DNA Analysis: हरियाणा, दिल्ली के बगल में है यानी हरियाणा में पराली जलती है तो धुआं सीधा दिल्ली पर अटैक करता है. अक्टूबर आते ही खेतों में पराली जलने लगती है जिसका सीधा असर राजधानी दिल्ली की सांसों पर होता है. हर वर्ष बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, आइए जानते हैं इन दावों की असल सच्चाई क्या है?
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DNA Analysis: भारत में पराली जलाने का मौसम शुरू हो गया है. इसे मौसम इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ये हर साल आता है और बीते कई वर्षों से इस मौसम के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ है. भले ही बाकी मौसम के आने-जाने का समय बदल जाए, लेकिन पराली जलाने के मौसम की टाइमिंग नहीं बदली है. इस बार भी पराली जलाने का मौसम अपने तय वक्त पर ही आया है. इससे फिर राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर का दम घुटने लगा है. भारत के खेतों में हर साल अक्टूबर से यह आग धधकना शुरू होती है और पूरे सर्दी के मौसम में ऐसी धधकती है की पूरा उत्तर भारत धुंध की चादर ओढ़ लेता है.
कौन है असली गुनहगार?
दिल्ली के आसपास के राज्यों में जैसे ही पराली जलती है. उसका सीधा असर दिल्ली में दिखता है. दिल्ली गैस चैंबर (Gas Chamber) बन जाती है. लोग मास्क लगाकर बाहर निकलने लगते हैं. पराली की इस समस्या को लेकर एक राज्य सरकार दूसरी राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ती है. ये हम पिछले कई वर्षों से देखते आ रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
पराली जलाना इतनी बड़ी समस्या है कि सरकार ने इसपर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद भी धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है, खासकर हरियाणा में. हरियाणा के सीएम ये दम भरते हैं कि राज्य में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं लेकिन उससे पहले कुछ आंकड़ों पर नजर डाल लीजिए. भारत सरकार के Indian Agriculture Research Institute ने इसको लेकर कुछ आंकड़े जारी किए है. इनके मुताबिक-
1. भारत में इस वर्ष 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक कुल 2,974 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं.
2. साल 2022 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक भारत में पराली जलाने की 2,868 घटनाएं हुई थीं यानी इस वर्ष पराली जलाने की घटनाएं ज्यादा हुई हैं.
इसरो ने दिखा दी हकीकत
भारतीय स्पेस एजेंसी (ISRO) की तरफ से पराली जलाने की घटनाओं पर भारत का एक REAL TIME MAP जारी किया गया है. इस REAL TIME MAP से पता चलता है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. इससे पता चलता है कि सरकार की रोक का भी कोई असर नहीं है. अभी तक पंजाब पराली जलाने के लिए बदनाम था लेकिन अब दिल्ली की मुसीबत बढ़ाने में पड़ोसी राज्य हरियाणा सबसे आगे है.
1. पंजाब में पिछले साल यानी वर्ष 2022 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक पराली जलाने की 2,189 घटनाएं हुई थीं जो इस वर्ष 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक 1,407 हैं. यानी पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं.
2. वहीं हरियाणा में वर्ष 2022 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक 464 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं लेकिन इस वर्ष 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक ये संख्या 20 प्रतिशत बढ़कर 554 हो गई है यानी हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं.
अब सवाल है कि हरियाणा की मनोहर लाल सरकार क्या कर रही है तो इसका जवाब है, राज्य सरकार सिर्फ पराली को जलने से रोकने और मामले कम होने के झूठे दावे कर रही हैं. आपको बता दें कि 4 अक्टूबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक बयान में दावा किया था कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही हैं.
एक नजर यहां भी
जिस दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बड़े-बड़े दावे किए थे उस दिन के आंकड़े भी बेहद चौंकाने वालें हैं. इसके मुताबिक-
1. वर्ष 2021 में 15 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पराली जलाने के 21 मामले आए थे.
2. वर्ष 2022 में 15 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पराली जलाने के 24 मामले आए.
3. वर्ष 2023 में 15 सितंबर से 4 अक्टूबर तक ये आंकड़ा बढ़कर 166 हो गया था.
यानी जिस समय हरियाणा के सीएम सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे थे उस वक्त हरियाणा में पराली के धधकने की रफ्तार बीते 2 वर्षों के मुकाबले 8 गुना ज्यादा थी.
दिल्ली की फेफड़ों में हरियाणा का धुंआ
हरियाणा, दिल्ली के बगल में है यानी हरियाणा में पराली जलती है तो धुआं सीधा दिल्ली पर अटैक करता है. अक्टूबर आते ही खेतों में पराली जलने लगती है जिसका सीधा असर राजधानी दिल्ली की सांसों पर होता है. हर वर्ष बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन ये दावे भी प्रदूषण की तरह ही है जो हर वर्ष किए जाते है और फिर धुआं-धुआं हो जाते हैं हरियाणा के खेतों में उठता ये धुआं दिल्ली की सासों पर अटैक करने लगा है किसानों को ना सरकार का डर है और ना जुर्माने का.
सोनीपत-कुरूक्षेत्र में जलाई गई पराली
हरियाणा का सोनीपत NCR में आता है. सोनीपत के खेतों में पराली जलाई जा रही है. पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर ढाई हजार से 15 हजार तक का जुर्माना है लेकिन इस जुर्माने से बचने के लिए किसानों ने भी तिगड़म लगाया हुआ है. सोनीपत के अलावा कुरूक्षेत्र के जैनपुर गांव में धान की कटाई हुई है और खेत में पराली जलाई गई है.
क्या कहते हैं किसान?
सरकार की रोक के बावजूद किसान क्यों पराली जला रहे है. इस पर किसानों का कहना है कि वो हरियाणा की सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर रहा है. हरियाणा के खेतों में जलती पराली और उठता ये धुआं दिल्ली की सासों का सबसे बड़ा दुश्मन है लेकिन इसके बावजूद हरियाणा सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. हम, हरियाणा के अंबाला जिले में स्थित सपेहरा गांव में चारों तरफ पराली का धुआं फैला हुआ है. अंबाला में भी वही तस्वीर है जो सोनीपत और कुरूक्षेत्र में है.
क्या है सबसे बड़ा सवाल?
अंबाला के इस गांव के किसान सरकार पर सवाल उठा रहे हैं किसानों का कहना है कि जब पराली को लेकर हरियाणा सरकार ही गंभीर नहीं है तो किसान कैसे गंभीर होगा? किसान पराली ना जलाए तो क्या करे? सरकार ने पराली काटने वाली मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी तो दी है लेकिन इसके बाद भी खर्च लाखों में है जो छोटे किसान द्वारा वहन करना नामुमकिन है. रही बात पराली को नष्ट करने वाले लिक्विड की तो बाजार से गायब है.
हरियाणा के खेतों से दिल्ली आ रहा पराली का ये धुआं दिल्ली-NCR वालों के फेफड़ों का काल बन रहा है. उन्हें बीमारियां बांट रहा है. ये वो धीमा जहर है जिसे दिल्ली-एनसीआर वाले ना चाहते हुए भी हर रोज ले रहे हैं.
मेदांता अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ अरविंद कुमार का कहना है कि पराली संकट के लिए किसानों से ज्यादा जिम्मेदार राज्य सरकारें हैं. नीतियां सरकारों को बनानी है, हर साल नीतियां बनाती भी हैं लेकिन उन्हें ठीक से अमल में नहीं लाया जाता है. पराली का ये धुआं दिल्ली के आसमान में पहुंचने लगा है. जैसे-जैसे ठंड और बढ़ेगी ये समस्या भी बढ़ती जाएगी. हर बार की तरह फिर पराली को लेकर पॉलिटिक्स होगी लेकिन इस समस्या का समाधान कैसे होगा? ये कोई नहीं बताएगा.