1984 सिख दंगा मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, 15 दोषियों को किया बरी
Advertisement
trendingNow1521856

1984 सिख दंगा मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, 15 दोषियों को किया बरी

दिल्ली हाइकोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में लगभग 83 लोगों को दोषी ठहराए जाने और पांच साल जेल की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था.

दोषियों ने निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी. (फाइल फोटो)
दोषियों ने निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में 15 दोषियों को बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को बरी करते हुए कहा कि पुलिस खुद मानती है कि दंगों में इन लोगो को किसी ने नहीं देखा है और ना ही किसी ने इनकी पहचान की है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बिना किसी सबूत के हाईकोर्ट ने इनको सजा कैसे दी. बता दें हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में आगजनी करने और सिख विरोधी दंगा भड़काने के आरोप में इन सभी लोगों को दोषी ठहराया था, लेकिन अब दोषियों के खिलाफ सबूत न होने होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने 15 आरोपियों को बरी कर दिया है.

राहुल की नागरिकता पर कंफ्यूजन, बताएं लंदन वाले सच्‍चे हैं या लुटियंस वाले: बीजेपी

हाइकोर्ट निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था
बता दें दिल्ली हाइकोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में लगभग 83 लोगों को दोषी ठहराए जाने और पांच साल जेल की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था. निचली अदालत ने घरों को जलाने और दंगों के दौरान कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए इन लोगों को दोषी ठहराया था. दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील की थी. हाइकोर्ट ने इन लोगों की अपीलों को खारिज कर दिया था और कोर्ट ने सभी दोषियों को चार हप्ते के भीत्तर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. बाद में इनमें में 15 दोषियों ने दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

मद्रास हाईकोर्ट की किरण बेदी को दो टूक, 'सरकार के रोजाना के कामकाज में दखल का हक नहीं'

88 लोगों ने की थी अपील
इससे पहले दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगा भड़काने, घरों को जलाने और धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में साल 1996 में 107 लोगों को 5 साल की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद 88 लोगों ने सज़ा के ख़िलाफ़ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी. इन सभी के खिलाफ 2 नवंबर, 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा करने का आरोप भी था. सिख दंगों के दौरान हुई हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था और करीब सौ घरों को जला दिया गया था. इस मामले में 95 शव बरामद होने के बाद भी किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे.

मायावती ने दी कांग्रेस को चेतावनी, कहा- 'सरकार को समर्थन जारी रखने पर पुनर्विचार करेंगे'

बता दें सिख विरोधी दंगे फैलाने के मामले में इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भावना के खिलाफ कृत्य करने का दोषी ठहराया था. हाईकोर्ट ने कहा कि कुमार को ताउम्र जेल में रहना होगा. सज्जन कुमार के साथ बलवान खोखर भी उम्रकैद की सजा काट रहा है.

(इनपुट सुमित कुमार)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news

;