मानव जीवन पर Climate Change का किस तरह पड़ता है असर? जानें
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मानव जीवन पर Climate Change का किस तरह पड़ता है असर? जानें

Effects Of Climate Change: क्‍लाइमेट चेंज मानव को होने वाली कई गंभीर बीमारियों का मुख्य कारण है. पर्यावरण में अधिक बदलाव ने लोगों की हेल्‍थ प्रॉब्‍लम्‍स को कई गुना तक बढ़ा दिया है. 

क्‍लाइमेट चेंज

Effects Of Climate Change: बीते कुछ सालों से देखा जा रहा है कि बिन मौसम अधिक बारिश, अधिक गर्मी और सर्दी पड़ने लगी है. ऐसी स्थिति में लोगों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. इसे क्‍लाइमेट चेंज कहा जाता है. इसकी मुख्‍य वजह ग्‍लोबल वार्मिंग है जिसपर काबू पाना बेहद जरूरी है. क्‍लाइमेट चेंज होने की वजह से मानव स्‍वास्‍थ्‍य अधिक प्रभावित होता है. जब अचानक से मौसम और पर्यावरण में जरूरत से ज्यादा बदलाव होते हैं तब व्यक्ति की हेल्‍थ प्रॉब्‍लम्‍स बढ़ जाती हैं. इसका उदाहरण बीते कुछ सालों में देखने को मिला. बिना मौसम बारिश, अधिक सर्दी या गर्मी होने की वजह से लोगों को कई तरह की गंभीर बीमारियां घेरने लगी हैं. इससे अस्‍थमा, स्‍किन एलर्जी और लंग्‍स प्रॉब्‍लम प्रमुख हैं. आइये विस्तार से जानें इसके बारे में.

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव
मौसम में बदलाव और प्राकृतिक आपदाओं का सीधा असर मानव जीवन पर पड़ता है. ये व्यक्ति के लिए दर्दनाक और तनावपूर्ण साबित हो सकती हैं. इन स्थितियों में मानव के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर गहरा प्रभाव पड़ता है. जानकारी के अनुसार, क्‍लाइमेट चेंज होने से सबसे अधिक प्रभाव लोगों के मस्‍तिष्‍क दिमाग पर पड़ता है. मौसम में अत्‍य‍धिक गर्मी का प्रभाव लोगों के मस्तिष्क पर पड़ता है. इससे आत्‍महत्‍या की दर बढ़ सकती है. सीडीसी के अनुसार, क्‍लाइमेट चेंज और बढ़ा हुआ तापमान व्यक्ति के दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल रहा है. यही कारण है कि अब मानसिक रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं.

बॉडी में इंफेक्‍शन का कारण           
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, क्‍लाइमेट चेंज होने से इंसेक्‍ट ट्रांसमिटेड इंफेक्‍शन की संभावनाएं अधिक होती हैं. क्‍लाइमेट चेंज के कारण किसी भी बीमारी की समय सीमा बढ़ सकती है. इससे इंसेक्‍ट इंफेक्‍शन भी फैल सकता है. वहीं बिन मौसम बारिश होने से वाटरबोर्न डिजीज और डायरिया होने का खतरा अधिक होता है.   

सांस संबंधी समस्‍याएं
बीते कुछ समय से वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि हुई है. जिसकी वजह से कई प्रकार की रेस्‍पिरेटरी यानी सांस संबंधित समस्‍याएं बढ़ने लगी हैं. हवा में धूल, ओजोन और महीन कणों का उच्‍च एयर क्‍वालिटी को कम कर सकता है. इससे खांसी, दमा, क्रोनिक ऑब्‍सट्रक्टिव पल्‍मोनरी डिजीज और गले में जलन, फेफड़ों में सूजन, कैंसर, छाती में दर्द, क्रोनिक अस्‍थमा और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है.

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