क्या थी नेहरू की वो आरक्षण वाली चिट्ठी, जिसे लेकर पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर सुनाया
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क्या थी नेहरू की वो आरक्षण वाली चिट्ठी, जिसे लेकर पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर सुनाया

Letter Against Reservation: पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए राज्यसभा में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने नेहरू की एक चिट्ठी का भी जिक्र किया. पीएम ने बताया कि कैसे नेहरू जी ने आरक्षण के खिलाफ राज्य के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी

क्या थी नेहरू की वो आरक्षण वाली चिट्ठी, जिसे लेकर पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर सुनाया

Narendra Modi Targets Nehru Letter: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कांग्रेस पर आरक्षण को लेकर जमकर निशाना साधा. उन्होंने 1961 में देश के मुख्यमंत्रियों को लिखी पंडित जवाहरलाल नेहरू की एक चिट्ठी का हवाला दिया, जिसमें नेहरू ने जाति के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था.

असल में पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू ने चिट्ठी में लिखा था कि मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता, नौकरी में तो कतई नहीं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आरक्षण का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया है. उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस आरक्षण की बात करती है, लेकिन जब नेहरू जी थे, तब उन्होंने आरक्षण का विरोध किया था.

मुख्यमंत्रियों को लिखी चिट्ठी
नेहरू ने 27 जून 1961 को देश के मुख्यमंत्रियों को लिखी चिट्ठी में कहा था कि मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता, नौकरी में तो कतई नहीं. उन्होंने कहा था कि आरक्षण से दक्षता और योग्यता का ह्रास होगा. उन्होंने कहा था कि पिछड़े वर्गों को शिक्षा और प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना चाहिए.

'जन्मजात आरक्षण के विरोधी'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इसलिए मैं कहता हूं कि ये जन्मजात आरक्षण के विरोधी हैं. नेहरू कहते थे कि अगर एससी-एसटी-ओबीसी को नौकरियों में आरक्षण मिला तो सरकारी कामकाज का स्तर गिर जाएगा. आज ये लोग जो आंकड़ें गिनाते हैं ना, उसका मूल यहां हैं. उस समय इन लोगों ने इसे रोक दिया था. 

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि 'बाबा साहेब ना होते तो शायद एससी-एसटी को आरक्षण मिलता या नहीं, ये भी मालूम नहीं. मेरे पास प्रमाण है. इनकी सोच आज से नहीं, उस समय से ऐसी है. मैं प्रमाण के बिना यहां नहीं आया. बातें उठी हैं तो तैयारी रखनी चाहिए. मेरा परिचय तो हो चुका है ना...10 साल हो गए हैं.

बौद्धिक बहस का विषय
आरक्षण का मुद्दा भारत में हमेशा से ही बौद्धिक बहस का विषय रहा है. कुछ लोग आरक्षण को सामाजिक न्याय के लिए आवश्यक मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे योग्यता के खिलाफ मानते हैं

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