प्राइवेट स्कूलों को झटका, फीस नियंत्रण कानून को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट में खारिज
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प्राइवेट स्कूलों को झटका, फीस नियंत्रण कानून को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट में खारिज

निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता को राहत देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस को नियंत्रित करने वाला राज्य सरकार का कानून संवैधानिक तौर पर वैध था.

फीस नियमन कानून संवैधानिक तौर पर वैध (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अहमदाबाद: निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता को राहत देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस को नियंत्रित करने वाला राज्य सरकार का कानून संवैधानिक तौर पर वैध था. कानून का विरोध कर रही करीब 40 याचिकाओं को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष पांडेय और न्यायमूर्ति वी एम पंचोली की खंड पीठ ने गुजरात स्वपोषित स्कूल (फीस नियंत्रण) अधिनियम, 2017 को बरकरार रखा. अदालत ने स्कूल की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें उनके द्वारा अपील दाखिल किए जाने तक अधिनियम को लागू करने पर रोक लगाने को कहा गया था.

  1. गुजरात हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की 40 याचिकाएं खारिज
  2. फीस नियंत्रण कानून को लेकर दाखिर की थी याचिकाएं
  3. कोर्ट ने कहा- फीस नियमन कानून संवैधानिक तौर पर वैध

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य बोर्ड (सीबीएसई और आईसीएसई) के लिए कानून बनाने में राज्य विधानमंडल सक्षम है और उसके पास यह अधिकार है.

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क्या था मामला
गुजरात स्व-वित्तपोषित विद्यालय (शुल्क का नियमन) अधिनियम इस साल अप्रैल में राज्यपाल ओ पी कोहली की सहमति मिलने के बाद लागू किया गया था. बीजेपी सरकार ने इस विधेयक को बजट सत्र के दौरान ‘निजी विद्यालयों के अत्यधिक शुल्क’ पर नियंत्रण रखने के लक्ष्य से पेश किया था.

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विधेयक पेश करते हुए राज्य सरकार ने कहा था कि स्पष्ट कानून नहीं होने की वजह से निजी स्कूल छात्रों से ज्यादा फीस वसूलते हैं. 

अधिनियम में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए क्रमश: सालाना 15,000, 25,000 और 27,000 शुल्क तय है.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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