सैकड़ों ट्रेन रद्द होने से यात्री भार कम, दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर कुली
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सैकड़ों ट्रेन रद्द होने से यात्री भार कम, दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर कुली

आम दिनों में रेलवे स्टेशन पर लाल वर्दी में सिर पर सामान ढोते कुली आपको दिख जाएंगे, लेकिन कोरोना काल (Coronavirus) में जयपुर स्टेशन पर सैंकड़ों कुली उदास आंखें लिए बैठे दिखते हैं. 

कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन (Lockdown) से कुलियों की रोजी-रोटी के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

Jaipur : आम दिनों में रेलवे स्टेशन पर लाल वर्दी में सिर पर सामान ढोते कुली आपको दिख जाएंगे, लेकिन कोरोना काल (Coronavirus) में जयपुर स्टेशन पर सैंकड़ों कुली उदास आंखें लिए बैठे दिखते हैं. कोरोना के कारण सैकड़ों ट्रेन रद्द होने से यात्री भार कम हो गया है. ऐसे में कुली आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं. आलम यह है कि दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ रहा है.

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कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन (Lockdown) से कुलियों की रोजी-रोटी के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. जयपुर जंक्शन की रौनक याद कर आज भी कुलियों (Porter) की आंखें भर जाती है. कोरोना से पहले रोजना सैंकड़ों ट्रेनों का जयपुर जंक्शन पर आवागमन रहता था. अब गिनी-चुनी ट्रेनें (Trains) ही चल रही है. कुलियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. स्टेशन पर यात्री नहीं आने से कुलियों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. जयपुर रेलवे स्टेशन (Jaipur Railway Station) पर यात्रियों का सामान का बोझ उठाने वाले कुली अब दो वक्त की रोटी के भी मोहताज बन रहे हैं. यात्रियों के सामान का बोझ उठाने वाले कुली कर्ज और मुसीबतों का बोझ झेल रहे हैं.

जयपुर रेलवे स्टेशन पर करीब 178 कुली काम करते हैं, जिनमें से गिने-चुने कुली ही अभी जयपुर जंक्शन पर नजर आते हैं. लॉकडाउन के चलते करीब 40 ट्रेनों का संचालन और रहा है, जिनमें भी यात्री बहुत कम सफर कर रहे हैं. लॉकडाउन से पहले कुलियों की 500 से 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी हो जाती थी लेकिन लॉकडाउन होने के बाद ट्रेनों का संचालन भी बहुत कम हो गया है. ऐसे में यात्री भी कम पहुंच रहे हैं, जिसके चलते कुलियों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. पुलिस सुबह से लेकर शाम तक बैठे रहते हैं. कुलियों के घरों में राशन भी खत्म हो गया है. ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए उनको कर्ज लेने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है. ट्रेनों का संचालन कम होने की वजह से कुली सुबह आकर बैठते हैं और शाम को खाली हाथ वापस लौट जाते हैं.

जयपुर रेलवे स्टेशन पर कुलियों ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की कमी होने से रोजगार नहीं मिल पा रहा. सुबह 8 बजे आकर स्टेशन पर कुली बैठ जाते हैं और शाम तक कई बार खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है. रेलवे स्टेशन पर कुछ भी मजदूरी नहीं मिल पा रही है. कभी-कभी 50-100 रुपये की मजदूरी मिलती है और कई बार जैसे आते हैं, वैसे ही खाली हाथ लौट जाते हैं. ऐसे में घर-परिवार की हालत भी खराब हो रही है. कर्जा लेकर काम चला रहे हैं लेकिन कर्जा भी कितना ले. इस वक्त मजदूर वर्ग के लोग ही ट्रेनों में यात्रा करते हुए नजर आ रहे हैं और जो कुलियों की मजदूरी पैदा करवाने वाले यात्री हैं, वह इस वक्त नहीं आ रहे.

रेलवे स्टेशन पर केवल 5 प्रतिशत यात्री ही आ रहे हैं. पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान कुलियों की हालत खराब हुई थी तो काफी कर्जा हो गया था. एक बार फिर कोरोना की दूसरी लहर ने कुलियों की स्थिति खराब कर दी है और वापस कर्जा लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है. कुलियों का कहना है कि घर में बिजली का बिल और राशन का खर्च बराबर हो रहा है लेकिन मजदूरी बिल्कुल नहीं हो रही. राशन वाले से भी उधार लेना पड़ रहा है, जिसका भी कर्जा बढ़ता जा रहा है. बिजली के बिल के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. इस संकट के दौर में खाने के भी लाले पड़ रहे हैं. बिजली के बिल चुकाये या पेट पाले, स्थितियां बहुत खराब है. कुली ने बताया कि उधार लेकर काम चला रहे थे, अब जेवरात भी गिरवी रखने पड़ गए. एक कुली ने बताया कि स्थितियां इतनी गंभीर हो गई है कि परिवार का पेट पालने के लिए शादी में बनवाया हुआ गहना भी बेचना पड़ गया.

जयपुर रेलवे स्टेशन पर मजदूरी नहीं मिलने से आधे से भी कम कुली आते हैं, जिनका भी गुजारा नहीं हो पाता है. क्योंकि दिन भर बैठ कर वापस लौटना पड़ता है. दिन भर कुली स्टेशन पर इधर से उधर बैठकर ही टाइम पास कर रहे हैं. कुलियों की दिवाली, ईद समेत कोई भी त्योहार नहीं मना रहे हैं. पिछले लॉकडाउन में भी इसी तरह परिस्थितियां हुई थी, भामाशाहों ने कुछ दिन का राशन देकर मदद भी की थी.

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