिलहाल इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बयान जो भी आए हों लेकिन यह तो तय है कि अमेरिकी चुनाव से पहले यह मुलाकात रिश्तों की बर्फ पिघलाने की एक कवायद है. वैसे अमेरिका इस मुलाकात को राष्ट्रपति चुनाव के साथ नहीं जोड़ना चाहता लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. ट्रंप पहले ही चीन को लेकर बहुत मुखर रहे हैं और जिनपिंग ने भी बहुत नरमी नहीं दिखाई थी. ऐसे में अब जबकि बाइडेन की पार्टी की तरफ से कमला हैरिस चुनावी मैदान में हैं, देखना होगा इस मुलाकात के मायने क्या हैं. क्या इस बात की भी संभावना है कि दुनिया के किसी बड़े मुद्दे पर दोनों महाशक्तियां कोई निर्णय लेने वाली हैं, ये भी देखना होगा.

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