उपराष्ट्रपति ने योग को स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की सिफारिश की.
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नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि योग सरकार या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कार्यक्रम नहीं है और उन्हें इसे अपनी भलाई के लिये करना चाहिए.
नायडू ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यहां लाल किले पर आयुष मंत्रालय और ब्रह्म कुमारी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया और योग को स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की सिफारिश की.
नायडू ने लोगों से योग को जन आंदोलन बनाने और यह समझने की अपील की कि यह सरकार अथवा प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम नहीं है.
'यह जन आंदोलन बन गया'
उन्होंने कहा, 'हमें यह देखना चाहिए कि यह जन आंदोलन बन गया. पीएम मोदी ने पहल की और योग को दुनिया भर में प्रचारित किया. लेकिन, हमें यह समझना चाहिए कि योग शरीर के लिए है न कि मोदी के लिए.'
उपराष्ट्रपति ने कहा, 'ऐसे समय में जब लोग दैनिक जीवन में जबरदस्त दबाव का सामना कर रहे हैं, योग के विज्ञान को अपनाने की सख्त जरूरत है. कोई भी इसे न केवल शारीरिक लाभ को प्राप्त करने के लिए उपयोग कर सकता है, बल्कि ज्ञानवर्धक विकल्प बना कर स्वस्थ जीवन की ओर भी बढ़ा जा सकता है.'
'योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है'
उन्होंने कहा कि योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जिसका आरंभ संभवत: पांचवीं सदी के आसपास भारत में हुआ. हमें इस समग्र अभ्यास को विद्यालयों के पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाकर इसे प्रचारित और संरक्षित करना चाहिये क्योंकि यह न सिर्फ शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती सुनिश्चित करता है बल्कि अनुशासन भी सिखाता है."