खाना खाने से मना करने पर गई थी सेना की नौकरी, सुप्रीम कोर्ट से अब मिला इंसाफ
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खाना खाने से मना करने पर गई थी सेना की नौकरी, सुप्रीम कोर्ट से अब मिला इंसाफ

25 साल बाद जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आर्म्ड फोर्स टिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए सेना को आदेश दिया है कि नारायण सिंह को पेंशन समेत वह सभी लाभ दिए जाएं जो उसे  नौकरी पर बने रहने के बाद मिलने चाहिए थे.

सेना की तरफ से नौकरी से हटाने का ये फरमान तब मिला, जब पेंशन पाने के लिए जरूरी 15 साल की सेवा में केवल 17 महीने ही बचे थे. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: सेना के लांस दफेदार नारायण सिंह को जब खाना खाने का आदेश दिया गया तो उसने खाना खाने से इंकार कर दिया. एक फौजी को ऐसे ही आरोप के चलते 25 साल तक पेंशन की लड़ाई लड़नी पड़ी. 25 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आर्म्ड फोर्स टिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए सेना को आदेश दिया है कि नारायण सिंह को पेंशन समेत वह सभी लाभ दिए जाएं जो उसे  नौकरी पर बने रहने के बाद मिलने चाहिए थे.

उल्‍लेखनीय है कि 1980 में नारायण सिंह को ड्राइवर को नौकरी मिली थी. उसके बाद, उन्हें एएलडी की पोस्ट पर नियुक्त किया गया. पदोन्नति के बाद वह  लांस दफेदार के पद तक पहुंच गए. लेकिन  सेना की 13 साल की नौकरी के बाद 1994 में उन्हें अचानक हटा दिया गया. नौकरी से हटाने का ये फरमान तब मिला, जब पेंशन पाने के लिए जरूरी 15 साल की सेवा में केवल 17 महीने ही बचे थे. 

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नौकरी से हटाए जाने के पीछे कारण अनुशासनहीनता बताया गया. अनुशासनहीनता के आरोप लगाने के बाद उनके खिलाफ 4 रेड इंक एंट्री की गई है. हैरत की बात ये थी कि ये सारी रेड एंट्री 7 जून 1993 और 3 मई 1994 के बीच यानि सिर्फ 11 महीने के बीच दर्ज की गई थी. लांस दफेदार नारायण सिंह ने इंसाफ के लिए आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल का रुख किया. लेकिन, फैसला उनके हक़ में नहीं.आया.

उन्होंने फैसले के खिलाफ पुर्नविचार की मांग भी ट्रिब्यूनल से की, लेकिन उसे भी ठुकरा दिया गया. इसके बाद, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की. उनके वकील ने आरोप लगाया कि नारायण सिंह को नौकरी से हटाए जाने के पीछे एक मात्र वजह चार रेड एंट्री को बताया गया है. उनकी 13 साल की सेवा में कभी कोई कमी नहीं पाई गई और चारों रेड इंक एंट्रीज़ सिर्फ 11 महीने के भीतर दर्ज की गई. 

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उनके खिलाफ यह कार्रवाई सिर्फ इसलिए हुई, क्‍योंकि उन्होंने अपने एक कप्तान के उल्टे-सीधे आदेश मानने से इंकार कर दिया था. हालांकि, एडिशनल सॉलिसीटर जनरल केएम नटराज ने विरोध करते हुए कहा कि सेना में अनुशाशन को कायम रखने के लिए और सेना के नियमों के मुताबिक उन्हें हटाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों सुनने के बाद उन रेड एंट्री पर गौर किया, जिनका हवाला देकर उसे नौकरी से हटाया गया था. 

इन रेड एंट्री में से एक थी कि नारायण सिंह को जब खाना खाने का आदेश दिया गया तो उसने खाना खाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि जिस तरह के आरोपों में ये सभी रेड एंट्री की गई है, उनके चलते नौकरी से नहीं हटाया जाना चाहिए था. 17 महीने नौकरी से हटाए जाने के चलते उसे पेंशन भी नहीं मिल पाई.  

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कोर्ट ने नौकरी से हटाने का आदेश देने वाली अथॉरिटी को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी शख्स ने अपनी ज़िंदगी का बेहतरीन वक़्त और मुश्किल हालात में सेना को अपनी सेवाएं दी हैं. बहरहाल कोर्ट ने आर्म्ड फोर्स टिब्यूनल के आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही, सेना को आदेश दिया है कि नारायण सिंह को 4 महीने के अंदर  पेंशन समेत सभी लाभ दिए जाएं, जिनके नौकरी पर बने रहने की सूरत में वो हक़दार थे.

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