प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, 'हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है. उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी'
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नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि 'दूसरी परंपरा की खोज' करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है.
प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, 'हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है. उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी'. उन्होंने कहा, 'दूसरी परंपरा की खोज' करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे'.
हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।
— Narendra Modi (@narendramodi) February 20, 2019
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नामवर सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डा. नामवर सिंह के निधन से हिंदी भाषा ने अपना एक बहुत बड़ा साधक और सेवक खो दिया है. सिंह ने ट्वीट किया, 'वे आलोचना की दृष्टि ही नहीं रखते थे बल्कि काव्य की वृष्टि के विस्तार में भी उनका बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने हिंदी साहित्य के नए प्रतिमान तय किए और नए मुहावरे गढ़े'.
उन्होंने कहा कि डॉ नामवर सिंह का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है. विचारों से असहमति होने के बावजूद वे लोगों को सम्मान और स्थान देना जानते थे. उनका निधन हिंदी साहित्य जगत एवं हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है. गौरतलब है कि हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं आलोचना के मूर्धन्य हस्ताक्षर प्रोफेसर नामवर सिंह का मंगलवार को निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि नामवर सिंह का अंतिम संस्कार बुधवार अपराह्न तीन बजे लोधी रोड स्थित शमशान घाट में किया जाएगा. प्रोफेसर सिंह पिछले करीब एक महीने से बीमार थे. वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे. नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर (वर्तमान में ज़िला चंदौली) में हुआ था.
(इनपुट-भाषा)