DNA ANALYSIS: सोशल मीडिया क्रांति ने कैसे पूरी तरह बदल दी आपकी दुनिया, 5 Points में समझें
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DNA ANALYSIS: सोशल मीडिया क्रांति ने कैसे पूरी तरह बदल दी आपकी दुनिया, 5 Points में समझें

इस समय पूरी दुनिया में सोशल मीडिया के कुल एक्टिव यूजर्स 420 करोड़ हैं, यानी दुनिया की कुल आबादी में इस समय लगभग 53 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया पर हैं.

DNA ANALYSIS: सोशल मीडिया क्रांति ने कैसे पूरी तरह बदल दी आपकी दुनिया, 5 Points में समझें

नई दिल्ली: कल 30 जून को पूरी दुनिया में World Social Media Day मनाया गया इसलिए आज हम इस विषय को लेकर आपसे छोटी सी चर्चा करना चाहते हैं.

दुनिया का सबसे पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

वर्ष 1997 में दुनिया का सबसे पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च हुआ था और इसका नाम था Six Degrees. अमेरिका के मशहूर कारोबारी एंड्रयू वीनरिच, उस समय सोशल नेटवर्किंग के लिए इस प्लेटफॉर्म को लाए थे और तब बहुत से लोगों ने उनसे कहा था कि इस समय दुनिया को ऐसे किसी प्लटफॉर्म की जरूरत नहीं है. लेकिन एंड्रयू वीनरिच दूरदर्शी थे और वर्ष 2001 तक Six Degrees के दुनियाभर में 10 लाख यूजर्स हो गए.

हालांकि बाद में ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद हो गया, लेकिन इस अध्याय का अंत, नए अध्याय की शुरुआत बना.

दुनिया में जैसे जैसे मोबाइल फोन का बाजार बड़ा होता गया, ठीक वैसे वैसे सोशल मीडिया की ताकत बढ़ती चली गई और 21वीं सदी में दुनिया ने सोशल मीडिया की क्रांति के साथ प्रवेश किया. वर्ष 2000 के बाद दुनियाभर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नई ऊंचाइयां छूते चले गए.

सोशल मीडिया क्रांति ने बदल दी दुनिया

सोशल मीडिया की क्रांति ने न सिर्फ दुनिया को बदला, बल्कि ये लोगों की सोच में भी परिवर्तन लाया और इससे दुनिया को ये भी पता चला कि कैसे इंटरनेट 21वीं सदी का नया ईंधन बन सकता है और ये लोगों को सोशल मीडिया के जरिए लिबरेट यानी स्वतंत्र करने का काम कर सकता है.

हम संक्षेप में आपको 6 पॉइंट्स में बताते हैं कि कैसे सोशल मीडिया ने दुनिया को बदल कर रख दिया है.

पहला पॉइंट है कि ये पूरी दुनिया को एक साथ एक मंच पर ले आया. सोशल मीडिया के माध्यम से संचार की सुविधा बहुत सरल हो गई और दिल्ली में बैठा एक व्यक्ति आसानी से अमेरिका में बैठे अपने मित्र और रिश्तेदार से बात करने लगा. ये उस समय का एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी बदलाव था, जिसने धीरे-धीरे कम्युनिकेशन यानी संचार का स्वरूप ही बदल दिया. सोशल मीडिया ने दुनिया को चिट्ठी, पोस्ट कार्ड, एसटीडी और आईएसडी कॉल के युग से बाहर निकालने का भी काम किया.

दूसरा पॉइंट सोशल मीडिया ने आम लोगों को अपनी आवाज बुलंद करने का मौका दिया और इससे कई प्रेशर ग्रुप्स बने, जिन्होंने अलग अलग देशों की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में बदलाव की नींव रखी. इसे आप कुछ उदाहरण से समझ सकते हैं.

क्रांति का टूल

इनमें पहला उदाहरण है अरब देशों का, जिसे Arab Spring कहते हैं. वर्ष 2011 में जब अरब देशों के लोगों को ये महसूस हुआ कि मेनस्ट्रीम मीडिया राजशाही और सैन्य शासन की वजह से उनके मुद्दों को नहीं उठा रहा तो लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया. उस समय ट्विटर पर 30 लाख ट्वीट हुए, हजारों घंटे के वीडियो यूट्यूब पर डाले गए और फेसबुक पर लाखों पोस्ट लिखी गईं. लोग इस तरह अपने अधिकारों और अपनी समस्याओं को लेकर सामने आए और इस क्रांति का टूल बना सोशल मीडिया.

ये सोशल मीडिया का ही प्रभाव था कि ​इजिप्ट और ट्यूनिशिया में कई दशकों के बाद वर्ष 2012 में चुनाव हो पाए.

इसी तरह महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध को लेकर वर्ष 2017 में सोशल मीडिया पर मी टू कैम्पेन शुरू हुआ. ये सोशल मीडिया की ही ताकत थी कि अक्टूबर 2018 तक सिर्फ ट्विटर पर दुनिया में मी टू पर 1 करोड़ 19 लाख ट्वीट हो चुके थे.

तीसरा पॉइंट है, सोशल मीडिया ने लोगों को सशक्त बनाया और अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूत किया.

चौथा पॉइंट सोशल मीडिया ने लोगों के फैसलों को प्रभावित करना शुरू कर दिया. आप क्या खरीदते हैं, कौन सा करियर चुनते हैं, किसे फैशन को फॉलो करना चाहते हैं और आपकी पसंद, नापसंद क्या है, इसको सोशल मीडिया ने प्रभावित करना शुरू कर दिया.

उदाहरण के लिए- एक रिपोर्ट कहती है कि आज कल लोग जो शॉपिंग करते हैं, उनमें सोशल मीडिया का प्रभाव 90 प्रतिशत होता है.

पांचवां पॉइंट है कि ये प्रतिभाशाली लोगों के लिए एक प्रभावशाली मंच बन गया.

आज सोशल मीडिया पर सिर्फ बड़े-बड़े सुपरस्टार, खिलाड़ी और सेलिब्रिटीज का ही अपना अकाउंट नहीं है, बल्कि छोटे गांवों में रहने वाले प्रतिभाशाली लोग भी सोशल मीडिया के जरिए लोकप्रिय हो रहे हैं. यानी सोशल मीडिया ने नए सेलिब्रिटीज बनाए हैं. अगर आज कोई प्रतिभाशाली है, अच्छा कलाकार है या गायक है, या फिर उसमें कोई और टैलेंट है तो वो व्यक्ति सोशल मीडिया पर अपने वीडियो डाल कर लोकप्रिय बन सकता है.

इसके अलावा जो लेखक और साहित्यकार पहले अपनी पुस्तक छपवाने के लिए पब्लिशिंग हाउस के चक्कर काटते रहते थे, वो अब सोशल मीडिया पर अपनी पूरी किताब डाल सकते हैं और इससे पैसे भी कमा सकते हैं.

और छठा पॉइंट ये है कि सोशल मीडिया लोगों के लिए करियर भी बन गया है. बहुत से लोग आज सोशल मीडिया पर अपना कंटेंट डाल कर पैसा कमा रहे हैं और आपको शायद पता नहीं होगा कि कनाडा के सिंगर जस्टिन बीबर सोशल मीडिया के जरिए ही इतने बड़े सुपरस्टार आज बन पाए हैं.

आज सोशल मीडिया ने काफी विशाल रूप ले लिया है.

दुनिया में सोशल मीडिया के कुल एक्टिव यूजर्स

इस समय पूरी दुनिया में सोशल मीडिया के कुल एक्टिव यूजर्स 420 करोड़ हैं, यानी दुनिया की कुल आबादी में इस समय लगभग 53 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया पर हैं. इन 420 करोड़ यूजर्स में से 98.8 प्रतिशत यूजर्स ऐसे हैं, जो मोबाइल फोन से इस माध्यम के साथ जुड़ते हैं. इसके अलावा एक दिलचस्प आंकड़ा ये है कि पूरी दुनिया में हर यूजर हर दिन औसतन 2 घंटे 25 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है. सोशल मीडिया की ताकत को आप कुछ टेक्नोलॉजी कंपनियों के कुल यूजर्स की संख्या से भी समझ सकते हैं.

इस समय दुनिया में सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक है, जिसके 274 करोड़ यूजर्स हैं. यानी भारत जितनी आबादी के दो देश फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म पर बसाए हुए हैं.

इस सूची में दूसरे स्थान पर यूट्यूब है, जिसके 229 करोड़ यूजर्स हैं और वाट्सऐप के 200 करोड़ यूजर्स हैं.

सोशल मीडिया से जुड़ी चुनौतियां

कहने का मतलब ये है कि सोशल मीडिया की अपनी एक दुनिया है और ये दुनिया काफी विशाल है, लेकिन इस पर गैर जिम्मेदार लोगों का भी अब प्रवेश हो चुका है. हम आपको सोशल मीडिया से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बताते हैं.

पहली चुनौती है, फेक न्यूज़. आज सोशल मीडिया, फेक न्यूज़ का अड्डा बन चुका है और इसीलिए कुछ लोग ये भी कहते हैं कि फेक न्यूज़ से बचने के लिए सोशल मीडिया डिस्टेंसिंग आज बहुत जरूरी हो गई है.

अमेरिका के MIT ने अपने एक अध्ययन में पाया था कि सोशल मीडिया के माध्यम से फेक न्यूज़ सही खबरों के मुकाबले में 70 प्रतिशत अधिक रफ्तार से फैलती हैं.

दूसरी चुनौती है, सोशल मीडिया की ट्रोल आर्मी. सोशल मीडिया के आने के बाद से समाज में जो अपराधी थे, जो उत्पात करने वाले लोग थे, अब उन्हें गलियों में नारेबाजी नहीं करनी पड़ती क्योंकि, अब उन्होंने ट्रोल आर्मी बना ली है, जो अफवाह फैलाती है, लोगों को भड़काती है और कई बार किसी की छवि को एजेंडे के तहत तबाह कर देती है. इससे निपटना बड़ी चुनौती है. बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनियां अपने विरोधियों के खिलाफ इन ट्रोल आर्मीज का इस्तेमाल करती हैं.

तीसरी चुनौती ये है कि इसने बड़े बड़े लोकतांत्रिक देशों की सम्प्रभुता को चुनौती देना शुरू कर दिया है.

चौथी चुनौती ये है कि सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल से लोगों के पर्सनल डेटा की चोरी का भी खतरा बढ़ गया है. आज बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने यूजर्स का डेटा विज्ञापन के लिए कंपनियों को बेचती हैं और आपकी निजी जानकारी के साथ समझौता किया जाता है. 

डेटा चोरी के लिए इन कंपनियों पर कई देशों में भारी भरकम जुर्माना भी लग चुका है.

और पांचवीं चुनौती ये है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से युवाओं पर इसका मानसिक दबाव काफी बढ़ गया है. अब पिक्चर्स पर कितने लाइक्स मिले, कितने कमेंट हुए, किस वीडियो को कितने लोगों ने देखा और किसकी फ्रेंड लिस्ट कितने लोग हैं, ये बातें युवाओं पर असर डालने लगी हैं. अब परीक्षा में अच्छे नंबर से ज्यादा, ये अहम हो गया है कि सोशल मीडिया पर किसके कितने ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं.

इस चुनौती को देखते हुए ही इंस्टाग्राम ने अपने प्लेटफॉर्म पर ये दिखाना बंद कर दिया है कि किस यूजर की पोस्ट को कितने लाइक्स मिले.

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