Opinion: वीजा-फ्लाइट पर रोक तो ठीक है, लेकिन चीनी सामानों पर कब रोक लगाएगी सरकार
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Opinion: वीजा-फ्लाइट पर रोक तो ठीक है, लेकिन चीनी सामानों पर कब रोक लगाएगी सरकार

Chinese Product Import: चीन की कमर तोड़ने के लिए सबसे जरूरी वहां से आयात होने वाली सामानों पर रोक लगाना है. सरकार इसको लेकर कब जागरूक होगी और कब चीन से आयात पर रोक लगाएगी.

Opinion: वीजा-फ्लाइट पर रोक तो ठीक है, लेकिन चीनी सामानों पर कब रोक लगाएगी सरकार

Chinese Product Import: भारत ने 4 साल से चीन के लिए सीधी उड़ान को बंद कर रखा है. चीन लगातार इसे शुरू करने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत ने एक बार फिर इसे खारिज कर दिया है. लेकिन, डायरेक्‍ट कार्गो फ्लाइट अभी भी चल रही है. 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद भारत ने चीनी नागरिकों को वीजा देने में भी कड़ा रुख अपनाया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2024 में चीनी नागरिकों को सिर्फ 2000 वीजा जारी किए हैं, जबकि 2019-20 में 2 लाख वीजा जारी किए गए थे. वीजा और फ्लाइट पर रोक तो ठीक है, लेकिन चीन की कमर तोड़ने के लिए सबसे जरूरी वहां से आयात होने वाली सामानों पर रोक लगाना है. सरकार इसको लेकर कब जागरूक होगी और कब चीन से आयात पर रोक लगाएगी.

भारत को होना होगा आत्मनिर्भर

मोदी सरकार ने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौान भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी. इसका असर भी हुआ है और इस साल शुरुआत के चार महीनों के दौरान फरवरी और मार्च में चीन से आयात में कमी आई, जबकि यह  अप्रैल में सपाट रहा. लेकिन, अब भी व्यापार संतुलन पूरी तरह चीन के पक्ष में है. इसका मतलब यह है कि हम चीन से तो अब भी बहुत सामान आयात करते हैं, लेकिन उसकी तुलना में एक्सपोर्ट काफी कम है.

चीन से क्या-क्या आयात-निर्यात करता है भारत?

भारत मुख्य रूप से चीन से इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं और फार्मास्युटिकल्स प्रोडक्ट के अलावा जैविक रसायन, प्लास्टिक की वस्तुओं का आयात करता है. इसमें खिलौने, टेलिकॉम और स्मार्टफोन पार्ट्स, लैपटॉप और कंप्यूटर, प्लास्टिक, केमिकल्स, नॉन-असेंबल्ड सेल, लीथियम-आयन बैटरी, कार और मोटरसाइकिल के कलपुर्जे, फर्टिलाइजर,एंटीबायोटिक्स दवाई और इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स शामिल हैं. चीन से भारत के आयात में इन प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से भी अधिक है. न्यूएबल एनर्जी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर में हम अब भी पूरी तरह से चीन से होने वाले आयात पर निर्भर है. वहीं, भारत कृषि उत्पाद, सूती वस्त्र, हस्तशिल्प उत्पाद, कच्चा लेड, लौह अयस्क, स्टील, कॉपर इत्यादि चीन को निर्यात करता है.

चीनी प्रोडक्ट क्यों भारत में किए जाते हैं पसंद?

चीन में बने प्रोडक्ट की लागत काफी कम होती है और इस कारण वे सस्ते होते हैं. इसके साथ ही चीनी प्रोडक्ट में फीचर भी ज्यादा होते हैं. यहीं वजह है कि चीन में बना सामान भारत के लोगों के बीच काफी पॉपुलर है और लोग इन्हें पसंद करत हैं. वहीं, भारत में बने प्रोडक्ट की प्रोडक्शन कॉस्ट काफी ज्यादा होती है और चीन प्रोडक्ट के मुकाबले इनमें फीचर भी कम होते हैं, जिस वजह से ये बाजार में पकड़ नहीं बना पाती हैं.

चीनी प्रोडक्ट से बैन से भारतीयों को होगा नुकसान

भारत सरकार भले ही लगातार आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रही है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि ये कोशिश चीनी सामानों पर निर्भरता को कम करेगी. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीनी सामानों के रोक से चीन को नुकसान तो होगा ही आम लोगों को भारी कीमत चुकानी होगी. क्योंकि, चीन में बने प्रोडक्ट के मुकाबले अन्य देशों से आयात प्रोडक्ट ज्यादा महंगे होते हैं तो वहीं भारत में बने प्रोडक्ट में फीचर कम होंगे. उदाहरण के तौर पर आप एलईडी टीवी ले लीजिए. चीन में बने टीवी की कीमत अगर 20 हजार रुपये होगी तो वहीं अन्य देशों से आयात टीवी की कीमत 30 हजार रुपये के करीब होगी. वहीं, अगर भारत में बने टीवी को देखें तो फीचर और क्वालिटी से कॉम्प्रोमाइज करना पड़ेगा.

कैसे छूटेगा चीनी सामानों का मोह?

जब तक किसी भी प्रोडक्ट का स्वदेशी विकल्प नहीं मिलेगा, चीनी सामान के इस्तेमाल में कमी संभव ही नहीं है. चीनी प्रोडक्ट पर निर्भरता कम करने के लिए उसके टक्कर के प्रोडक्ट भारत में बनाने होंगे. हालांकि, मार्केट में चीन की पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि उसे कंट्रोल करना आसान नहीं है. इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे. इसके साथ ही बड़े स्तर पर भारतीय बाजार को विकसित करना होगा ताकि चीन के टक्कर और कीमत के प्रोडक्ट भारत में बन सकें. लेकिन, सिर्फ सरकार के लिए भी यह संभव नहीं है. हर एक भारतीय को चीनी प्रोडक्ट इस्तेमाल ना करने का संकल्प लेना होगा और यह अचानक या एक दिन में नहीं होगा. इसके लिए धीरे-धीरे कदम बढ़ाना होगा.

फिलहाल सरकार के पास चीन का क्या है विकल्प?

चीनी प्रोडक्ट्स को एक झटके में रोक लगाना आसान नहीं है. इसके लिए पूरा मैन्यूफैक्चरिंग हब विकसित करा होगा और देख में बड़ी मात्रा में फैक्ट्रियां लगानी होगी. लेकिन, इसे पूरा करने में कई सालों का समय लग सकता है. तब तक भारत सरकार के पास क्या विकल्प है. इसके लिए सरकार चीन की जगह उसके पड़ोसी देश ताइवान में बने प्रोडक्ट को बढ़ावा दे सकती है. इसके लिए चीनी प्रोडक्ट से आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर ताइवान में बने प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करनी होगी. इसके साथ ही ताइवान की कंपनियों को भारत में निवेश के लिए राह आसान बनाना होगा.

(डिस्क्लेमर: लेख में व्यक्त विचार लेखक/लेखिका के निजी है. संस्थान से इसका कोई लेना-देना नहीं है.)

 

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