Bhilwara News: इंसानियत का मूल धर्म सभी प्राणियों को पीड़ा रहित वातावरण प्रदान करना है. कोरोना काल में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं जब अपनों ने ही विषम परिस्थितियों में दामन छोड़ दिया. अधिकांश जगहों पर हृदय को कंपा देने वाले मामले देखने को मिले. इसके विपरीत समाज के कुछ लोग दिन-रात सेवा भाव से कार्य करके इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं.
कोटड़ी कस्बे का मामला
शाहपुरा जिले के कोटड़ी कस्बे में एक मोबाइल विक्रेता सद्दाम हुसैन उस समय फरिश्ता बनकर आए, जब एक बेजुबान पक्षी पेड़ में फंसकर आखिरी सांसें गिन रहा था. बरगद के पेड़ में फंसने के बाद पक्षी ( चिड़िया ) लाख कोशिशों के बावजूद खुद को मुक्त नहीं करा पा रहा था. बेजुबान पक्षी को फड़फड़ाता देख हर किसी का दिल भर आया, कुछ समय बाद चिड़िया की फड़फड़ाह ने की रफ्तार भी धीमी पड़ गई.
सद्दाम हुसैन ने बचाई जान
मोबाइल विक्रेता सद्दाम हुसैन ने बड़ी संख्या में चिड़ियों को बरगद के पेड़ पर मंडराते देखा. काफी देर तक चिड़ियों को मंडराती दिखीं तो आसपास के लोग भी हैरान रह गए. मोबाइल विक्रेता सद्दाम हुसैन को आश्चर्य हुआ कि ये चिड़िया एक स्थान पर क्यों मंडरा रही हैं, जिसके बाद उन्होंने आसपास देखा, जो नजारा देखने को मिला वो बेहद भावुक कर देने वाला था. एक चिड़िया करीब 25 फीट की ऊंचाई पर बरगद के पेड़ पर उल्टी लटकी हुई थी.
ऐसे बची जान
सद्दाम और उनके साथियों ने पहले तो पेड़ पर चढ़कर चिड़िया को रेस्क्यू करने की सोची. लेकिन चिड़िया पेड़ के ऊपरी पतली टलनी पर होने के कारण वहां तक पहुंचना संभव नहीं था. इसके जेसीबी मशीन को मौके पर बुलवाया. जेसीबी मशीन के आने पर जेसीबी मशीन की मदद से चिड़िया तक पहुंचा गया. जहां पर पेड़ की टहनी को तोड़कर चिड़िया को रेस्क्यू किया गया. इसके बाद मोबाइल विक्रेता सद्दाम हुसैन व उनके साथियों ने चिड़िया के दोनों पैरों पर लगे धागे को बड़ी सावधानी पूर्वक काटकर टहनी से अलग किया.
आखिरकार पेड़ में फंसी चिड़िया को बचा लिया गया. चिड़िया को पानी पिलाकर जैसे ही छूटा तो आसमान में उड़ गई. जिसके बाद रेस्क्यू में लगे लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. हालांकि, यह घटना उन लोगों के लिए एक सबक है जो मुसीबत में फंसे या किसी दुर्घटना में घायल लोगों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं.