राजस्थान अब अनलॉक हो रहा है, इसी के साथ राजनीतिक नियुक्तियों के द्वार भी खुलने लगे हैं.
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Manoj Mathur, Executive Editor, Jaipur: राजस्थान अब अनलॉक हो रहा है, इसी के साथ राजनीतिक नियुक्तियों के द्वार भी खुलने लगे हैं. निकायों में सदस्यों के मनोनयन के साथ गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट जीएस संधू को स्वायत्त शासन, नगरीय विकास विभाग और आवासन मंडल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. इसी के साथ माना जा रहा है कि अब शेष राजनीतिक नियुक्तियों को भी हरी झंडी मिलेगी. मौटै तौर पर 14 हजार नियुक्तियों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की निगाहें हैं. इनमें मंत्रीमंडल, कांग्रेस संगठन, विभिन्न बोर्डों समेत विभिन्न विभागों से जुड़ी 85 समितियां शामिल हैं.
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14 हजार पदों पर नियुक्ति संभावित
प्रदेश में सत्ता, संगठन और विभिन्न विभागों से जुड़े 14 हजार पदों पर नियुक्तियां शेष है. ऐसे में सक्रिय और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की सूची के आधार पर नई नियुक्तियां होगी. स्थानीय विधायकों, विधायक प्रत्याशियों से भी अनौपचारिक राय ली गई है. नियुक्तियों में अनुभव, जातिगत समीकरण, कांग्रेस के प्रति निष्ठा, कार्यकर्ता के रूप में काम, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की राय को मापदंड माना जा रहा है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) भी कह चुके है राजनीतिक नियुक्तियों में पार्टी कार्यकर्ताओं का मान सम्मान होगा.
संगठन में बढ़ेगी रौनक
कांग्रेस (Congress) में जिला स्तर पर संगठन को मजबूती देने के प्रयास तेज हो गए हैं. राजस्थान के साथ अन्य राज्यों में भी कांग्रेस संगठनात्मक नियुक्तियों पर होमवर्क कर रही है. विशेषकर आगामी चुनावों से जुड़े राज्यों में संगठन में अहम बदलाव होने है, राजस्थान में भी कांग्रेस की जिला और उपखंड ईकाईयों का नए सिरे से गठन प्रस्तावित है. कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ समय से इसको लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी. संगठन में कुछ नियुक्तियों को छोड़कर शेष नाम प्रदेश स्तर पर तैयार होंगे, वहीं प्रदेश ईकाई में यहां से भेजी गई सूची पर विचार कर अंतिम रुप दिया जाएगा. अगले दो महिनों में अधिकतर नियुक्तियों पर मुहर लगेगी. संगठन में नई नियुक्तियों से जहां एक तरफ कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलेगी, साथ ही कांग्रेस की ओर से चलाए जा रहे अभियानों को भी गति मिलेगी.
चुनाव वाले जिलों पर फोकस
राजस्थान (Rajasthan News) के 12 जिलों में पंचायतीराज के चुनाव भी शेष है, अगले 2 से 3 महिनों में वहां चुनावी प्रक्रिया रफ्तार पकड़ सकती है. ऐसे में इन 12 जिलों में संगठन को मजबूत करने की प्रक्रिया के तहत राजनीतिक नियुक्तियों में तरजीह दी जा सकती है. अलवर, बारां, दौसा, भरतपुर, धौलपुर, जयपुर, जोधपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, सिरोही और श्रीगंगानगर के जिला परिषद एवं पंचायती समिति सदस्यों के चुनाव होने हैं. जनवरी 2020 में होने वाले इन चुनावों के लिये राज्य सरकार की ओर से पंचायती राज संस्थाओं के परिसीमन बाबत जारी की गई अधिसूचनाओ को कोर्ट में चुनौती देने कारण चुनाव नहीं हो सके थे, इसके बाद कोविड- 19 के कारण चुनाव में देरी रही.
(मनोज माथुर, एग्जीक्यूटिव एडिटर, ज़ी राजस्थान)
अधिकारियों को तव्वजों
प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों में पूर्व अधिकारियों की संख्या अधिक होने पर नाराजगी के सुर है. पिछले दिनों प्रदेश स्तर की कुछ राजनीतिक नियुक्तियां तो हुई, लेकिन उनमें पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की बजाय अधिकारियों को ज्यादा तवज्जो दी गई. ऐसे में पार्टी अब जल्द से जल्द नियुक्तियां कर सभी समीकरण साधने की कोशिश करेगी. निकायों में दिव्यांगों को स्थान देकर सरकार इस बारे में मंशा जाहिर कर चुकी है. अब महिलाओं, युवाओं और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति प्राथमिकता आधार पर होगी.
लॉबिंग तेज
प्रदेश में बोर्ड, निगम, आयोग और यूआईटी के लिए प्रदेश स्तरीय राजनीतिक नियुक्तियां होनी है. बदले राजनीतिक समीकरणों में लॉबिंग तेज हो गई. महिला आयोग सहित कई पद ऐसे हैं जिनमें एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है. कई अन्य पदों पर पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं. ऐसे में सत्ता और संगठन के सामने संकट उचित और निर्विरोध चयन का है.
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