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नई दिल्ली: पूरी दुनिया में भारत की रायफल वाली ताकत बढ़ गई है. रक्षा मंत्रालय ने एक बहुत बड़ा फ़ैसला लेते हुए रूस (Russia) के साथ 6 लाख 71 हज़ार AK-203 Assault Rifles की डील को मंज़ूरी दे दी है. ये एक ऐसी डील है, जिस पर चर्चा तो कई वर्षों से हो रही थी, लेकिन इस पर सहमति अब जाकर बनी है. इस डील के 2 बड़े महत्व हैं. पहला ये कि भारत ने ऐसे समय में रूस के साथ ये रक्षा सौदा किया है, जब उसका चीन (China) के साथ सीमा पर गतिरोध बरकरार है.
चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पाकिस्तानी की सैन्य जरूरतों को भी पूरा कर रहा है. दूसरा ये कि भारत ने रूस से रक्षा सौदों को लेकर अमेरिका की धमकियों को भी दरकिनार किया है.
Russia ने इसी महीने भारत को S400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी शुरू की है, जो भारतीय सीमाओं की सुरक्षा में एक बड़ी भूमिका निभाएगा. और अमेरिका इस डील का विरोध कर चुका है और भारत पर प्रतिबंध की भी आशंका है. लेकिन इसके बावजूद भारत रूस के साथ रक्षा सौदों को विस्तार दे रहा है.
किसी भी देश की सेना के लिए ये बात सबसे ज़्यादा मायने रखती है कि उसके सैनिकों के पास कौन सी सीरीज की Assault Rifle है. सेना के जवान सीमा पर तोप के साथ खड़े नहीं होते या मिसाइल लेकर सीमा की सुरक्षा नहीं करते. दुश्मन सेना पर प्रहार करने के लिए उनका पहला हथियार ये Rifles ही होती हैं. पहला हथियार ताकतवर हो तो बाकी के हथियारों का काम और भी आसान हो जाता है. इसलिए सबसे पहले आपको इस खतरनाक रायफल (Rifle) के बारे में बताते हैं.
ये AK सीरीज़ की सबसे ख़तरनाक Rifles में से एक है. AK का मतलब है Automatic Kalashnikov (कलाश्निकोव) . इस राइफल का नाम इसे बनाने वाले सोवियत संघ के मिलिट्री इंजीनियर Mikhail Kalashnikov के नाम पर रखा गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि Kalashnikov हमेशा से एक कवि बनना चाहते थे. खुद उन्होंने 6 पुस्तकें भी लिखी थीं, लेकिन कविताएं लिखते-लिखते उन्होंने AK-47 की रचना कर दी. Russia की AK-47 राइफल का नया मॉडल AK-203 भारतीय सेना के लिए देश में ही बनाया जाना है.
इस डील के तहत भारतीय सेना को इस सीरीज़ की कुल 6 लाख 71 हज़ार Rifles मिलेंगी. इनमें 70 हज़ार रायफल रूस से खरीदी जाएंगी. जबकि बाकी 6 लाख रायफल उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनेंगी. इसके लिए रूस, भारत के साथ Technology Transfer करेगा. जिसमें कुछ समय लग सकता है. हालांकि 70 हजार रायफल तो भारतीय सेना को कुछ ही वक्त में ही मिल जाएंगी.
ये पूरी डील लगभग 5 हज़ार करोड़ रुपये की होगी. 6 दिसम्बर को जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक दिन के दौरे पर भारत आएंगे, तब इस डील से जुड़ी औपचारिकताएं भी पूरी हो जाएंगी.
AK-203 भारतीय सेना में INSAS Rifle की जगह लेगी, जो तीन दशक पुरानी रायफल है. वर्ष 1990 में पहली बार इसे भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया गया था. और ये रायफल भारत में ही Defence Research and Development Organisation यानी DRDO द्वारा विकसित की गई थी. लेकिन वर्ष 2000 के बाद इस रायफल में कई खामियां सामने आईं और रक्षा एजेसियों द्वारा इसका बेहतर विकल्प तलाशने का काम शुरू हुआ.
इस काम में वैसे तो ज़्यादा समय नहीं लगना चाहिए था. लेकिन भारत में अक्सर रक्षा सौदों की उम्र औसतन 10 से 15 साल खींच ही जाती है. जैसा कि इस मामले में हुआ. वर्ष 2017 में भारत सरकार ने INSAS के विकल्प के तौर पर AK-203 Rifles खरीदने पर चर्चा शुरू की और इस डील को फाइनल होने में कुल 4 वर्ष का समय लगा.
हम आपको इन दोनों Rifles से जुड़ी कुछ और बातें बताते हैं. AK-203, INSAS के मामले में काफ़ी हल्की, छोटी और आधुनिक रायफल है.
INSAS का वज़न बिना Magazine के 4.15 किलोग्राम है.
जबकि AK-203 का वज़न 3.8 किलोग्राम है. यानी इस Rifle के मिलने से जवानों का बोझ थोड़ा सा कम हो जाएगा.
इसी तरह INSAS Rifle की लम्बाई 960 Millimeter है.
जबकि AK-203 Rifle की लम्बाई 705 Millimeter है. वो भी तब जब इसमें फोल्डिंग स्टॉक शामिल है.
इसके अलावा INSAS की Range 400 मीटर है और AK-203 की Range 800 मीटर है.
INSAS से एक मिनट में 650 गोलियां दागी जा सकती हैं और AK-203 से एक मिनट में 600 गोलियां फायर होती हैं.
हालांकि लक्ष्य को भेदने के मामले में INSAS का AK-203 से कोई मुकाबला नहीं है. शायद यही वजह है कि इस डील से पाकिस्तान बुरी तरह घबराया हुआ है. पाकिस्तान ने भारत की इस रायफल के जवाब में Turkey द्वारा निर्मित उसकी सबसे ख़तरनाक Rifle ख़रीदने का फैसला किया है. इसे MPT-76 कहा जाता है. वहीं पाकिस्तान ऐसी 1 लाख रायफल खरीदना चाहता है.
MPT-76 Rifle ख़तरनाक तो है लेकिन AK-203 के सामने इसकी ताकत थोड़ी कम है.
ये रायफल ज़्यादा लम्बी है, भारी है और इसका Accuracy Rate भी कम है.
इसका अलावा इसका वज़न भारत की INSAS रायफल से भी ज़्यादा है.
Magazine के बिना इसका वज़न 4.18 किलोग्राम है. INSAS का 4.15 किलोग्राम है और AK-203 का 3.8 किलोग्राम है.
अगर चीन से तुलना करें तो चीन की People's Liberation Army के पास QBZ-95 सीरीज़ की Assault Rifle है. चीन में बनी ये रायफल वैसे तो 25 साल पुरानी है लेकिन कई मायनों में इसे आज भी काफी खतरनाक माना जाता है. AK-203 के मुकाबले में ये हल्की भी है और आधुनिक भी.
हालांकि चीन को पता है कि भारतीय सेना के पास अमेरिका की SiG Sauer 716 रायफल भी है. साल 2019 में भारत ने अमेरिकी से ऐसी 72 हज़ार 400 Rifles खरीदी थी. इनके बेहतर प्रदर्शन और खासियत को देखते हुए साल 2020 में इसी सीरीज़ की 73 हज़ार और Rifles भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हुई थीं. आप कह सकते हैं कि AK-203 मिलने से भारतीय सेना की ताकत और मजबूत होगी.
चीन और पाकिस्तान की नज़दीकियों ने टू फ्रंट वार (Two Front War) की थ्योरी को मजबूत किया है. इसका मतलब है, जब भारत को पाकिस्तान और चीन से एक साथ युद्ध लड़ना पड़े. ऐसी स्थिति में सेना को दोनों मोर्चों पर बराबर हथियार की जरूरत होगी. इसलिए भारत के सामने चुनौतियां कई हैं. और इस तरह की डिफेंस डील भारत को किसी भी स्थिति से लड़ने के लिए तैयार कर रही हैं.