LGvsAAP: केजरीवाल बोले, '67 सीटों वाले दल को कोई अधिकार नहीं, 3 सीट वाले को सारे अधिकार'
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LGvsAAP: केजरीवाल बोले, '67 सीटों वाले दल को कोई अधिकार नहीं, 3 सीट वाले को सारे अधिकार'

आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अस्‍पष्‍ट बताया है. वहीं बीजेपी ने फैसले का स्‍वागत किया है.

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दी प्रतिक्रिया. फोटो ANI

नई दिल्‍ली : दिल्‍ली सरकार और उप राज्‍यपाल के अधिकारों को लेकर बीच चल रही बहस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया है. इस फैसले को आम आदमी पार्टी (आप) ने अस्‍पष्‍ट बताया है. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्‍होंने कहा, 'जब किसी सरकार को अपने अफसरों का ट्रांसफर करने का भी अधिकार न हो तो वह कैसे अपना कार्य कर सकती है?' केजरीवाल ने कहा कि जिस पार्टी के पास 67 विधानसभा सीटें है, उसके पास कोई अधिकार नहीं है. जबकि महज 3 सीटें जीतने वाले दल के पास सभी अधिकार हैं.

 

वहीं विपक्ष के महागठबंधन पर बात करते हुए केजरीवाल ने कहा 'हमारे मन में देश को लेकर बहुत ज्‍यादा चिंता है. उसी वजह से हम लालायित हैं. उन्‍होंने (कांग्रेस) लगभग मना कर दिया है. बता दें कि गुरुवार को दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने विरोधाभासी फैसला दिया है. जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफ़र का अधिकार केंद्र के पास हो या दिल्ली सरकार के पास, इस मामले में अलग-अलग मत व्‍यक्‍त किया है.

तीन सदस्‍यीय बेंच का गठन
दिल्‍ली में सर्विसेज का नियंत्रण किसके पास होगा, इस पर दोनों जजों की राय में मतभेद होने के कारण इसका फैसला अब सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्‍यों की बेंच करेगी. राज्‍य सूची में राज्‍य पब्लिक सर्विसेज की एंट्री 41 के अधीन दिल्‍ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों के संबंध में जस्टिस सीकरी और जस्टिस भूषण की राय भिन्‍न थी.

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फाइल फोटो

जस्टिस भूषण ने कहा कि दिल्‍ली सरकार के पास इस संबंध में कोई कार्यकारी शक्तियां नहीं हैं, जबकि जस्टिस सीकरी ने कहा कि ज्‍वाइंट सेक्रेट्री और उसके ऊपर की रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार उपराज्‍यपाल के पास रहेगा. उससे नीचे की रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार GNCTD के पास रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच कमीशन की नियुक्ति का अधिकार केंद्र के पास होगा. दिल्‍ली सरकार कमीशन ऑफ इन्‍क्‍वायरी एक्‍ट, 1952 के तहत इसकी नियुक्ति नहीं कर सकती. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्‍यपाल किसी भी मुद्दे पर अपनी राय बना सकते हैं लेकिन यहां 'किसी' का मतलब हर 'छोटे-मोटे मुद्दे' पर भी राय बनाने का नहीं है. उपराज्‍यपाल को रूटीन के कामकाज में हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहिए, बल्कि दिल्‍ली से जुड़े उन बुनियादी मसलों पर अपनी राय रखनी चाहिए जोकि राष्‍ट्रपति तक जा सकते हैं. उपराज्‍यपाल को फाइलें नहीं रोकनी चाहिए बल्कि कैबिनेट की भावना का सम्‍मान करना चाहिए.

आप ने बताया अस्‍पष्‍ट
दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला स्पष्ट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर खंडित फैसला दिया है. न्यायालय ने दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच शक्तियों के बंटवारे पर स्पष्टता का मामला बड़ी पीठ के पास भेज दिया है. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के लोगों की परेशानियां जारी रहेंगी. 

बीजेपी ने किया फैसले का स्‍वागत
बीजेपी की दिल्ली इकाई ने गुरुवार को फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर मौजूद संशय हट गए है. दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि ‘‘भ्रम या विवाद’’ के लिये अब कोई जगह नहीं होनी चाहिए और आप सरकार को विनम्रतापूर्वक उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को स्वीकार कर लेना चाहिए.

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बीजेपी ने किया फैसले का स्‍वागत. फाइल फोटो

उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर मौजूद संशय को हटाने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं. इस फैसले के बाद भ्रम या विवाद के लिये कोई जगह नहीं रहनी चाहिए. दिल्ली सरकार को विनम्रतापूर्वक इसे स्वीकार कर लेना चाहिए और राजधानी पर उसी तरह से शासन करना चाहिए जैसा कि उनके सत्ता में आने से पहले होता था.’’ 

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