Supreme Court news: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI Dhananjaya Yeshwant Chandrachud) ने AG और SG दोनों से इस मसले का जल्द से जल्द न्यायगत समाधान निकालने के लिए कहा. उन्होंने कहा- 'लंबी सेवा के बाद जजों को इतनी कम पेंशन मिल रही है. वो भी बस 15 से 20 हजार रुपए की पेंशन में कैसे जिंदा रहेंगे.'
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Supreme Court High Court Judge Salary Pension: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने रिटायर्ड जजों की पेंशन को लेकर एक बार फिर चिंता जताई है. इससे 26 फरवरी को उन्होंने रिटायर्ड जजों की पेंशन का मुद्दा प्रमुखता से सुलझाने की चर्चा की थी. उस समय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में CJI की अगुवाई में जिला जजों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी. तब CJI ने कहा था कि जिला न्यायिक अधिकारियों को 20 से 30 साल की सेवा देने के बाद इतनी कम पेंशन मिलती है. उन्होंने केंद्र से इस मुद्दे का न्यायसंगत समाधान तलाशने को कहा. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि रिटायर जिला न्यायिक अधिकारियों को 19,000-20,000 रुपये की पेंशन मिल रही है.
HC में प्रमोटेड जिला जजों का कैसे होगा गुजारा: CJI
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रिटायर्ड हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को मिलने वाली 15,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच की मामूली पेंशन पर चिंता जताते हुए कहा कि इस कैटेगिरी में खासकर वो जज जिन्हें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपनी पूरी जिंदगी बिताने के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस के रूप में प्रमोशन मिलता है, रिटायरमेंट के बाद उनका काम कैसे चलेगा?
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ये चिंताएं CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने तब जताई, जब एमिकस क्यूरी के परमेश्वर ने जिला न्यायाधीशों की पेंशन से संबंधित मुद्दों के शीघ्र समाधान की मांग की, जो एचसी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त होते हैं. न्यायमित्र, जिला न्यायाधीशों की गरिमा के अनुरूप उनकी पेंशन में बढ़ोतरी की वकालत कर रहे थे.
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सीजेआई चंद्रचूड़ का भावपूर्ण अनुरोध
बेंच ने कहा, 'रिटायर जजों को लंबी सेवा के बाद 19,000-20,000 रुपये की पेंशन मिल रही है, उनका गुजारा कैसे होगा? यह ऐसा पद है जहां आप कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं हैं. आप अचानक वकालत के पेशे में नहीं जा सकते और 61-62 साल की उम्र में हाईकोर्ट जाकर वकालत नहीं शुरू कर सकते हैं.' इस विषय में न्याय मित्र नियुक्त किए गए वकील के. परमेश्वर ने सुनवाई के दौरान कहा कि जजों की न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पेंशन आवश्यक है.
इस सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दोनों बेंच के सामने उपस्थित थे. उसी समय CJI ने शीर्ष कानून अधिकारियों से इस जटिल मुद्दे के संतोषजनक समाधान के लिए अपनी विशेष योग्यता का उपयोग करने का भावपूर्ण अनुरोध किया. जब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए कुछ समय चाहिए, जिसमें भारी वित्तीय बोझ सहित कई आयाम हैं, तो सीजेआई ने कहा, 'मैं आपकी दुविधा को देखता हूं. लेकिन जिला न्यायपालिका के उन व्यक्तियों को देखें, जिनका एचसी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के बाद कार्यकाल चार से पांच साल से कम है. इन्हें 15-25 हजार रुपये की पेंशन मिलती है. जिला न्यायपालिका में उनके कार्यकाल की गणना नहीं की जाती है. हमारे पास ऐसे रिटायर्ड जजों की कई याचिकाएं पेंडिंग हैं.'
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CJI ने कहा, मेरी आप दोनों (AG और SG) से अपील है कि आप (मंत्रालय के) संबंधित अधिकारियों के साथ बैठें और उचित समाधान पर पहुंचने के लिए मुद्दे की जांच करें. इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी.
CJI को कितनी पेंशन मिलती है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक CJI को रिटायरमेंट के बाद हर महीने 1,40,000 रुपये और महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) पेंशन के तौर पर मिलता है. वहीं 20 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिलती है. रिटायरमेंट के बाद CJI के साथ उनके परिवार को केंद्रीय सिविल सर्विस के क्लास वन अफसर और उसके परिवार के बराबर मेडिकल सुविधाएं और सुरक्षा भी मिलती है.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ज जजों को कितनी पेंशन?
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हर महीने 2,50,000 रुपए मासिक वेतन मिलता है. इसके साथ ही करीब 34000 रुपये महीना सत्कार भत्ता मिलता है. रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज को सवा लाख रुपए प्रति महीने + महंगाई भत्ता, पेंशन के तौर पर मिलता है. 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी के तौर पर मिलते हैं. इसके अलावा मेडिकल फैसिलिटी भी मिलती है.
हाईकोर्ट के रिटायर्ज जजों को कितनी पेंशन?
हाई कोर्ट के जजों की बात करें तो उन्हें हर महीने 2,25,000 सैलरी मिलती है. वहीं 27000 प्रतिमाह सत्कार भत्ता भी मिलता है. रिटायरमेंट के बाद 1,12, 500 प्रतिमाह व महंगाई भत्ता पेंशन के तौर पर मिलता है. 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी और मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं.
CJI ने SG-AG से क्यों की इमोशनल अपील?
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों का वेतन-भत्ता और सुख-सुविधाएं अलग-अलग कानून से संचालित होती हैं. सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो सीजेआई और जजों की सैलरी, भत्ते जैसी चीजें सुप्रीम कोर्ट जजेज (सैलरीज एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 1958 (Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1958) के जरिए निर्धारित होती हैं. जबकि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों का वेतन-भत्ता हाई कोर्ट जजेज (सैलरीज एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 1954 (High Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1954) के जरिए तय होता है.
भारत सरकार उठाती है सैलरी-पेंशन का खर्च?
भारत सरकार के न्याय विभाग के मुताबिक जब भी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों की सैलरी या भत्ता बढ़ाने की बात आती है तो इन कानून में संशोधन करना पड़ता है. न्याय विभाग के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों का वेतन, पेंशन और भत्ता भारत सरकार अपने राजकोष से देती है. जबकि, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते राज्य सरकार अपने कोष से देती है. इनके पेंशन का खर्च भारत सरकार वहन करती है.
इसी वजह से सीजेआई चंद्रचूड ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल दोनों से उनकी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए बस 15 से 20 हजार रुपए पेंशन पाने वाले जजों की चिंता और दर्द को महसूस करने की इमोशनल बात कही है.