जमीन खरीद मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ NCP नेता धनंजय मुंडे पहुंचे SC; कल होगी सुनवाई
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जमीन खरीद मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ NCP नेता धनंजय मुंडे पहुंचे SC; कल होगी सुनवाई

जमीन खरीद के एक मामले में केस दर्ज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता विपक्ष और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है. दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमीन खरीद मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिया था. NCP के धनंजय मुंडे ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट कल यानि शुक्रवार को सुनवाई करेगा.

बॉम्बे हाईकोर्ट का फाइल फोटो...

नई दिल्‍ली : जमीन खरीद के एक मामले में केस दर्ज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता विपक्ष और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है. दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमीन खरीद मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिया था. NCP के धनंजय मुंडे ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट कल यानि शुक्रवार को सुनवाई करेगा.

यह जमीन अंबोजागाई तहसील के पूस स्थित बेलखंडी देवस्थान पर स्थित है. यह सरकारी जमीन बेलखंडी मठ को गिफ्ट के तौर पर दी गई थी. आरोप है कि यह जमीन धनंजय मुंडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए काफी कम दाम पर सहकारी शक्कर कारखाने के लिए खरीदी थी. यह जमीन कृषि योग्य थी लेकिन दस्तावेजों में इसे अकृषि योग्य भूमि करार दिया गया और मामूली दाम लगाए गए.यही नहीं मामले की जानकारी सामने आने के बाद भी जांच अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की. इसलिए उन अधिकारियों के खिलाफ भी अब गाज गिर सकती है.

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 राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता धनंजय मुंडे...

उपहार में मिली किसी भी जमीन की खरीदी बिक्री नहीं की जा सकती है, लेकिन इस प्रकरण में दबाव तंत्र का इस्तेमाल किया गया. मुंडे ने 1991 में जगमित्र शुगर फैक्ट्री के लिए 24 एकड़ जमीन खरीदी की थी. गैरकानूनी तरीके से हुए इस सौदे के विरोध में राजाभाउ फड नाम की संस्था ने पहले पुलिस थाने में शिकायत की.जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने अदालत की शरण ली थी.

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