डियर जिंदगी: प्रेम देते नमक जितना हैं, चाहते थैला भर हैं
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डियर जिंदगी: प्रेम देते नमक जितना हैं, चाहते थैला भर हैं

हमने प्रेम के पैमाने बना लिए और प्रेम को जरूरतों के धागे से लपेट दिया.

ऐसा कौन है, जिसे प्रेम नहीं चाहिए. जो दोस्‍तों, परिजनों का स्‍नेह नहीं चाहिए. ऐसा कौन है, जो अपने आसपास, अपने प्रोफेशन में सबका दुलारा न बनना चाहे. लेकिन कर कितने पाते हैं. प्रेम वन-वे नहीं है, जिस पर बस एक तरफ का ट्रैफि‍क है. यह तो पूरी तरह वन-वे का उलटा है. इसके यहां तो वन-वे जैसा कोई विचार ही नहीं है. प्रेम के बारे में सबसे अधिक दुविधा की स्‍थि‍ति उनसे ही बनती है, जो अपने भीतर इसके सबसे अधिक स्‍टॉक होने का दावा करते हैं, लेकिन स्‍टॉक दूसरों के लिए जारी नहीं करते.

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अपने बारे में यही दावा करते दिखते हैं कि वह सबसे जिम्‍मेदार, पारिवारिक और दोस्‍तों के लिए कुछ भी कर गुजरने वाले व्‍यक्‍ति हैं. यह समय वैसे भी दावे करने वालों से लबालब है. हर कोई बस दावे किए जा रहा है. ऐसे में जीवन का सबसे खास तत्‍व प्रेम भी दावों के मायाजाल में फंस कर रह गया है. वह भी साबित होने के फेर में फंस गया है. 

हमने प्रेम के पैमाने बना लिए. प्रेम को जरूरतों के धागे से लपेट दिया. उसे डाटा सेंटर के हवाले कर दिया. डाटा सेंटर दिन रात एसएमएस (SMS) करके बताता रहता है कि हमारे प्रति किसका कितना 'प्रेम स्‍कोर 'है. उसी आधार पर हम मनुष्‍यों को महत्‍व देने लगे. वह जो सफल है, वह जो करियर में हमारी मदद कर सकता है. वह जिसका साथ कॉलोनी में खास होने का टैग दिलाता है. हम इन सबसे प्रेम करने में जुट गए. प्रेम का स्‍टॉक , अपने मूल दोस्‍तों, परिजनों के लिए बेहद सीमित कर दिया. प्रेम पर हमने फेसवॉश बेचने वाली कंपनियों की शैली में 'टर्म एंड कंडीशन' की ऐसी महीन बातें चस्‍पा कर दी हैं, जिन तक कम से कम वह तो न पहुंच सके, जो हमसे प्रेम करता हो. 

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हम जो भी पाना चाहते हैं, उसमें निवेश पहली शर्त है. हर संबंध में आपको कुछ देना ही होता है. यह बात हम माथे पर लिखे और उसका पॉवर प्‍वांइट प्रजेंटेशन लिए घूम रहे हैं मगर प्रेम को घर के डस्‍टबिन में डाल दिया है. कचरे वाला उसे किसी भी पल उठा कर ले जा सकता है. हमें उसकी उतनी ही फिक्र है, जितनी कचरे की होती है.

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प्रेम देते हम नमक जितना हैं लेकिन पाना उसे थैला भर चाहते हैं. हम उससे कहीं अधिक पाते हैं, जो देते हैं, बशर्ते हमने दिया सही भाव से हो. प्रेम की नाव के दो सबसे बड़े दुश्‍मन अपेक्षा और तुलना है. इन्‍हें जितना हम खुद से दूर रखेंगे, जीवन में प्रेम का निवेश करेंगे, उससे किसी और का भला हो न हो, जो प्रेम के साथ हैं, उसके पाले में हैं... उनका जीवन मजे में चलेगा. अब तय हमें करना है कि हमें आनंद में रहना है, अपने प्रेम के स्‍कोर को बढ़ाना है, या बस दूसरे के प्रेम की राह देखना है.

(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)

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