आलोक वर्मा VS राकेश अस्थाना: आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
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आलोक वर्मा VS राकेश अस्थाना: आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

जांच ब्यूरो के निदेशक आलोक कुमार वर्मा और ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था.

आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगाई की अध्‍यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक कुमार वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने के केन्द्र के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर आज (मंगलवार 8 जनवरी) फैसला सुनायेगा. जांच ब्यूरो के निदेशक आलोक कुमार वर्मा और ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था. दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे. वर्मा ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के एक और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के दो सहित 23 अक्टूबर 2018 के कुल तीन आदेशों को निरस्त करने की मांग की है. उनका आरोप है कि ये आदेश क्षेत्राधिकार के बिना तथा संविधान के अनुच्छेदों 14, 19 और 21 का उल्लंघन करके जारी किये गये.

  1. आलोक वर्मा का CBI निदेशक के रूप में 31 जनवरी को पूरा हो रहा है
  2. राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच हुआ था विवाद
  3. विवाद होने पर सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेजा

केन्द्र ने इसके साथ ही 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी एवं ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेन्सी के निदेशक का अस्थाई कार्यभार सौंप दिया था. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने पिछले साल छह दिसंबर को आलोक वर्मा की याचिका पर वर्मा, केन्द्र, केन्द्रीय सतर्कता आयोग और अन्य की दलीलों पर सुनवाई पूरी करते हुये निर्णय सुरक्षित रखा था. 

पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ की याचिका पर भी सुनवाई की थी. इस संगठन ने न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से राकेश अस्थाना सहित जांच ब्यूरो के तमाम अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया था.

वर्मा का सीबीआई निदेशक के रूप में दो साल का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है. उन्होंने केन्द्र के फैसले को चुनौती देने हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

केन्द्र ने शीर्ष अदालत के सामने वर्मा को उनकी जिम्मेदारियों से हटाकर अवकाश पर भेजने के अपने फैसले को सही ठहराया था और कहा था कि उनके और अस्थाना के बीच टकराव की स्थिति है जिस वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी ‘‘जनता की नजरों में हंसी’’ का पात्र बन रही है.

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था केन्द्र के पास ‘‘हस्तक्षेप करने’’ तथा दोनों अधिकारियों से शक्तियां लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजने का अधिकार है.

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