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मुरादाबाद: अब इसे डॉक्टरों (Doctors) की लापरवाही कहें या कुछ और कि एक शख्स जिसे पहले मृत घोषित किया जाता है, वो मुर्दाघर में जिंदा पाया जाता है. सात घंटे से ज्यादा समय तक शख्स को मोर्चरी के फ्रीजर (Morgue Freezer) में रखा गया, बाद में जब पुलिस पीड़ित परिजनों को लेकर पहुंची तो शख्स की सांस चलती पाई गई. हालांकि, बाद में शख्स कोमा में चला गया और आखिरकार उसकी मौत हो गई.
‘डेली मेल’ में छपी खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में श्रीकेश कुमार (Srikesh Kumar) नामक शख्स का 18 नवंबर को ऐक्सिडेंट हुआ था. इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उनके जीवित होने का दावा किया गया. श्रीकेश को गंभीर हालत में इलाज के लिए तीन अलग-अलग निजी अस्पतालों में ले जाया गया. आखिर में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर ने श्रीकेश का चेकअप करके उन्हें मृत घोषित कर दिया और शव को मोर्चरी में भिजवा दिया.
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अगले दिन यानी 19 नवंबर की सुबह 11 बजे पुलिस लाश का पंचनामा करने जिला अस्पताल पहुंची. रिपोर्ट के मुताबिक उस दौरान श्रीकेश के परिजनों ने देखा की उनकी सांसें चल रही हैं. इस बात को लेकर मोर्चरी में हंगामा मच गया. परिजनों ने तुरंत इस बात की जानकारी अस्पताल के डॉक्टरों को दी. परिजनों का कहना है कि मोर्चरी पहुंचे डॉक्टरों ने भी चेकअप के बाद श्रीकेश के जिंदा होने की बात कही. श्रीकेश की हालत गंभीर होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें मेरठ रेफर कर दिया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी.
मेरठ में चार दिन तक श्रीकेश का इलाज चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. बीते मंगलवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. श्रीकेश कुमार स्थानीय नगर निगम में काम करते थे. वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुरादाबाद जिला अस्पताल के डॉ शिव सिंह ने बताया कि उस समय (मुरादाबाद जिला अस्पताल में इलाज के दौरान) जो डॉक्टर इमरजेंसी ड्यूटी पर थे, उन्होंने श्रीकेश का अच्छे से चेकअप किया था. उनकी हार्टबीट नहीं चल रही थी.