इंदौर की मदद से चांद पर इंसान भेजेगा ISRO, इस तकनीक का किया जाएगा इस्तेमाल
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इंदौर की मदद से चांद पर इंसान भेजेगा ISRO, इस तकनीक का किया जाएगा इस्तेमाल

Indore News: ISRO और इंदौर के  RRCAT ने मिलकर 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करके नए रॉकेट इंजन बनाने की योजना बनाई है. इस पहल से चंद्र अभियानों और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के निर्माण में मदद मिलेगी. इस मिशन में चांद पर इंसान को भेजा जाएगा और वापस भी लाया जाएगा.

Agreement between Indore RRCAT and ISRO

Madhya Pradesh News: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) इसरो अब इंदौर की सहायता से नये रॉकेट बनाने की तैयारी कर रहा है. इस कार्यक्रम में इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र  (RRCAT) के साथ इसरो ने रॉकेट बनाने के लिए हाथ मिलाया है. दोनों केंद्र मिलकर थ्री डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के जरीए रॉकेट इंजन बनाएंगे. इस मिशन से इसरो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन बनाने जा रहा है. इसके बाद चांद पर मानव को भेजकर वापस लाया जायेगा. यह को-ऑपरेशन न्यू जेनरेशन लॉन्च व्हीकल सूर्या के लिए अहम है. 

तीन चरणों वाले रॉकेट को फिर से उपयोग में लाया जा सकता है. यह PSLV, GSLV और LVM3 रॉकेट्स की जगह लेगा. इंदौर में बनी मशीन से इसरो को चांद पर इंसान भेजने में सफलता हासील होगी. RRCAT की हेल्प से हर साल 25 इंजन बनाने में सफलता मिलेगी. इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि सूर्य रॉकेट में 11 इंजन की सुविधा होगी. इसरो अब तक साल में केवल तीन ही इंजन बना पाता था, लेकिन RRCAT की सहायता से अब संख्या बढ़कर 25 हो जाएगी. यानी अब इसरो तीन नहीं बल्कि 25 इंजन 1 साल में बना सकेगा. इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

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चंद्र अभियानों में भी अहम भूमिका
नारायणन ने बताया कि यह रॉकेट सैटलाइट और पेलोड के 32 टन तक के वजन को अंतरिक्ष में ले जा सकता है. इससे वे अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन भी आसानी से बना सकते हैं. साथ ही ये भविष्य में चंद्र अभियानों को पूरा करने में अपनी अहम भूमिका भी निभा सकता है. 

LPSC और RRCAT मिलकर करेंगे
LPSC और RRCAT पहली बार इतने बड़े लेवल पर एक साथ मिलकर काम करने वाले हैं. इस नई तकनीक को सफलता पूर्वक करने के लिए  RRCAT और इसरो अगले 18 से 24 महीनों तक काम करेंगे. इस नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसरो कई अभियानों में करेगा.  RRCAT का  PiHub मुख्य रुप से  3D-प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देगा. इस तकनीक से लिक्विड ऑक्सीजन और मीथेन से चलने वाले रॉकेट इंजन बनाने में लगने वाला समय और खर्च दोनों कम होंगे. 

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कंपनियों को सौंपा गया काम 
RRCAT ने बुधवार को PiHub के एक साल पूरे होने का जश्न मनाया. इस मौके पर दो नई तकनीकों को लॉन्च करने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही प्राइवेट कंपनियों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर के काम को सफलता से पूरा किया गया. आग का पता लगाने वाली टेक्नोलॉजी  'अग्निरक्षक' को बेंगलुरु में मौजूद लैब टू मार्केट इनोवेशन्स की कंपनी को दिया गया है. वहीं सिंगल स्टेज 30K क्रायोकूलर टेक्नोलॉजी को मुंबई की 'आरजे इंस्ट्रूमेंट्स' कंपनी को दी गई. 

दो कंपनियों ने किए नए प्रोडक्ट लॉन्च 
RRCAT के PiHub के प्रमुख डॉ. सीपी पॉल ने बताया है कि इन प्रोजेक्ट्स पर आरआर कैट की सहायता के साथ ही वे किसी स्टार्टअप को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल करना चाहेंगे. ताकी आगे इन इंजनों का बड़े पैमाने पर बानाया जा सके. इस कार्यक्रम के दौरान दो कंपनियों ने अपने नए प्रोडक्ट को लॉन्च किया. वी फ्यूज़ मेटल्स कंपनी ने एक 3D प्रिंटर को पेश किया. तो वहीं दूसरी ओर मेटल एंड मेम्ब्रेन कंपनी ने ठोस और छिद्रपूर्ण पाइपों के लिए एक खास वेल्डिंग मशीन को प्रस्तुत किया. ये दोनों ही प्रोडक्ट  RRCAT की टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं. 

प्रशासनिक भवन का हुआ उद्घाटन
PiHub के प्रशासनिक भवन का उद्घाटन दो प्रमुख डायरेक्टरों ने किया. इसमें नीति आयोग में अटल इनोवेशन मिशन के मिशन डायरेक्टर डॉ. चिंतन वैष्णव और इसरो में LPSC के डायरेक्टर डॉ. वी. नारायणन उद्घाटन करने में शामिल थे. RRCAT के डायरेक्टर और PiHub के चीफ यूडी मालशे ने केंद्र की सफलताओं पर एक रिपोर्ट पेश की. उन्होंने बताया कि PiHub ने अब तक पांच प्रमुख तकनीकों को सफलतापूर्वक ट्रांसफर किया है. 10 इन्क्यूबेशन समझौते किए हैं और तीन नए उत्पादों को लॉन्च किया है. इन उपलब्धियों ने केंद्र के नवाचार और तकनीकी विकास को दर्शाया है.

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